बहुत समय पहले पहाड़ी इलाके में गंगाधर नाम का एक स्कूल टीचर रहता था. वो रोज सुबह अपने घर से दूर स्कूल में बच्चों को विज्ञान पढ़ाने जाता था| एक दिन उसे स्कूल से घर लौटने में बहुत देर हो गई.
गंगाधर रास्ते में खुदसे ये कहता जाता है आज तो मुझे स्कूल में बच्चों को पढ़ाते-पढ़ाते बहुत देर हो गई। वो बहुत तेज़ी से जंगल के पास वाले रास्ते से अपने घर की तरफ जा रहा था । ये जंगल बहुत डरावना था । लोगों का मानना था कि जंगल में बहुत डरावने भूत रहते है इसलिए कोई उस जंगल में नहीं जाता था । लेकिन गंगाधर भूतों पर विश्वास नहीं करता था।
गंगाधर अपने मन में सोचता है मैं रोज़ इतना लंबा घूमकर अपने घर जाता हूँ। क्यों ना आज इस जंगल के रास्ते से जाऊँ। इससे मेरा बहुत समय बच जाएगा. और वैसे भी भूत जैसा कुछ नहीं होता! ऐसा कहकर वो जंगल की तरफ चल दिया। वो ख़ुशी-ख़ुशी जंगल के रास्ते विज्ञान के उसूल दोहराते हुए जा रहा था। गंगाधर अकेले में बड़बड़ाता है जो चीज़ हम देख नहीं सकते, वो झूठ है। जो चीज़ हम महसूस नहीं कर सकते, वो झूठ है। और भूत की बात करने वाले लोग वो तो सबसे बड़े झूठे हैं! वो ऐसे ही मस्ती में चलता हुआ जा रहा है। तभी उसे दूर पेड़ के नीचे एक लड़का बैठा दिखाई दिया। उस लड़के ने गंगाधर के स्कूल के बच्चों की तरह ही पैंट, टाई और हुड वाली जैकेट पहनी हुई थी। गंगाधर उसे देखकर चिल्लाकर बोला अरे, तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम अब तक घर क्यों नहीं गए?
लेकिन वो लड़का टस से मस नहीं हुआ। गंगाधर उस लड़के के पास गया तो वो लड़का सुबक-सुबक कर रो रहा था। गंगाधर फिर एक बार उस बच्चे से कहता है स्कूल बंद हुए इतनी देर हो गई, लेकिन तुम अब तक यहीं हो ! और तुम रो क्यों रहे हो? लेकिन वो लड़का कुछ नहीं बोला और नीचे मुँह करके सुबकता रहा । अब गंगाधर को उस बच्चे की चिंता होने लगी । उसने उसके सिर पर से जैकेट की हुड हटाई और बोला ऊपर देखो । बच्चे ने धीरे से ऊपर देखा । उस बच्चे के चेहरे पर कुछ भी नहीं था. ना आँखें, ना नाक, ना कान और ना ही मुँह ये देखकर गंगाधर जोर से चिल्लाया और वो वहां से भाग खड़ा हुआ. वो बिना मुड़े काफी देर तक भागता रहा । भागते भागते उसे दूर एक टोर्च दिखाई दिया । और वो उस टोर्च की तरफ भागने लगा । नज़दीक जाकर उसने देखा कि टोर्च एक चौकीदार के हाथ में थी ।
चौकीदार ने टोर्च गंगाधर पर मारी । चौकीदार के अपने मुंह पर अंधेरा था । चौकीदार गंगाधर से कहता है क्या हुआ साब? आप किससे डरकर भाग रहे हो? गंगाधर जोर-जोर से हांफते हुए उसे जवाब देता है वहाँ, वहाँ एक बच्चा था । उसके चेहरे पर कुछ भी नहीं था । ना आँखें, ना नाक, ना कान, और... ना ही मुंह कुछ भी नहीं था! चौकीदार उस कहता है आँखें, नाक, कान, मुंह, कुछ भी नहीं था?
