बादलों के बीचो बीच एक परीलोक था। वहां कई परियां एक साथ रहती थी। सभी परियां बहुत ही ख़ूबसूरत थी। उनमें से एक परी थी, जिसका नाम करिश्मा था।करिश्मा बाकी परियों से थोड़ी अलग थी। वो खूबसूरत तो थी ही पर उसकी आंखे दूसरी पारियों से बिलकुल अलग और सुंदर थी। उसकी आंखे बड़ी-बड़ी और बिल्ली की तरह भूरी थी। अपनी इसी बात पर करिश्मा को काफी घमंड था। आए दिन करिश्मा परीलोक में किसी न किसी से झगड़ ही लेती थी।उसकी इस हरकत से परियों की रानी उससे मिलने आई। रानी ने उसे सबसे अकड़ कर बात करने से मना किया जिसपर करिश्मा ने कहा।
वो लोग मेरी खूबसूरती से जलते है। इसलिए आपके पास मेरी शिकायत करने आ जाते है। उन्हें ये बात बिलकुल भी हज़म नहीं हो रही की मैं उन सबसे से इतनी ख़ूबसूरत कैसे हो सकती हूँ।
रानी ने करिश्मा को अपनी अकड़ को ठीक करने के लिए समझाया और उसे बात समझा-कर वहां से चली गई लेकिन करिश्मा पर रानी की बात का बिलकुल भी असर नहीं हुआ और वो अपने काम में लग गई । कुछ दिनों बाद रानी का जन्मदिन आया। पूरा परीलोक दुल्हन की तरह सजा दिया गया । सारे ऋषि मुनियों और देवताओं को रानी के जन्मदिन समारोह पर आमंत्रित कर दिया गया। सभी ऋषि मुनि भोजन ग्रहण करने के लिए बैठ गए।
भोजन करते करते एक ऋषि को प्यास लगी और उन्होंने करिश्मा की तरफ इशारा किया और पानी लाने का आग्रह किया। ऋषि की बात सुनकर करिश्मा को बहुत ही गुस्सा आया और उसने सबके सामने चिल्लाकर ऋषि को कहा की क्या मैं तुम नौकरानी दिखती हूँ। करिश्मा की बात सुन ऋषि इसे अपना अपमान समझ बैठे और भोजन पर बैठे सभी ऋषियों को उठने का इशारा किया और बोले।
कन्या, तुमने हम सब ऋषियों का अपमान किया है । तुम्हें अपनी सुंदरता पर बड़ा घमंड है ना, जा मैं तुझे श्राप देता हूँ की जितनी सुंदर तू अभी है उससे दोगुनी बत्सुरत होकर एक चुड़ैल में बदल जाए।
ऋषि के श्राप देते ही करिश्मा एक बड़ी ही डरावनी चुड़ैल में तब्दील हो गई जिसे देख आसपास के लोग घबरा गए । करिश्मा की ऐसी हालत देख रानी ने ऋषि को श्राप वापस लेने का आग्रह किया।
ऋषि ने रानी की एक भी बात नहीं मानी और वह बाकि ऋषियों के साथ वहां से चले गए। वही अपना बदला हुआ रूप आईने में देख करिश्मा डर गई और रोने लगी। करिश्मा को रोता हुआ देख रानी ने बोला।
रानी: मैंने तुम्हें समझाया था की तुम अपनी खूबसूरती पर इतना भी घमंड मत करो। नहीं तो एक दिन तुम्हें इसका हर्ज़ाना भुगतना पड़ेगा। देखो अब तुम्हारा हाल कितना बुरा हो गया है।
रानी की बात सुनकर करिश्मा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने रानी से वादा किया की वो अब ऐसा कुछ नहीं करेगी बस उसे पहले जैसा बना दो।
करिश्मा की बात सुनकर रानी ने कहा की उसके पास भी इस श्राप का तोड़ नहीं है। इतने में चुड़ैल लोक में ये बात सबको पता चल गई की कोई परी चुड़ैल बन गई है तो वो सब करिश्मा को लेने के लिए वहां आ गए।
चुड़ैल कहती है क्या बात है एक परी बनी चुड़ैल। हाहाहा, हमे क्या? अब तुम हमारी बिरादरी में शामिल हो चुकी हो अब तुम्हें हमारे साथ चलना ही पड़ेगा।
ये सुन करिश्मा बहुत ही घबरा जाती है और जाने के लिए मना कर देती है। तभी रानी ने करिश्मा को कहा की तुम्हें जाना ही पड़ेगा। ये उसूल है, परीलोक और चुड़ैललोक का, तुम मना नहीं कर सकती। पर मैं पूरी कोशिश करुँगी की तुम्हें वहाँ से जल्द से जल्द निकाल लिया जाए।
