डायन चली देने बच्चों की बली

एक समय की बात है किसी गांव में 3 दोस्त रहते थे। अनुराग, सुजल और करन, वो तीनों बहुत बहादुर थे। अगर गांव वालों को कोई भी परेशानी होती थी तो वो तीनों दोस्त मदद के लिए सबसे आगे रहते थे, उनके गांव में सब कुछ ठीक चल रहा था, सब लोग मिलजुल कर रहते थे। एक दिन अचानक गांव में अजीब सी घटना घटने लगी। गांव के बच्चे एक एक करके गायब होने लगे, जो कि एक चिंता का विषय था। इसलिए सभी गांव वाले गांव के चौपाल पर इकट्ठा हुए और इस समस्या के समाधान के लिए बात करने लगे। कफी देर तक बात करने के बाद कारन ने गॉंव वालों को एक बात कही।

क्यों न हम रात में पहरा दें। इससे बच्चों की सुरक्षा भी हो जाएगी, साथ ही हमें ये भी पता चल जाएगा कि बच्चे आखिर जाते कहां हैं?

करन की बात सभी गांव वालों को ठीक लगी, और इस तरह से कभी अनुराग, कभी सुजल तो कभी करन तीनों गांव में पहरा देने लगे। और इस दौरान बच्चों का गायब होना बंद हो गया |  एक दिन सरपंच ने सभी गांव वालों को बुलाया और कहा



जब से हमने अपने गांव में पहरे दारी करना शुरु किया तब से गांव के बच्चे कहीं नहीं जा रहे। लेकिन ऐसा कब तक चलेगा। कब तक हमारे गांव के आदमी रखवाली करते रहेंगें। हम इस समस्या को जड़ से निकाल कर फेंकना होगा।

सरपंच की बात सुनकर अनुराग को एक योजना सूझी और उसने कहा की अब रात में वो सभी पहरा नहीं देंगे जिसपर करन ने कहा की रात में सभी छतपर छुपकर देखेंगे की आखिरकार बच्चे कौन चोरी कर रहा है?

उसी रात करन, अनुराग और सुजल अपने-अपने घरों की छत पर जाकर रात होने का इंतज़ार करने लगे। जैसे ही रात हुई, सुजल ने देखा, एक बच्चा सुजल के सामने वाले घर से निकल कर जा रहा था । सुजल उसे देख कर बड़ा ही हैरान हुआ। उसने तुरंत मशाल जलाकर अनुराग और करन को इशारा कर दिया। वो दोनों जल्दी से करन के घर की तरफ आ गए, लेकिन सुजल उनसे थोड़ा दूर निकल गया था, क्योंकि वो उस बच्चे का पीछा कर रहा था। सूजल ने बच्चे को ध्यान से देखा तो उसे कुछ अजीब सा लगा। उसने देखा की बच्चे की आंखे बंद थी और वो कुछ धीरे धीरे बोल रहा था।

मैं आ रहा हूं, मैं आ रहा हूं, मेरा इंतज़ार करना।

सूजल बच्चे के पीछे चल रहा था, और सूजल के पीछे अनुराग और करन। तभी वो बच्चा घने जंगल की तरफ जाने लगा, उस घने काले जंगल में लोग दिन में जाने से डरते थे । और वो बच्चा आंखे बंद किये रात में जा रहा था। ये देखकर तीनों हैरान हो गए, लेकिन वहां अचानक ज़ोरों से आंधी चलने लगी, पेड़ों के पत्ते ज़ोरों से हिलने लगे। और वो बच्चा वहां से गायब हो गया।जिसे देख सभी हैरान हुए और जंगल की और निकल गए।

वो तीनों जंगल के अंदर जाने ही वाले थे तभी वहां सरपंच के साथ मेघा और सोनम भी हाथ में मशालें लेकर आ गईं। इसके बाद वो सभी जंगल के अंदर चले गए। थोड़ा दूर जाने के बाद उन्होंने देखा कई जानवर वहां मरे पड़े हैं और उनको देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी ने उन्हें नोच नोच कर खाया हो। ये सब देखकर अनुराग कहने लगा।



