परीलोक में ड्रेकुला की तबाही!

बादलों के बीचों-बीच एक बड़ा-सा परीलोक था। उस परीलोक में कई परियां एक साथ रहती थी। उन परियों की एक रानी थी और उस रानी की एक बेटी भी थी, जिसका नाम सुहानी था। सुहानी बहुत ही खूबसूरत थी और उसकी खूबसूरती के चर्चे हर जगह फ़ैल चुके थे। सुहानी की ये बात धरती पर तबाही मचा रहे ड्रेकुला तक पहुंच गई। ये बात जानने के बाद उसने दूसरे ड्रेकुला से सुहानी की खूबसूरती देखने की बात कही। जिसपर डरकर उसके साथियों ने उसे परीलोक में जाने के लिए मना कर दिया। लेकिन ड्रेकुला ने अपने साथियों की एक भी नहीं मानी और परीलोक में जाकर सुहाना से मिलने के फैसला किया। 

ड्रेकुला सुहानी की खूबसूरती को देखने के लिए बड़ी चालाकी से परीलोक पहुंच गया। वहां जाकर उसने देखा की सुहानी अपने दोस्तों के साथ बाग में खेल रही थी। सुहानी की खूबसूरती देख ड्रेकुला मोहित हो गया और उसने सुहानी को अपना कैदी बना धरती लोक पर ले जाने का फैसला कर लिया। 

वो सुहानी का अपहरण करने की सोचने लगा। ड्रेकुला रोज़ परीलोक के बाहर सुहानी के आने का इंतज़ार करने लगा की जैसी ही वो परीलोक से निकलेगी ड्रेकुला उसे अपने साथ धरती पर ले जायेगा। एक दिन ड्रेकुला को मौका मिल ही गया, सुहानी मौसम का लुफ्त उठाने अपने दोस्तों के साथ परीलोक से बाहर निकल गई। उसके बाहर निकलते ही ड्रेकुला उसका पीछा करने लगा।     

सुहानी और उसकी सहेलियाँ काफी दूर तक निकल गई। चलते-चलते जब सब थक गए तो वो सारे एक बड़े से बादल के ऊपर बैठ गए। मौका पाते ही ड्रेकुला वहाँ पहुंच गया।ड्रेकुला को देख सारी पारियाँ डर गई।तभी ड्रेकुला बोला।



ड्रेकुला: तुम कितनी सुंदर हो सुहानी। मैं चाह-कर भी तुम्हारे बारे में सोचना नहीं छोड़ सकता। क्या तुम मेरे साथ चलोगी?

ड्रेकुला के मुँह से ऐसे शब्द सुन सुहानी को बहुत गुस्सा आया और उसने ड्रेकुला को बहुत खरी खोटी सुनाई जिसे अपनी बेज़ती समझकर ड्रेकुला उसे जबरदस्ती धरती लोक पर ले जाने लगा। ड्रेकुला ने सुहानी का हाथ पकड़ लिया और उसे खींचने लगा। सुहानी और उसकी सहलियाँ उसे बचाने की बहुत कोशिश करने लगी लेकिन ड्रेकुला उनकी हर चाल का अपने मुँह से आग निकालकर जवाब दे रहा था। तभी वहां पारियों की रानी आ गई। 

ड्रेकुला को अपनी बेटी के साथ जबरदस्ती करता देख परी को उसपर बहुत ही गुस्सा आया।ड्रेकुला रानी को देखकर डर गया, लेकिन खुद को संभालते हुए उसने रानी से सुहानी को पसंद करने वाली बात कही। ये सुनकर रानी को और गुस्सा आया और उसने ड्रेकुला को अपने जादू से ज़मीन पर गिरा दिया। जिसके बाद रानी से अपनी बेटी को बिना बताये बाहर जाने के लिए डाँट लगाई और सभी को अपने साथ परीलोक ले गई। 

 वहीँ दूसरी तरफ ड्रेकुला अपने साथ हुए अपमान का बदला लेने की ठानता है। पर उसका साथ देने के लिए कोई ड्रेकुला राज़ी नहीं होगा उसका भी ड्रेकुला को पता था क्यूंकि सभी ड्रेकुला रानी से बहुत ही डरते थे। सब उसका साथ दे इसलिए उसने एक बहुत ही गन्दी चाल चली। 

