एक घने जंगल में एक कछुआ और दो हंस रहते थे|
तीनों ही गहरे मित्र थे| तीनो का वक़्त
एक-दुसरे के साथ खेलते और बात करते हुए कब बीत जाता, पता ही नहीं
चलता था|
एक दिन कछुआ, हंसों से कहता है कि मित्र काश मैं भी तुम्हारी तरह उड़ पाता, काश मेरे भी
पंख होते, तभी
हंस भी उससे कहता है की काश हमारी पीठ पर भी तुम्हारी तरह ही कोई मजबूत ढाल होती
तो हमें भी शिकारियों का सामना नहीं करना पड़ता और हम आराम से उड़ सकते थे|
एक बार जंगल में आकाल पड़ गया और जंगल के सभी जानवर वहां से
जाने लगे| इसलिए
हंसों ने भी सोचा कि वो भी वहां से चले जाएंगे| ये बात वो कछूए
को बताने के लिए उसके पास जाते हैं और उससे कहते हैं, कि हम जंगल छोड़
कर जा रहे हैं तुम अपना ख्याल रखना|
कछुआ उनकी ये बात सुनकर रोने लगता है और उनसे कहता है कि
मित्रों तुमने मुझसे ये बात कहकर मुझे बहुत दुखी किया है| मैं अकाल में
तो रह सकता हूँ लेकिन अकेलेपन का शिकार नहीं बन सकता, इस दुनिया में
मेरा तुम्हारे सिवाए है ही कौन?
अगर तुम साथ होते तो कितना मजा आता और वो कछुआ उनको ये बात कहकर रोने लगता है|
हंस भी उसकी ये बात सुनकर रोने लगते हैं और उससे कहते हैं, तुम्ही बताओ
मित्र हम क्या करे?
अगर हम इस जंगल में रहे तो हम जीवित नहीं रह पाएंगे| अगर हम यहाँ से
जाते हैं तो तुम्हे छोड़कर जाना होगा | अगर तुम्हे भी उड़ना आता तो हम तुम्हे अपने साथ ले चलते, पर शायद हमारा
भाग्य यही चाहता है कि हम एक दुसरे से बिछड़ जाएँ| यह सुनकर कछूए
के दिमाग में एक तरकीब आती है और वो कहता है मित्रो मैं भले ही तुम्हारी तरह न उड़
सकूं लेकिन तुम्हारे साथ तो उड़ सकता हूँ| तुम एक लकड़ी के दोनों किनारों को अपनी- अपनी चौंच में पकड
लेना और मैं उसे बीच में से अपने मुंह से पकड़ लेता हूँ|
कछुआ जल्दी ही एक लकड़ी लेकर आता है और उसे हंसों को पकड़ाता
है| उसके
बाद वो दोनों हंस उसके छोर को पकड़ लेते हैं और फिर कछुआ उस लकड़ी को बीच में से पकड़
लेता है| जिससे
वो तीनों एक साथ उस जंगल को छोड़ दुसरे जंगल कि ओर चले जाते हैं|
रास्ते में एक गाँव आता है और उस गाँव में कुछ आदमी उड़ते
हुए कछुए को देखकर हैरान हो जाते हैं कि, तभी उनमे से एक आदमी कहता है लगता है ये हंस एक मरे हुए
कछुए को ले जा रहे हैं और फिर ये सुनते ही वो कछुआ कुछ बोलने के लिए जैसे ही मुँह
खोलता है , वह लकड़ी
उसके मुँह से छुट जाती है और वो निचे गिर जाता है और उंचाई से गिरने पर उसकी मौत
हो जाती है|
तो दोस्तों इस कहानी से
हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी आवेश में आकर नहीं बोलना चाहिए और खुद पर
नियंत्रण रखना चाहिए!!
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