यहां ज़रुर कोेई न कोई गड़बड़ है, जो हमें नहीं पता। वो बच्चा किसी बड़ी मुसीबत में न फंस जाए। हमें जल्दी ही उसे ढूंढना होगा।

अनुराग की बात सुनकर सभी उस बच्चे को ढूंढने लगे। अब वो सभी जंगल के बिल्कुल बीचों-बीच पहुंच गए थे, और बहुत थक भी चुके थे। वो एक जगह रुके, तभी मेघा को कोई किसी तंत्र - मन्त्र की आवाज़ सुनाई दी।

मेघा के ऐसे कहते ही सभी चुप चाप आवाज़ सुनने लगे तभी उन सभी को भी वहां पर मंत्र पढ़ने कि आवाज़ सुनाई दी, अनुराग ने हाथ से इशारा करते हुए कहाआवाज़ की तरफ चलने को कहा

सभी आवाज़ की तरफ बढ़े तो जो उन्होंने देखा उसे देखकर उन सबके होश उड़ गए, वहां पर एक जगह आग जल रही थी, उसके चारों और वो बच्चे बैठे हुए थे जो गांव से गायब थे, और वो बच्चा भी जिसके पीछा अनुराग, सुजल और करन कर रहे थे। वो सभी बच्चे आँख बंद करके बैठे थे और हर बच्चे के आगे एक पौधा लगा हुआ था। ऐसा लग रहा था जैसे उसको किसी ने अपने वश में कर लिया हो, वहां पर एक डायन, जो दिखने में बहुत भयानक थी, बच्चों के चारों ओर चक्कर लगा रही थी, उसके हाथ में एक खून भरा प्याला भी था, और वो मंत्र पढ़ पढ़ कर बच्चों के उपर खून डाल रही थी।सभी उस डायन के पास जाकर खड़े हो गए और करन गुस्से से बोला

कौन हो तुम? और इन बच्चों से क्या चाहती हो?

डायन- पहले ये बताओ तुम कौन हो? और यहां क्यों आए हो? तुमने मेरी साधना में विघ्न डालने की हिम्मत कैसे की, मैं इन बच्चों की बली चढ़ा कर काली शक्तियों पर और इस दुनिया पर राज करुंगी।

ये सुनकर गांव के सरपंच ने करन से धीरे से कहा

सरपंच- करन मुझे एक बात समझ नहीं आ रही, ये हर बच्चे के आगे एक पौधा क्यों लगा है,

करन- हां इसके पीछे ज़रुर कोई राज़ हैं। सुजल, अनुराग तुम दोनों इस डायन को बातों में उलझाओ, मैं, मेघा और सोनम के साथ उन बच्चों को बचाने जाता हूं।

करन के ऐसा कहते ही सूजल और अनुराग उस डायन के पास चले गए,फिर करन, मेघा और सोनम ने उन बच्चों के सामने से पौधे उखाड़ दिये, इसके बाद बच्चों ने अपनी आंखें खोल लीं, और वो सब अब ठीक हो गए। उनमें से एक बच्चा बोला


अंकल इस डायन की जान इस खून के प्याले में है। इस प्याले को आग में डालने से ये मर जाएगी।

करन ने मेघा, सरपंच और सोनम से उन बच्चों को वहां से ले जाने के लिए कहा और अब करन, अनुराग और सुजल अकेले ही उस डायन से लड़ रहे थे डायन तीनों में से किसी को भी खून के प्याले के पास नहीं जाने दे रही थी। लेकिन फिर भी अनुराग ने जल्दी से खून का प्याला उठा लिया और उस खून भरे प्याले को आग में डाल दिया जैसे ही वो खून भला प्याला आग में गया डायन चिल्लाने लगी।

अब डायन पूरी तरह से जल कर राख हो चुकी थी, तीनों दोस्त गांव की तरफ लौट गए, गांव के सभी लोग अपने बच्चों को देखकर बहुत खुश हुए और उन्होंने अनुराग, करन और सूजल को धन्यवाद किया अब वो तीनों गांव के हिरो बन चुके थे।

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