उड़ता घोड़ा

किसी जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे। एक दिन, सभी जानवर साथ बैठकर बातें कर रहे थे कि उनकी नज़र एक उड़ते हुए घोड़े पर पड़ी। उस घोड़े के सिर पर एक सींग था। घोड़े के सिर पर सींग और उसे उड़ता देख सभी जानवर बिलकुल हैरान थे।

सभी जानवर आपस में उसकी बाते करने लगे, यह जानवर है या पक्षी? जो भी हो, बहुत अजीब है। भला पंख और सींग वाला भी कोई घोड़ा होता है।कितना भद्दा लग रहा है। सभी जानवर घोड़े को देखकर बहुत तेज़ हंसने लगते हैं। वह सब घोड़े पर हंस ही रहे होते है कि घोड़ा ज़मीन पर उतरता है और उन जानवरों के पास जाता है।घोड़ा अपनी बेजती होने के बाद भी उनसे मदद की उम्मीद रखता और उनसे पूछता है, क्या आप सब मेरी मदद कर सकते हैं? मैं अपना रास्ता भटक गया हूँ।

तभी एक भालू बोल पड़ा भला आसमान में उड़ते हुए भी कोई रास्ता भटक सकता है ? तुम जानवर हो या पक्षी ? हाहाहाहा ! इसे तो खुद ही नहीं पता होगा कि यह जानवर है या पक्षी, तो हमें क्या बताएगा। सभी जानवर घोड़े की बहुत बेजती करते है।

घोड़ा उनसे कहता है, मैं एक यूनिकॉर्न हूँ। मैं और मेरा दोस्त ऊँचे आसमान कि सैर कर रहे थे। अचानक तूफ़ान आया और मेरा संतुलन बिगड़ गया। और हम दोनों अलग हो गए। मैं उसे ढूंढ़ते हुए यहाँ आ गया।

घोड़े की बात को अनसुनी करते हुए सभी जानवर उसके पंख और सींग की तरफ देखते रहते हैं और उसका मज़ाक बनाते रहते हैं। यह सब देखकर घोड़े को बहुत बुरा लगता है और वह चुपचाप वहाँ से चला जाता है।

भालू उनसे कहता है, जो भी कहो ! उड़ने का भी अपना अलग मज़ा होता होगा। दूसरी तरफ गोरिल्ला कहता है, बात तो तुम्हारी सही है, लेकिन वह घोड़ा लग बहुत भद्दा लग रहा था। हाहाहाहा !

जानवर बातें कर ही रहे होते है, कि घोड़ा वापस वहाँ आ जाता है। इस बार वह जंगल के दूसरे जानवरों से मिलता है।

घोड़ा एक बार फिर से उनसे मदद की उम्मीद करता है, क्या आप सभी मेरे साथी को ढूंढने में मदद कर सकते हैं ?

हिरण घोड़े के पंखों की तरफ देखते हुए कहता है, क्या यह पंख असली है ? और तुम्हारा यह सींग ! क्या यह भी असली है ? हाँ, मैं उड़ सकता हूँ और यह सींग भी असली है। क्या अब आप मेरी मदद करेंगे ? ऐसा घोड़े ने सभी से कहा

तभी हाथी घोड़े से कहता है, तुम कितने अजीब लग रहे हो ! मुझे तो तुम्हें देखकर हंसी आ रही है।हाहाहा !

हाथी के बोलते ही सभी हंसने लगते हैं। जानवरों कि बातें सुनकर घोड़ा गुस्से में वहाँ से उड़ जाता है, लेकिन कही जाने का रास्ता नहीं मिलने पर कुछ देर बाद वह दोबारा जंगल में आ जाता है और किसी से कुछ न बोलते हुए शांति से एक पेड़ के नीचे रहने लगता है।घोड़े के वहाँ रहने से जंगल का कोई भी जानवर खुश नहीं होता और उसे परेशान करने के लिए हर रोज़ कोई न कोई योजना बनाते रहते है। 



लोमड़ी कहती है आज घोड़े के सींग पर नारियल मारते है, देखते है सींग टूटेगा या नारियल। गोरिल्ला नहीं-नहीं ! आज उसके पंख को रस्सी से बांध देते है। दूसरी तरफ हाथी अरे कहता है, दोस्तों ! उसे अपनी खूबसूरती पर बहुत घमंड है।आज उसके ऊपर काला रंग फेंक देते है।

जानवरों की यह सारी बातें सुनकर घोड़ा बहुत उदास हो जाता है और वहाँ से उड़ जाता है।

घोड़ा (उड़ते हुए) मन ही मन सोचता है, यह सभी जानवर मेरे साथ इतना बुरा व्यवहार क्यों कर रहे हैं ? मैंने तो इनका कुछ भी नहीं बिगाड़ा है। यह जानवर कुछ भी कर ले ! जब तक मेरा दोस्त नहीं मिलेगा, मैं यहाँ से कहीं नहीं जाऊँगा।

