पिछली भाग में आपने देखा कि गंगाधर नाम का विज्ञान का अध्यापक जो भूत मैं बिल्कुल विश्वास नहीं करता था। एक बार जल्दी घर पहुँचने के लिए वो जंगल का रास्ता लेता है। उस खौफनाक रास्ते पर उसे कुछ भूत मिलते हैं, जिनके चेहरे पर आँख, कान, नाक, मुंह... कुछ भी नहीं था। ये देखकर गंगाधर बेहोश हो जाता है।
अब आगे...
सुबह गंगाधर बेहोशी से उठा। उसने आसपास देखा तो उसे कोई दिखाई नहीं दिया। वो बिना पीछे मुड़े जंगल से बाहर की तरफ भागने लगा। कुछ देर भागने पर उसे एक आवाज़ सुनाई दी।
बूढ़ा आदमी गंगाघर से कहता है, सुनो, तुम किससे डरकर भाग रहे हो!? गंगाधर उसे पलटकर देखता है। अचानक बूढ़ा आदमी उसे देखकर डर जाता है। गंगाधर उससे पूछता है, क्या हुआ!? तुम्हारी आंखें कहाँ हैं, बूढ़ा आदमी उससे कहता है।
उन भूतों की तरह गांगाधर की एक आँख गायब हो चुकी है। गंगाधर अपनी आँख को हाथ लगाता है अरे, मेरी एक आँख कहाँ गई!? बूढ़ा आदमी गंगाधर से पूछता है, क्या तुमने जंगल में कुछ अजीब देखा था? हाँ, कल रात मैंने जंगल में दो भूतों को देखा था, जिनके चेहरे पर आँख, नाक, मुंह... कुछ भी नहीं था। जिसको तुमने देखा वो भूत नहीं, शापित लोग थे! और अब उनको देखने के कारण वो श्राप तुम्हें भी लग गया है! क्या? अब क्या होगा?
बूढ़ा आदमी उससे कहता है, अब तुम कभी इस जंगल से नहीं निकल पाओगे, और धीरे-धीरे तुम्हारे भी आँख, कान, नाम और मुँह गायब हो जाएंगे। ये सुनकर गंगाधर बहुत घबरा गया। उस बूढ़े आदमी ने उसे समझाया पर तुम चाहो तो ये श्राप खत्म कर सकते हो। गंगाधर उससे पूछता है वो कैसे?
बूढ़ा आदमी बहुत समय पहले एक राजकुमारी इस जंगल में शिकार के लिए आई थी. उसे देखकर दूसरे जंगल से आए एक तोते ने उसके चेहरे का मज़ाक उड़ाते हुआ कहा था... इस राजकुमारी का चेहरा कितना अजीब है। इसके नाक, कान, मुंह और आँखें इतनी छोटी है कि दिखाई ही नहीं देती। ऐसा लगता है जैसे चेहरे पर कुछ है ही नहीं! हाहाहाहा!
ये सुनकर राजकुमारी को बहुत बुरा लगा। उसने तोते को श्राप देते हुए कहा… तोते, मैं तुझे श्राप देती हूँ कि जो कहकर तूने मेरा मज़ाक उड़ाया है, तेरा मुंह वैसा ही हो जाएगा और तू हमेशा के लिए इसी जंगल में भटकता रहेगा। और जो भी तुझे देखेगा, उसे भी ये श्राप लग जाएगा!
बूढ़ा आदमी गंगाधर से फिर कहता है, अगर तुम उस तोते को मार दो, तो ये श्राप खत्म हो सकता है। वो तोता तुम्हें पहाड़ के उस पार मिलेगा। पर याद रखना अगर तुम्हारी दोनों आँखें, दोनों कान, नाक और मुंह एक बार गायब हो गए... तो तुम ये श्राप खत्म नहीं कर पाओगे, और हमेशा के लिए इस जंगल में फंसकर रह जाओगे। गंगाधर हमेशा के लिए इस जंगल में फंसकर नहीं रहना चाहता था। इसलिए वो जल्दी बूढ़े के बताए पहाड़ पर गया और तोते को ढूंढने लगा।
अब मुझे समझ आया, वो बच्चा और चौकीदार मुझे डरा नहीं रहे थे, वो तो मुझसे मदद मांग रहे थे। बस अब जल्दी से मुझे वो तोता मिल जाए... तो उसे मारकर मैं इस श्राप को खत्म कर दूँ। गंगाधर बहुत देर तक तोते को ढूँढता रहा। तभी उसे नदी में अपना चेहरा दिखाई दिया। उसका एक कान और नाक गायब हो चुकें हैं। मेरे कान और नाक गायब हो गए! मुझे जल्द से जल्द उस तोते को ढूंढना होगा, नहीं तो मैं हमेशा के लिए इस जंगल में फंसकर रह जाऊँगा! वो जल्दी जल्दी तोते को ढूंढने लगा। आखिरकार उसे वो तोता दिखाई दिया। एक तोता पेड़ पर बैठा है। उसके चेहरे पर कुछ भी नहीं है। ना ही आँखें और न ही चोंच तोते को देखकर गंगाधर सोचने लगा...
