जादुई शहद की गुफा

बहुत समय पहले किसी जंगल में बब्बू नाम का भालू रहता था ।  बब्बू को शहद खाना बहुत पसंद था । वो मधुमक्खियों के छत्तों से शहद चुराकर खाया करता था ।  शहद खाकर बब्बू ने कहा, वाह, आज तो मज़ा आ गया।

एक दिन वो ऐसे ही शहद की तलाश में जंगल में भटक रहा था, तभी उसे मधुमक्खियों का एक बहुत बड़ा छत्ता दिखा । बब्बू के ख़ुशी का ठिकाना ना रहा, इतना बड़ा छत्ता ! इसमें तो बहुत सारा शहद होगा !

ऐसा कहकर वो पेड़ पर चढ़ा, उसने छत्ते पर एक जोर से मुक्का मारा और छत्ते से शहद टपकने लगा, बब्बू ने हाथ आगे बढ़ाया तो उसके हाथ में बहुत सारा शहद आ गया । हम्म्म्म... इसकी तो खुशबु ही बहुत मीठी है!

लेकिन जैसे ही वो शहद खाने के लिए हाथ अपने मुंह तक लेकर गया छत्ते से बहुत सारी मधुमखियाँ बाहर आई, रानी मधुमक्खी बब्बू से बोली... बब्बू, आजतक तुमने बहुत से छत्तों में से शहद  चुराकर खाया है, पर आज तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी !

बब्बू कहता है, पर रानी मधुमक्खी मैं तो बस थोड़ा सा शहद खाना चाहता हूँ ।
रानी मधुमक्खी गुस्से में बब्बू से कहती है, हम तुम्हें थोड़ा-सा शहद भी नहीं दे सकते!

ऐसा कहकर रानी मधुमक्खी ने बाकी मधुमक्खियों के साथ मिलकर बब्बू पर हमला कर दिया । मधुमक्खियों को अपनी और आता देख बब्बू पेड़ से उतरकर भागने लगा । मधुमखियाँ उसका पीछा करने लगी । बब्बू भागता-भागता अपनी गुफा में आ गया । लेकिन मधुमक्खियों ने उसका पीछा नहीं छोड़ा । वो गुफा में भी घुस आई उसे काट-काटकर सुजा दिया । और वहाँ से चली गई. उनके जाने के बाद बब्बू जोर-जोर से रोने लगा...

बब्बू  रोते हुए  कहता है, हे भगवान, मुझे अगर शहद स्वाद लगता है तो इसमें मेरी क्या गलती!? वो और जोर जोर से रोने लगता है । बब्बू की रोने की आवाज़ सुनकर वहाँ जंगल के देवता प्रकट हुए और बब्बू से बोले...

देवता ने बब्बू से पूछा क्या हुआ? तुम रो क्यों रहे हो?



बब्बू रोते हुए हे जंगल के देवता, आप तो जानते हैं मुझे शहद कितना पसंद है! लेकिन मुझे शहद बनाना नहीं आता! इसलिए मैं मधुमक्खियों के छत्ते में से थोड़ा सा शहद ले लेता हूँ! अगर मुझे शहद बनाना आता तो मैं क्यों इन मधुमक्खियों का शहद चुराता!?

देवता हम्म्म, बात तो तुम सही कहे रहे हो । अगर ऐसा है तो मैं तुम्हें वरदान देता हूँ कि तुम्हारे,  नदी से अपने हाथों में पानी लेकर इस गुफा के अंदर आते ही वो पानी शहद बन जाएगा । लेकिन एक बात हमेशा याद रखना बब्बू,  तुम कभी किसी को उस गुफा से शहद लेने से मना नहीं कर सकते । अगर तुमने ऐसा किया तो सारा शहद पानी बन जाएगा ।

ऐसा कहकर देवता गायब हो गए, बब्बू ये वरदान पाकर बहुत खुश हुआ, वो नदी के पास गया, उसने हाथों में पानी भरा और गुफा में लौट आया, गुफा में आते ही उसके हाथ का पानी शहद में बदल गया । बब्बू (ख़ुशी से) अरे वाह! ये तो सच में शहद बन गया ! ऐसा कहकर वो सारा शहद खा गया, और बोला... ये तो बहुत स्वाद है! मैं इस पूरी गुफा को शहद से भर दूँगा ! ये कहकर वो नदी के पास गया, और एक के बाद वो कई बार अपने हाथों में पानी भरकर गुफा में ले जाने लगा, सुबह जब सूरज निकला तब तक गुफा शहद से भर चुकी थी, हर तरफ शहद ही शहद था, वाह, मेरी जादुई शहद की गुफा !