अपने दोस्त के बारे में सोचकर घोड़ा जंगल में वापस आता है और वहीं रहने लगता है।समय बीतता है और घोड़ा खुद को जंगल का हिस्सा मानते हुए किसी न किसी तरह सभी जानवरों कि सहायता करने लगता है। कभी वह जानवरों को शिकारियों से बचाता है, तो कभी जंगल में खाना और पानी ढूंढने के लिए उन्हें रास्ता दिखाता है। इतनी सहायता मिलने के बाद भी कोई जानवर उसकी कदर नहीं करता है। और इतना करने के बाद भी हिरण घोड़े के बारे में गलत ही सोचता हमारी मदद करके खुद को जानवर साबित करना चाहता है ? वही दूसरी और से भालू बोला नहीं, यह घोड़ा हमारी मदद करके खुद को महान दिखाना चाहता है।

भालू की बात सुनकर सभी जानवर घोड़े को बुरा-भला बोलने लगते हैं, लेकिन घोड़ा हमेशा कि तरह सभी की बातों को नज़रअंदाज़ कर देता है और शांति से जीवन व्यतीत करता है।एक दिन जंगल में घूमते हुए भालू के पैर ज़मीन पर गिरे शहद की वजह से उसपर चिपक जाते है।

भालू (परेशान होते हुए) कहता कोई तो मुझे बचाओ ! मेरे पैर यहाँ चिपक गए हैं। भालू के चीखने कि आवाज़ सुनकर घोड़ा वहाँ आता हैं और भालू से बोलता है। क्या हुआ, भालू भाई ? तुम्हें कोई मदद चाहिए ? भालू फिर भी घोड़े से गुस्से से कहता अभी मदद करके बाद में एहसान जताना चाहते हो ? मासूम घोड़ा भालू से कहता है, नहीं भालू भाई ! ऐसा कुछ नहीं है। मुझे दूसरों की मदद करके अच्छा लगता है।

भालू कुछ सोच में पड़ जाता है और खुद को वहाँ से बाहर निकालने के लिए घोड़े की मदद लेने को तैयार हो जाता है। मेरे पैर शहद की वजह से ज़मीन पर चिपक गए हैं, क्या तुम मुझे यहाँ से छूटा सकते हो ?

घोडा फिर भी उसकी सहायता करने के लिए हाँ कहता ! तुम मेरे पैरों को पकड़ लो फिर जब मैं ऊपर उड़ूँगा, तो तुम्हारे पैर ज़मीन से छूट जायेंगे।

घोड़े की बात मानते हुए भालू वही करता है जो घोडा कहता है और कुछ देर बाद भालू के पैर शहद से हट जाते हैं। अपने आप को आज़ाद देख भालू बहुत खुश होता है। भालू सुकून की सांस लेता है, चलो मैं बच गया ! मेरे पैर छूट गए। घोड़ा, भालू को ज़मीन पर उतारता है, ज़मीन पर उतरते ही भालू अपने बचने की ख़ुशी में घोड़े का धन्यवाद अदा किये बिना वहाँ से चला जाता है। घोड़ा दुखी होकर खुदसे कहता है, मैं भी तो एक जानवर ही हूँ, सिर्फ मेरे पंखों की वजह से यह सभी जानवर मुझे अपने जैसा मानने से क्यों इंकार करते हैं।

घोड़ा दुखी होकर जंगल में इधर से उधर घूमने लगता है, तभी वहाँ शिकार पर आये राजा कि नज़र उसपर पड़ जाती है। वाह ! कितना सुंदर और अद्भुत घोड़ा हैं।ऐसा घोड़ा तो आस-पास के किसी भी राजा के पास नहीं होगा। अगर यह मुझे मिल जाये तो बाकी सभी के बिच मेरी शान अत्यधिक बढ़ जाएगी।

घोड़े की खूबसूरती से सम्मोहित होकर राजा उसे कैद करके अपने साथ ले जाता है। घोड़े को ले जाते हुए लोमड़ी देख लेती है, लेकिन किसी को कुछ नहीं बताती है। इसी तरह दिन बीतते जाते है और धीरे-धीरे जंगल में भिन्न- भिन्न घटनाएँ घटना शुरू हो जाती हैं। जैसे कभी शिकारी जानवरों को पकड़ कर ले जाते है, तो कभी जानवरों को खाने और पानी की तलाश में पूरा-पूरा दिन जंगल में भटकना पड़ता है। इन सभी घटनाओं से परेशान होकर एक दिन सभी जानवर सभा बुलाते हैं।