गंगाधर मन में बेशक ये तोता इस तरह से जी कर थक चुका है, लेकिन कोई भी अपनी मर्ज़ी से क्यों मरना चाहेगा? मुझे इसे अपनी बातों में फँसाना होगा। तभी उसे एक तरकीब सूझी।
गंगाधर तोते से कहता है, सुनो, मुझे दूसरे जंगल से एक बूढ़े तोते ने तुम्हें मुक्ति दिलाने के लिए भेजा है। अगर तुम मेरे साथ चलो तो मैं तुम्हें राजकुमारी के श्राप से मुक्ति दिला सकता हूँ। तोता ख़ुशी से सच? हाँ, पर उसके लिए तुम्हें मेरे साथ चलना होगा। तोता मैं तुम्हारे साथ कहीं भी चलने के लिए तैयार हूँ। बस मुझे फिर से पहले जैसा बना दो। मैं उड़कर दूर अपने जंगल जाना चाहता हूँ। गंगाधर उस तोते को अपने कंधे पर बिठाकर वहाँ से चल दिया। कुछ आगे जाकर उसने सोचा...
गंगाधर मन में कहते हुए बोलता है, मैं इस तोते को नहीं मार पाऊंगा। लेकिन इसे मारना भी जरूरी है। ये सोचकर वो तोते को एक नदी के पास ले गया और बोला... अगर तुम इस नदी में लगातार 100 डुबकियां लगा लो... तो तुम्हारा श्राप खत्म हो जाएगा।
उसके ऐसा कहते ही तोते ने नदी में छलांग लगा दी और वो नदी में डुबकी लगाने लगा। लेकिन नदी का पानी बहुत ठंडा था। इसलिए 100 डुबकी पूरी होने से पहले ही तोता ठंड के कारण मर गया। तोते के मरते ही राजकुमारी का श्राप खत्म हो गया और गंगाधर की एक आँख, कान और नाक वापिस आ गए। इसी के साथ बाकी सभी का श्राप भी खत्म हो गया।
गंगाधर ख़ुशी से अरे मेरी आँख और कान वापिस आ गए! मेरा श्राप खत्म हो गया! तभी गंगाधर को ख्याल आया। मैं तो भूतों पर विश्वास ही नहीं करता था, पर ये सब देखने के बाद मुझे विश्वास हो गया कि इस दुनिया में ऐसे बहुत से प्राणी हैं जो हमारे बीच ही रहते हैं, पर हम उन्हें देख नहीं सकते।
तो इस तरह इस घटना के बाद एक विज्ञान के अध्यापक को अपनी धारणा बदलनी पड़ी।
शिक्षा :- हमे ये शिक्षा मिलती है कि हमें बिना जाने किसी के बारे में कोई धारणा नहीं बनानी चाहिए।
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अब आगे...
सुबह गंगाधर बेहोशी से उठा। उसने आसपास देखा तो उसे कोई दिखाई नहीं दिया। वो बिना पीछे मुड़े जंगल से बाहर की तरफ भागने लगा। कुछ देर भागने पर उसे एक आवाज़ सुनाई दी।
बूढ़ा आदमी गंगाघर से कहता है, सुनो, तुम किससे डरकर भाग रहे हो!? गंगाधर उसे पलटकर देखता है। अचानक बूढ़ा आदमी उसे देखकर डर जाता है। गंगाधर उससे पूछता है, क्या हुआ!? तुम्हारी आंखें कहाँ हैं, बूढ़ा आदमी उससे कहता है।
उन भूतों की तरह गांगाधर की एक आँख गायब हो चुकी है। गंगाधर अपनी आँख को हाथ लगाता है अरे, मेरी एक आँख कहाँ गई!? बूढ़ा आदमी गंगाधर से पूछता है, क्या तुमने जंगल में कुछ अजीब देखा था? हाँ, कल रात मैंने जंगल में दो भूतों को देखा था, जिनके चेहरे पर आँख, नाक, मुंह... कुछ भी नहीं था। जिसको तुमने देखा वो भूत नहीं, शापित लोग थे! और अब उनको देखने के कारण वो श्राप तुम्हें भी लग गया है! क्या? अब क्या होगा?
बूढ़ा आदमी उससे कहता है, अब तुम कभी इस जंगल से नहीं निकल पाओगे, और धीरे-धीरे तुम्हारे भी आँख, कान, नाम और मुँह गायब हो जाएंगे। ये सुनकर गंगाधर बहुत घबरा गया। उस बूढ़े आदमी ने उसे समझाया पर तुम चाहो तो ये श्राप खत्म कर सकते हो। गंगाधर उससे पूछता है वो कैसे?
बूढ़ा आदमी बहुत समय पहले एक राजकुमारी इस जंगल में शिकार के लिए आई थी. उसे देखकर दूसरे जंगल से आए एक तोते ने उसके चेहरे का मज़ाक उड़ाते हुआ कहा था... इस राजकुमारी का चेहरा कितना अजीब है। इसके नाक, कान, मुंह और आँखें इतनी छोटी है कि दिखाई ही नहीं देती। ऐसा लगता है जैसे चेहरे पर कुछ है ही नहीं! हाहाहाहा!
