यमराज और मौत


बहुत समय पहले किसी गांव में जयमल नाम का एक बूढ़ा किसान रहता था। जयमल के घर में उसके माता-पिता, पत्नी और बच्चे सब थे। लेकिन एक-एक कर के वो सभी किसी ना किसी बीमारी की वजह से मर गए थे। इसी वजह से जयमल को मरने से बहुत डर लगता था। वो हमेशा इसी चिंता में डूबा रहता था, कि किसी तरह उसे मौत से बचने का रास्ता मिल जाए। एक दिन यमराज आकर मुझे ले जाएंगे। काश मुझे कुछ ऐसा रास्ता मिल जाए जिससे मैं मरने से बच जाऊं।

एक दिन वो अपने घर में बैठा इसी चिंता में डूबा था तभी उसके दरवाजे पर एक महात्मा आए। महात्मा ने जयमल से कहा...हे सज्जन पुरुष, मैं बहुत दूर से आया हूँ। क्या मैं आज रात तुम्हारे घर में रुक सकता हूँ?

जयमल उस महात्मा जी, को अपने घर में रहने की आज्ञा दे देता है। ऐसा कहकर उसने बूढ़े महात्मा को हाथ से पकड़ा और उन्हें प्यार से ज़मीन पर बिछे बिस्तर पर बैठा दिया।फिर जयमल ने उन महात्मा से कहा  आप यहाँ बैठिये, मैं अभी आपके लिए खाने का इंतज़ाम करता हूँ.

जयमल अंदर गया और एक के बाद एक कई पकवान लाकर उसने महात्मा के सामने रख दिए। महात्मा ने वो सभी पकवान बहुत इत्मीनान से खाए और फिर वहीं सो गए।
अगली सुबह जब उनके जाने का समय हुआ तो वो जयमल से बोले...जयमल, तुमने मेरी बहुत सेवा की है। इसलिए मैं तुम्हे एक वरदान देना चाहता हूँ। मांगो तुम क्या मांगना चाहते हो?

जयमल उनसे पूछता है, क्या आप मुझे कुछ भी दे सकते हैं?
महात्मा जयमल को हाँ में जवाब देते है, और कहते है, मैंने हिमालय में वर्षों तपस्या की है. मैं अपनी तपस्या की शक्ति से तुम्हे कुछ भी दे सकता हूँ।



ये सुनकर जयमल बहुत खुश हो गया और बोला...महात्मा जी, मैं कभी मरना नहीं चाहता। इसलिए आप मुझे अमर होने का वरदान दीजिए! महात्मा ने ऐसा वरदान देने के लिए जयमल को मना कर दिया।

इसपर जयमल बहुत निराश हो गया। और फिर कुछ सोचकर बोला...ठीक है! तो आप मुझे ये वरदान दीजिये कि मेरे इलावा जो भी मेरे इस बिस्तर पर बैठे वो मेरी मर्ज़ी के बगैर यहां से उठ ना सके। महात्मा को इस वरदान में ऐसा कुछ भी गलत नहीं लगा। वो बोले.. तथास्तु!

ऐसा कहकर वो वहाँ से चले गए। वरदान पाकर जयमल बहुत खुश हुआ। ऐसे ही कुछ साल बीत गए। एक दिन जब जयमल सोने के लिए बिस्तर बिछा रहा था। तभी यमराज उसे लेने आए।

यमराज ने जयमल के कहा, इस धरती पर तुम्हारा जीवन अब पूरा हो चुका है। इसलिए मैं तुम्हें लेने आया हूँ। यमराज की ये बात सुनकर जयमल पहले तो बहुत डर गया। फिर, उसने अपने बिस्तरे को देखा तो उसे महात्मा के दिए वरदान की याद आई। वो खड़ा होकर यमराज से बोला...ठीक है, यमराज जी! पर आप पहली बार मेरे घर आए हैं, एक बार मुझे अपनी सेवा का मौका तो दीजिए।मैंने अभी-अभी ये बिस्तर बिछाया है। आईये, कुछ देर इसपर आराम कर लीजिये, फिर आप जहां कहेंगे... मैं आपके साथ चलूँगा।
यमराज को इसमें कुछ भी गलत नहीं लगा। वो आकर उस बिस्तरे पर बैठ गए। उनके बैठते ही जयमल ख़ुशी से उन्हें चिढ़ाते हुए बोला.. यमराज जी, अब आप मुझे इस धरती से लेकर नहीं जा सकते! मुझे क्या, अब तो आप खुद भी कही नहीं जा सकते!

यमराज जयमल से पूछता है, ये तुम क्या बोल रहे हो?

जयमल खुश होकर यमराज को एक एक करके सारी बातें बताता है, बहुत साल पहले, मुझे एक महात्मा ने वरदान दिया था। कि मेरे इलावा जो भी इस बिस्तरे पर बैठेगा वो मेरी मर्ज़ी के बगैर इससे उठ नहीं पाएगा! इसलिए न अब आप इस बिस्तरे से उठोगे, और न मुझे अपने साथ लेकर जा पाओगे!