उसने सभी ड्रेकुला को ये कहकर भड़काया की रानी परी ने सभी ड्रेकुला का अपमान किया है साथ ही उन्होंने ये भी कहा है की ड्रेकुला इस लायक नहीं है की उनसे दोस्ती की जा सके। ये सब सुन सभी ड्रेकुला गुस्से में आ गए और उन सभी ने रानी परी को सबक सीखने की ठानी। जिसपर ड्रेकुला ने बोला की हम उसकी बेटी को अगवा कर रानी से अपनी बेज़्ज़ती का बदला लेंगे। जिसपर उसके सभी साथी राज़ी हो गए। 

सभी को भड़काने के बाद ड्रेकुला तब परीलोक पर हमला कर देता है जब रानी परीलोक में नहीं होती। परीलोक पहुंचते ही सारे ड्रेकुला परीलोक में अपने मुँह से आग लगा देते है और सुहानी  को वहां से ले जाते है। कुछ समय बाद रानी परीलोक पहुँचती है। वहां की तबाही देख रानी सभी परियों से तबाही की वजह पूछती ही। जिसके बाद रानी को बाकी परियां सारी बात देती है और परी को ये भी बता देती है की ड्रेकुला सुहानी को ज़बरदस्ती यहाँ से लेकर चले गए ।ये सब सुन रानी को बहुत ही गुस्सा आया और उसने ड्रेकुला को सबक सीखने की ठान ली। 

जिसके बाद रानी को अपने पुराने जादूगर दोस्त की याद आई और वो उससे मदद लेने के लिए धरती लोक पहुंच गई। वहां पहुंचते ही रानी ने जादूगर को सारी बात बता दी...जिसे सुनने के बाद जादूगर बोलता है। 

जादूगर: मुझे पता है की ड्रेकुला से हम कैसे बदला ले सकते है, उसके लिए हमे उसके आगे के दांतो को तोड़ना पड़ेगा। ड्रेकुला की शक्ति उनके दांतो में होती है।अगर हम उनके दाँतों को तोड़ दे तो उनकी शक्तियों वही खत्म हो जाएगी। 

उपाय सुन रानी को बहुत ही ख़ुशी हुई लेकिन वो ये समझ नहीं पा रही थी की ड्रेकुला के दांत तोड़े कैसे जायेंगे?

 जिसपर उसके दोस्त जादूगर ने बोला की वो सब कुछ संभाल लेगा। अगले ही दिन जादूगर अपना वेश बदलकर (साधु) ड्रेकुला और उसके साथियों के पास पहुँच गया। ड्रेकुला को अपने वश में करने के लिए जादूगर ने सभी को अपनी बातों में फ़साना शुरू कर दिया। उसने सभी को सुहानी को कैद में करने के लिए शाबाशी दी और ये भी कहा की उन सभी ने रानी के साथ जो भी किया वो अच्छा किया। जिसपर सभी ड्रेकुला जादूगर पर विश्वास कर लेते है। इसका एहसास होते ही जादूगर ने ड्रेकुला से बोला। 


जादूगर(साधु): मैं तुम लोगों से बहुत ही खुश हुआ हूँ। क्या मैं तुम्हें एक तोहफा दे सकता हूँ। 

ड्रेकुला: क्या?

जादूगर(साधु): मैं तुम लोगो के लिए ये जादुई लड्डू लाया हूँ। जिसे खाकर तुम लोगों की शक्ति दोगुना हो जाएगी और तुम इस पूरी धरती पर राज़ कर पाओगे।

ये सुन सभी ने लड्डू खाने की बात पर हाँ कह दिया। जिसपर जादूगर ने एक शर्त रखी, उसने कहा की आप सभी को लड्डू एक साथ खाना पड़ेगा… साधु की बात मानकर सारे ड्रेकुला एक साथ लड्डू खाने लगते है लेकिन लड्डू को खाते ही सबके आगे के दाँत टूट जाते है क्योंकि लड्डू लोहे का बना होता है। दाँत टूटते ही सारे ड्रेकुला कमज़ोर हो जाते है और ज़मींन पर गिर जाते है।  इतने में रानी वहां आ जाती है और अपनी बेटी को उनके चंगुल से निकल लेती है तभी ड्रेकुला बोलता है ..

ड्रेकुला: ये साधु कौन है और इतनी आसानी से इसने हमे चकमा कैसे दे दिया। 

तभी जादूगर अपना वेश बदलता है। जिसे देख ड्रेकुला हैरान हो जाते है। ड्रेकुला और उसके साथियों को अपनी गलती का एहसास हो जाता है और वो रानी से अपनी गलती की माफ़ी मांगते है। सब सुनाने के बाद रानी सबको माफ़ कर देती है और अपने जादू की छड़ी से सबके दाँत भी वापस कर देती है।


सीख: इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है की गुस्से और घमंड में किये हुए काम का नतीजा हमेशा बुरा ही होता है।

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