पंचतंत्र की कहानी - चुहिया बनी दुल्हन
गंगा नदी के तट पर एक साधू अपनी पत्नी के साथ रहते थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। एक दिन साधू जब तप कर रहे थे, एक बाज वहां से गुजर रहा था और उसके पंजे में एक चुहिया फंसी हुई थी। जब बाज़ साधू के ऊपर से गुज़रा तो वह चुहिया उसके पंजो से छुटकर नीचे साधू की गोद में गिरी जिससे साधू की आँख खुल गई। घायल चुहिया को देखकर साधू को बहुत दया आयी। साधू ने मंत्र पढ़कर चुहिया को एक बच्ची का रूप दिया और अपनी पत्नी को सौंप दिया। वह पत्नी को बच्ची सौंपते हुए बोले,"प्रिय हमारी कोई संतान नहीं है। मैं जानता हूँ तुम संतान सुख चाहती हो।आज से इसे ही अपनी संतान समझो।" साधू की पत्नी बच्ची को पाकर बहुत खुश हुई।
कई साल बीत गए और वह बच्ची बड़ी होकर एक सुन्दर युवती में तब्दील हो गई। अब साधू अपनी बेटी के लिए उपयुक्त वर ढूंढने लगे। साधू अपनी बेटी का हाथ किसी साधारण मनुष्य के हाथ में नहीं देना चाहते थे। साधू ने सूर्य देव का ध्यान करके सूर्य देव को बुलाया। अगले ही पल सूर्य देव प्रकट हो गए। साधू बोले, "बेटी, ये सूर्य देव हैं। क्या तुम इनसे विवाह करना पसंद करोगी?" लड़की ने जवाब दिया, "नहीं पिताजी! ये बहुत ग…
कई साल बीत गए और वह बच्ची बड़ी होकर एक सुन्दर युवती में तब्दील हो गई। अब साधू अपनी बेटी के लिए उपयुक्त वर ढूंढने लगे। साधू अपनी बेटी का हाथ किसी साधारण मनुष्य के हाथ में नहीं देना चाहते थे। साधू ने सूर्य देव का ध्यान करके सूर्य देव को बुलाया। अगले ही पल सूर्य देव प्रकट हो गए। साधू बोले, "बेटी, ये सूर्य देव हैं। क्या तुम इनसे विवाह करना पसंद करोगी?" लड़की ने जवाब दिया, "नहीं पिताजी! ये बहुत ग…