पर बब्बू की ख़ुशी ज्यादा दिन नहीं रह पाई जादुई शहद की गुफा की बात जंगल में फ़ैल गई, दूर दूर से जानवर गुफा में शहद खाने आने लगे, बब्बू ख़ुशी-ख़ुशी सबका स्वागत करते हुआ बोला... तुम सबका जादुई शहद की गुफा में स्वागत है ! यहां तुम जितना चाहो शहद खाओ ! यहाँ कोई मधुमक्खी तुम्हें शहद खाने से नहीं रोकेगी ! ऐसे ही बहुत दिनों तक चलता रहा,  जानवर जब चाहे गुफा में आकर शहद खाने लगे ।

वहाँ एक खरगोश भी आता है और बब्बू से कहता है, अरे ये शहद तो बहुत मीठा है । अब पता चला ये मधुमक्खियाँ हमें शहद खाने से क्यों रोकती थी? फिर एक दिन मधुमक्खियों की रानी बाकी मधुमक्खियों के साथ बब्बू की जादुई शहद की गुफा पर आई और बब्बू से बोली...

रानी मधुमक्खी बब्बू, जिन फूलों से हम शहद बनाते हैं, जंगल में वो सारे फूल खत्म हो चुकें हैं, हमें उन फूलों को ढूंढने दूसरे जंगल जाना पड़ेगा, लेकिन हम इस जंगल को छोड़कर नहीं जाना चाहते । इसलिए क्या तुम अपनी गुफा से हमें रोज थोड़ा-थोड़ा शहद लेने दे सकते हो? ये सुनकर बब्बू को याद आया कि किस तरह थोड़ा सा शहद लेने पर मधुमक्खियों ने उसे काटा था, और वो बहुत गुस्सा हो गया । बब्बू रानी मधुमक्खी से कहता है, मैंने भी तुमसे थोड़ा सा शहद ही माँगा था ! याद है, तुमने इतनी सी बात पर मुझे कितना काटा था!?

रानी मधुमक्खी वो तो हमने इसलिए मना किया था, कि हमारे पास बहुत कम शहद था ।

बब्बू गुस्से में आ जाता है, वो जो भी हो! मैं तुम्हारे साथ अपना शहद नहीं बाटूंगा ! निकल जाओ मेरी गुफा से ! उसके ऐसा बोलने पर रानी मधुमक्खी बाकी मधुमक्खियों के साथ वहाँ से चली गई, तभी जंगल के देवता प्रकट हुए और बोले... बब्बू, लगता है तुम मेरा दिया वरदान भूल गए? मैंने तुमसे कहा था कि तुम किसी को भी शहद खाने से मना नहीं कर सकते । बब्बू उदास होकर देवता से कहता है, लेकिन उन्होंने भी मुझे शहद नहीं दिया था!

ये कहकर जंगल के देवता मुस्कुराए, और वहाँ से गायब हो गए, बब्बू ने हैरानी से घूमकर शहद को देखा । अचानक सारा शहद पानी में बदल गया । बब्बू हैरान होकर  ये क्या हुआ!? तभी पानी झरने की तरह आया और बब्बू को बहाकर गुफा के बाहर ले गया । 

गुफा के बाहर ज़मीन पर गिरा हुआ, भीगा हुआ बब्बू हैरानी से गुफा को देखता है,इस तरह गुस्से की वजह से बब्बू को अपनी जादुई शहद की गुफा को खोना पड़ा ।

शिक्षा :-  इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें कभी गुस्सा नहीं करना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी थोड़ा गुस्सा करने से भी बड़ा नुक्सान हो जाता  है। Click Here >> Hindi Cartoon For More Moral Stories