सभा में बैठा गोरिल्ला सभी से कहता है, जंगल में अचानक इतनी ज्यादा अशांति क्यों फेल रही है ? यह सब वह घोड़ा ही कर रहा होगा। वह बहुत दिनों से ग़ायब भी है।

आखिरकार लोमड़ी सबको बता ही देती है की, यह सब घोड़ा नहीं कर रहा, लेकिन यह सब उसके जाने की वजह से जरूर हो रहा है। भालू लोमड़ी से कहता है, तुम क्या बोलना चाहते हो ? लोमड़ी कहती है, घोड़ा हमेशा उड़ते हुए शिकारियों का ध्यान रखता था। और उनके आने पर सभी को सावधान भी करता था।वह जंगल में खाना ढूंढने के लिए एक उड़ान भरता था और सभी को आसानी से खाना मिल जाता था। वह निस्वार्थ रहकर सबकी मदद करता था।

लोमड़ी सभी जानवरों को घोड़े के बारे में बता ही रही होती है, कि तभी वहाँ एक बंदर आता है, जिसे बहुत चोट लगी होती है। बंदर सभी जानवरों के पास आता है।

बंदर सभी जानवरों कि तरफ देखते हुए कहता है, क्या आप सभी ने मेरे दोस्त उड़ने वाले घोड़े को देखा है ? जिसके सिर पर सींग है।

हाँ, पिछले कुछ समय से वह घोड़ा हमारे साथ इसी जंगल में रह रहा था, लेकिन अब तुम उससे नहीं मिल सकते। हैरान होकर बंदर उनसे पूछता है, पर ऐसा क्यों ? क्या वह कहीं चला गया ? लोमड़ी बन्दर को सब बताती है, नहीं ! वह कहीं नहीं गया। राजा उसे कैद कर के ले गया।शुरुआत से इस जंगल में उसे कोई पसंद नहीं करता था, लेकिन अब उसके जाने के बाद हम सभी को उसकी अहमियत का पता चल रहा है।

भालू बंदर को बताता है, वह हमेशा हम सभी की मदद करता रहता था और हम कभी भी उसकी कदर नहीं करते थे। हमें किसी भी तरह उसे राजा की कैद से बाहर निकालना होगा।

बंदर पूछता है, लेकिन, हम यह करेंगे कैसे ?

गोरिल्ला को एक तरकीब सूझती है, सभी मिलकर पहले महल चलते है। उसके आगे क्या करना है, वही जाकर सोच लेंगे। गोरिल्ला की बात से सहमत होकर सभी इकट्ठा होकर महल की तरफ बढ़ जाते हैं।रात होते-होते सभी जानवर महल पहुंच जाते हैं।जैसे ही वह सब महल पहुंचते है तो देखते हैं की राजा ने घोड़े को एक मोटी रस्सी से बांध रखा होता है।

हिरण : यह राजा कितना क्रूर हैं।भला किसी प्राणी को इस तरह रखा जाता है।

सभी जानवर इकट्ठा होकर महल के पीछे जाकर खड़े हो जाते है और महल में सबके सोने के बाद, आधी नींद में सो रहे सिपाहियों से बचते हुए बंदर, हिरण और लोमड़ी महल के अंदर घुस जाते हैं।अंदर पहुंचते ही लोमड़ी और हिरण महल में चारों तरह नज़र रखने लगते है और बंदर फुर्ती के साथ अपने दोस्त घोड़े कि रस्सी खोल देता है और वह तीनों घोड़े की पीठ पर बैठ कर महल से उड़ कर बाहर खड़े दूसरे जानवरों के पास पहुंच जाते हैं।

गोरिल्ला घोड़े को बाहर देखकर घोड़े से कहता हैं, हमने तुम्हारे साथ जो किया उसके लिए हमें माफ़ कर दो। हम सभी अपने व्यवहार के लिए बहुत शर्मिंदा है। तुमसे दोबारा मिल कर बहुत अच्छा लगा दोस्त।

बंदर, घोड़े को गले लगा लेता है।

घोड़ा आज आप सभी ने मेरे लिए जो किया वह देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं हमेशा सबकी मदद अपनी ख़ुशी के लिए करता था, लेकिन उसका फल मुझे इस तरह मिलेगा यह मैंने कभी नहीं सोचा था।

इस तरह घोड़े को उसका दोस्त बंदर तो मिल ही जाता है, साथ ही और बहुत सारे दोस्त भी मिल जाते हैं।इसके बाद वह सभी एक साथ ख़ुशी-ख़ुशी अपने जंगल वापस आ जाते है और मिलकर रहने लगते हैं।

शिक्षा : - इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि हमें कीमती चीज़ों का मूल्य उनके खोने के बाद ही पता लगता है।

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