गंगाधर अपनी सांस को संभालता हुआ कुछ भी नहीं, बस एक... खाली चेहरा था! साब, जिसको आपने देखा, कहीं वो ऐसा तो नहीं दिखता था? ऐसा कहकर चौकीदार ने टोर्च को अपने मुंह की तरफ किया। गंगाधर ने रोशनी में चौकीदार के मुंह की तरफ देखा। चौकीदार के चेहरे पर भी कुछ भी नहीं था. ना आँखें, ना नाक, ना कान और ना ही मुँह. ये देखकर गंगाधर जोर से चिल्लाया और बेहोश होकर वहीं गिर गया । चौकीदार कैमरा की तरफ चेहरा करता है, और फिर अचानक टोर्च बंद कर देता है ।
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गंगाधर रास्ते में खुदसे ये कहता जाता है आज तो मुझे स्कूल में बच्चों को पढ़ाते-पढ़ाते बहुत देर हो गई। वो बहुत तेज़ी से जंगल के पास वाले रास्ते से अपने घर की तरफ जा रहा था । ये जंगल बहुत डरावना था । लोगों का मानना था कि जंगल में बहुत डरावने भूत रहते है इसलिए कोई उस जंगल में नहीं जाता था । लेकिन गंगाधर भूतों पर विश्वास नहीं करता था।
गंगाधर अपने मन में सोचता है मैं रोज़ इतना लंबा घूमकर अपने घर जाता हूँ। क्यों ना आज इस जंगल के रास्ते से जाऊँ। इससे मेरा बहुत समय बच जाएगा. और वैसे भी भूत जैसा कुछ नहीं होता! ऐसा कहकर वो जंगल की तरफ चल दिया। वो ख़ुशी-ख़ुशी जंगल के रास्ते विज्ञान के उसूल दोहराते हुए जा रहा था। गंगाधर अकेले में बड़बड़ाता है जो चीज़ हम देख नहीं सकते, वो झूठ है। जो चीज़ हम महसूस नहीं कर सकते, वो झूठ है। और भूत की बात करने वाले लोग वो तो सबसे बड़े झूठे हैं! वो ऐसे ही मस्ती में चलता हुआ जा रहा है। तभी उसे दूर पेड़ के नीचे एक लड़का बैठा दिखाई दिया। उस लड़के ने गंगाधर के स्कूल के बच्चों की तरह ही पैंट, टाई और हुड वाली जैकेट पहनी हुई थी। गंगाधर उसे देखकर चिल्लाकर बोला अरे, तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम अब तक घर क्यों नहीं गए?
लेकिन वो लड़का टस से मस नहीं हुआ। गंगाधर उस लड़के के पास गया तो वो लड़का सुबक-सुबक कर रो रहा था। गंगाधर फिर एक बार उस बच्चे से कहता है स्कूल बंद हुए इतनी देर हो गई, लेकिन तुम अब तक यहीं हो ! और तुम रो क्यों रहे हो? लेकिन वो लड़का कुछ नहीं बोला और नीचे मुँह करके सुबकता रहा । अब गंगाधर को उस बच्चे की चिंता होने लगी । उसने उसके सिर पर से जैकेट की हुड हटाई और बोला ऊपर देखो । बच्चे ने धीरे से ऊपर देखा । उस बच्चे के चेहरे पर कुछ भी नहीं था. ना आँखें, ना नाक, ना कान और ना ही मुँह ये देखकर गंगाधर जोर से चिल्लाया और वो वहां से भाग खड़ा हुआ. वो बिना मुड़े काफी देर तक भागता रहा । भागते भागते उसे दूर एक टोर्च दिखाई दिया । और वो उस टोर्च की तरफ भागने लगा । नज़दीक जाकर उसने देखा कि टोर्च एक चौकीदार के हाथ में थी ।
चौकीदार ने टोर्च गंगाधर पर मारी । चौकीदार के अपने मुंह पर अंधेरा था । चौकीदार गंगाधर से कहता है क्या हुआ साब? आप किससे डरकर भाग रहे हो? गंगाधर जोर-जोर से हांफते हुए उसे जवाब देता है वहाँ, वहाँ एक बच्चा था । उसके चेहरे पर कुछ भी नहीं था । ना आँखें, ना नाक, ना कान, और... ना ही मुंह कुछ भी नहीं था! चौकीदार उस कहता है आँखें, नाक, कान, मुंह, कुछ भी नहीं था?
गंगाधर अपनी सांस को संभालता हुआ कुछ भी नहीं, बस एक... खाली चेहरा था! साब, जिसको आपने देखा, कहीं वो ऐसा तो नहीं दिखता था? ऐसा कहकर चौकीदार ने टोर्च को अपने मुंह की तरफ किया। गंगाधर ने रोशनी में चौकीदार के मुंह की तरफ देखा। चौकीदार के चेहरे पर भी कुछ भी नहीं था. ना आँखें, ना नाक, ना कान और ना ही मुँह. ये देखकर गंगाधर जोर से चिल्लाया और बेहोश होकर वहीं गिर गया । चौकीदार कैमरा की तरफ चेहरा करता है, और फिर अचानक टोर्च बंद कर देता है ।
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