ये सुनकर यमराज डर गया। और बिस्तरे से उठने की कोशिश करने लगा। बहुत कोशिश करने पर भी जब वो बिस्तरे से नहीं उठ सका, तो वो हार मानकर जयमल से बोला… जयमल, मुझे यहां से उठने दो। मैं उठूंगा नहीं तो मेरा काम कौन करेगा?

जयमल यमराज से कहता है, तुम्हारा काम लोगों को मारना है। तुम्हे यहां बिठाकर मैं खुद को और लोगों को मरने से बचा रहा हूँ।ये कहकर जयमल वहाँ से जाने लगा।

जयमल, अगर मैं अपना काम नहीं करूँगा तो संतुलन बिगड़ जाएगा! यमराज ने बहुत कोशिश की जयमल को समझाने की पर जलमल समझने को तैयार ही नहीं था। जयमल मैं तुम्हे यहां बंद करके लोगों को मरने से बचा रहा हूँ। लोग मेरे इस काम से बहुत खुश होंगे। ऐसा कहकर उसने घर का दरवाज़ा बंद किया और वहाँ से चलकर अपने खेत आ गया।

अब जयमल खुश होता है और खुदसे कहता है, मैं यहां अपने खेत में ही रहूँगा। वैसे भी अब मैंने मृत्यु के भगवान यमराज को कैद कर लिया है। अब मुझे मौत से डरने की ज़रुरत नहीं है। ये सोचकर वो बड़े मज़े से अपने खेत में रहने लगा। एक दिन वो अपने खेत में बैठा था! तभी जंगल से एक जंगली सियार उसके खेत में घुस आया और उसकी गाय को खाने लगा। जयमल ने उसे देखा तो वो लाठी लेकर उसे मारने दौड़ा। रुक, मेरी गाय को खाता है, मैं अभी तुझे बताता हूँ!

वो उसके पास गया और उसे डंडे से मारने लगा। लेकिन उसके बहुत मारने पर भी सियार नहीं मरा। जैसे ही वो सियार को डंडा मारता, सियार ज़मीन पर गिर जाता। लेकिन फिर अगले ही पल खड़ा होकर उसे मारने के लिए उसपर कूदने लगता। ऐसा बहुत देर तक चलता रहा। और आखिरकार जयमल का डंडा टूट गया। ऐ भगवान, मेरा डंडा टूट गया! ये सियार मुझे खा तो नहीं सकता। पर ये मुझे काटेगा तो बहुत दर्द होगा!

ये सोचकर वो भाग खड़ा हुआ। सियार भी उसके पीछे भागने लगा। भागते-भागते जयमल ने देखा की जंगल के सभी जानवर गाँव में घुस आए हैं। और लोग उनके डर से यहां वहाँ भाग रहे हैं। थोड़ी और आगे आने पर वो अपने घर के बाहर पहुंचा। वही घर जहां उसने यमराज को कैद किया हुआ था। उसने जल्दी से अपने घर का दरवाज़ा खोला, वो घर के अंदर गया और दरवाज़ा अंदर से बंद करके जोर-जोर से हांफने लगा। उसे हांफता देख

यमराज ने उससे पूछा...क्या हुआ, जयमल?

जयमल यमराज को बताता हैं, मेरे पीछे एक जंगली सियार पड़ गया था! मैंने उसे बहुत मारा लेकिन वो मर ही नहीं रहा था! और तो और जंगल के सभी जानवर गाँव में घुस आए हैं! लोग उनसे डरकर यहां वहाँ भाग रहे हैं!
यमराज जयमल से कहते है, मैंने तुमसे कहा था, अगर मैं अपना काम नहीं करूँगा तो संतुलन बिगड़ जाएगा।

लेकिन जयमल को यमराज की बात समझ नहीं आई। उसने यमराज से पूछा..आप कहना क्या चाहते हैं?

यमराज जयमल को सब समझता है, कोई भी जीव-जंतु या इंसान अमर नहीं हो सकता। सबको एक दिन मरना ही पड़ता है। जीवन और मृत्यु संसार का नियम है, अगर मैं किसी को ना मारुं तो दुनिया बड़े-बड़े जानवरों, साँपों, मछलियों और इंसानों से भर जाएगी और सब तरफ हंगामा मच जाएगा। पक्षियों, जानवरों, कीड़े-मकोड़ों, और इंसानों को मारकर मैं वो संतुलन बनाए रखता हूँ। जयमल यमराज की बात समझ गया। वो हाथ जोड़कर यमराज से बोला… यमराज जी, मुझे माफ़ कर दीजिये। कृपया आप इस बिस्तरे से उठिये और मुझे अपने साथ लेकर चलिए। मैं समझ गया कि जो भी इस दुनिया में आता है, उसे समय आने पर यहां से जाना ही पड़ता है.

यमराज को ये देखकर बहुत ख़ुशी हुई कि वो जयमल जिसको मरने से बहुत डर लगता था, उसे जीवन और मृत्यु का महत्त्व/संतुलन समझ आ गया।

शिक्षा : -  इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि जीवन और मृत्यु संसार के नियम है, और जो इस संसार में आया है उसे अपनी उम्र पूरी होने पर यहां से जाना ही पड़ता है।

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