ये सुनकर राजकुमारी को बहुत बुरा लगा। उसने तोते को श्राप देते हुए कहा… तोते, मैं तुझे श्राप देती हूँ कि जो कहकर तूने मेरा मज़ाक उड़ाया है, तेरा मुंह वैसा ही हो जाएगा और तू हमेशा के लिए इसी जंगल में भटकता रहेगा। और जो भी तुझे देखेगा, उसे भी ये श्राप लग जाएगा!
बूढ़ा आदमी गंगाधर से फिर कहता है, अगर तुम उस तोते को मार दो, तो ये श्राप खत्म हो सकता है। वो तोता तुम्हें पहाड़ के उस पार मिलेगा। पर याद रखना अगर तुम्हारी दोनों आँखें, दोनों कान, नाक और मुंह एक बार गायब हो गए... तो तुम ये श्राप खत्म नहीं कर पाओगे, और हमेशा के लिए इस जंगल में फंसकर रह जाओगे। गंगाधर हमेशा के लिए इस जंगल में फंसकर नहीं रहना चाहता था। इसलिए वो जल्दी बूढ़े के बताए पहाड़ पर गया और तोते को ढूंढने लगा।
अब मुझे समझ आया, वो बच्चा और चौकीदार मुझे डरा नहीं रहे थे, वो तो मुझसे मदद मांग रहे थे। बस अब जल्दी से मुझे वो तोता मिल जाए... तो उसे मारकर मैं इस श्राप को खत्म कर दूँ। गंगाधर बहुत देर तक तोते को ढूँढता रहा। तभी उसे नदी में अपना चेहरा दिखाई दिया। उसका एक कान और नाक गायब हो चुकें हैं। मेरे कान और नाक गायब हो गए! मुझे जल्द से जल्द उस तोते को ढूंढना होगा, नहीं तो मैं हमेशा के लिए इस जंगल में फंसकर रह जाऊँगा! वो जल्दी जल्दी तोते को ढूंढने लगा। आखिरकार उसे वो तोता दिखाई दिया। एक तोता पेड़ पर बैठा है। उसके चेहरे पर कुछ भी नहीं है। ना ही आँखें और न ही चोंच तोते को देखकर गंगाधर सोचने लगा...
गंगाधर मन में बेशक ये तोता इस तरह से जी कर थक चुका है, लेकिन कोई भी अपनी मर्ज़ी से क्यों मरना चाहेगा? मुझे इसे अपनी बातों में फँसाना होगा। तभी उसे एक तरकीब सूझी।
गंगाधर तोते से कहता है, सुनो, मुझे दूसरे जंगल से एक बूढ़े तोते ने तुम्हें मुक्ति दिलाने के लिए भेजा है। अगर तुम मेरे साथ चलो तो मैं तुम्हें राजकुमारी के श्राप से मुक्ति दिला सकता हूँ। तोता ख़ुशी से सच? हाँ, पर उसके लिए तुम्हें मेरे साथ चलना होगा। तोता मैं तुम्हारे साथ कहीं भी चलने के लिए तैयार हूँ। बस मुझे फिर से पहले जैसा बना दो। मैं उड़कर दूर अपने जंगल जाना चाहता हूँ। गंगाधर उस तोते को अपने कंधे पर बिठाकर वहाँ से चल दिया। कुछ आगे जाकर उसने सोचा...
गंगाधर मन में कहते हुए बोलता है, मैं इस तोते को नहीं मार पाऊंगा। लेकिन इसे मारना भी जरूरी है। ये सोचकर वो तोते को एक नदी के पास ले गया और बोला... अगर तुम इस नदी में लगातार 100 डुबकियां लगा लो... तो तुम्हारा श्राप खत्म हो जाएगा।
उसके ऐसा कहते ही तोते ने नदी में छलांग लगा दी और वो नदी में डुबकी लगाने लगा। लेकिन नदी का पानी बहुत ठंडा था। इसलिए 100 डुबकी पूरी होने से पहले ही तोता ठंड के कारण मर गया। तोते के मरते ही राजकुमारी का श्राप खत्म हो गया और गंगाधर की एक आँख, कान और नाक वापिस आ गए। इसी के साथ बाकी सभी का श्राप भी खत्म हो गया।
गंगाधर ख़ुशी से अरे मेरी आँख और कान वापिस आ गए! मेरा श्राप खत्म हो गया! तभी गंगाधर को ख्याल आया। मैं तो भूतों पर विश्वास ही नहीं करता था, पर ये सब देखने के बाद मुझे विश्वास हो गया कि इस दुनिया में ऐसे बहुत से प्राणी हैं जो हमारे बीच ही रहते हैं, पर हम उन्हें देख नहीं सकते।
तो इस तरह इस घटना के बाद एक विज्ञान के अध्यापक को अपनी धारणा बदलनी पड़ी।
शिक्षा :- हमे ये शिक्षा मिलती है कि हमें बिना जाने किसी के बारे में कोई धारणा नहीं बनानी चाहिए।
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