ना चाहते हुए भी करिश्मा को चुड़ैलों के साथ जाना ही पड़ा। जब वो चुड़ैल लोक पहुँची तो वहां का नज़ारा देख कर डर गई । वहां काफी गदंगी थी और हर जगह जानवरों के माँस के टुकड़े पड़े थे । ये देख वो रोने लगती है जिसपर चुड़ैल उसे चुप रहने के लिए बोलती है और ये भी कहा की अब वो कभी भी परीलोक नहीं पहुँच पायेगी।
ये सुन करिश्मा डर गई और पूरी रात बस रोती ही रही । अगली रात होते ही सारी चुड़ैले अपने अपने शिकार को तलाशने निकल गई और उन्होंने करिश्मा को भी आने के लिए बोला लेकिन करिश्मा ने उनके साथ जाने से साफ़ मना कर दिया । ये सुनकर चुड़ैल को बहुत ही गुस्सा आया और उसने करिश्मा को उसकी ज़िन्दगी खराब करने की धमकी दी । ये सुन करिश्मा को उनके साथ जाना ही पड़ा।
सारी चुड़ैले जंगल में शिकार की तलाश में निकल गई तभी उन्हें एक छोटा बच्चा दिखाई दिया ..जिसे देख सभी चुड़ैलों ने उसे खाने की कही..बच्चे को खाने की बात सुन करिश्मा ने सभी से उसे न खाने की विनती की..लेकिन चुड़ैल उसकी नहीं सुनती
और उस बच्चे के पास चली जाती है लेकिन वो बच्चा किसी से भी नहीं तरह डरता । दरअसल वो बच्चा अँधा होता है। ये जानने के बाद करिश्मा को उसपर बहुत ही तरस आता है। जिसके बाद वो सभी चुड़ैलों को बोलती है।
आप किसी और को पकड़ लो लेकिन इस अंधे बच्चे को छोड़ दो। आप जो कहेंगी मैं वो सब करने के लिए तैयार हूँ।
ये सुन चुड़ैल बच्चे को न खाने के लिए मान जाती है और वहां से चली जाती है। उनके जान के बाद करिश्मा बच्चे से उसके वहां होने का कारण पूछती है, जिसपर बच्चा उसे बताता है की वो अपने माता पिता से बिछड़ गया है।
बच्चे की बात सुनकर करिश्मा कुछ नहीं बोलती और उसकी आँखों से आँसू झलक जाता है। लेकिन वो अपने आपको संभालते हुए बच्चे के जंगल में अपने माता-पिता के साथ आने की वजह पूछती है।
मैं अपने माता-पिता के साथ शहर जा रहा था अपनी आँखों का इलाज करवाने।लेकिन मैं उनसे बिछड़ गया और इस जंगल में भटक गया।
ये सब सुन करिश्मा को बच्चे पर बड़ा ही तरस आता है और वो अपनी आंखे बच्चे को दान करने की सोचती है और तभी अपनी दोनों आँखें निकालकर बच्चे की आँखों में लगा देती है, और वो बच्चा देखने लगता है और वो बहुत ख़ुशी होता है ।
तभी वहां रानी आ जाती है और वो बच्चा एक साधु में बदल जाता है। जिसके बाद रानी बोलती है।
तुम्हारी परीक्षा पूरी हुई करिश्मा। तुमने वो काम किया जो आजतक कोई करने की हिम्मत नहीं दिखा सका।
ये सुन करिश्मा ने रानी से कौन सी परीक्षा लेने की बात पूछी। जिसपर रानी ने कहा की
मैं तुम्हारे श्राप का तोड़ निकालने ऋषियों के सबसे बड़े गुरु के पास गई उन्होंने खुद आकर तुम्हारी परीक्षा लेने का फैसला लिया और कहा की आंखे किसी भी व्यक्ति का बहुमूल्य ख़ज़ाना होता है अगर तुम वो देने के लिए तैयार हो गई तो तुम दोबारा परी बन जाओगी और देखो तुमने परीक्षा पास कर ली।
ये सब सुन करिश्मा बहुत ही खुश हुई । तभी ऋषि अपनी ताकत से करिश्मा को उसकी आंखे वापस कर देते हैं और उसे दोबारा एक सुंदर परी में तब्दील कर देते है। अपना अस्तित्व वापिस पाने के बाद करिश्मा परी और ऋषि का धन्यवाद करती है और ये भी वचन देती है की वो दोबारा अपनी खूबसूरती पर घमंड नहीं करेगी।
हमे इस कहानी से ये शिक्षा मिलती है की घमंड और अकड़ का रास्ता हमे बर्बादी की तरफ ले जाता है और प्यार का रास्ता आबादी की तरफ।
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