किसी जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे। सभी जानवर जंगल को साफ़ रखते थे और अपने-अपने काम को समय पर करते थे। उसी जंगल में एक शक्तिशाली जिन्न भी रहता था। जंगल के सभी जानवर बहुत चुस्त थे, पर ऊंट बहुत आलसी था। ऊंट जंगल के किसी भी काम को नहीं करता था। सभी जानवर ऊंट से बहुत परेशान थे। एक दिन शेर ने एक सभा का आयोजन किया। सभी जानवर वहाँ इकठ्ठा हुए।
मैने तुम सबको यहाँ एक खास वजह से बुलाया है ऐसा शेर ने कहा, सभी जानवर शेर से पूछने लगे कैसी वजह महाराज ? तो शेर ने कहा यह जंगल हमारा घर है। इसलिए आज से हम सभी जानवर जंगल के सारे काम मिलजुल कर करेंगे। उन्हें यह बात अच्छी लगी और उन्होंने अपने-अपने काम आपस में बाँट लिया।
घोडा कहने लगा हम सबने तो अपने-अपने काम बाँट लिए पर ऊंट को तो कोई काम मिला ही नहीं। इस पर ऊंट ने कहा मैं जंगल के सभी कामों को करने में तुम सबकी सहायता करूँगा। घोड़े को ये बात ठीक लगी ! तुम जंगल के सभी जानवरों की सहायता करना।
सभी जानवरों अपने-अपने काम में व्यस्त हो गए। यह देख कर ऊंट एक घने पेड़ के नीचे बैठ गया । जब कोई जानवर उसे काम के लिए बोलता, तो वह काम करने से मना कर देता। बहुत दिन बीत जाने पर भी ऊंट ने किसी काम को करने में अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाई ।
घोडा ऊंट से कहने लगा भाई ज़रा इस तालाब को साफ़ करने में मेरी सहायता कर दो। अरे ! यह काम तो तुम्हारा है। फिर मैं इसमें तुम्हारी सहायता क्यों करूँ ? यह कहते हुए ऊंट वहाँ से चला गया। रास्ते में उसे गधा मिला। गधा ऊंट से कहता है भाई ! ज़रा इस बोझ को जंगल तक पहुंचाने में मेरी सहायता कर दो। नहीं नहीं, अगर मैं इतना बोझ उठाऊंगा, तो तुम्हारी तरह गधा नहीं बन जाऊंगा।
गधे को ऊंट की यह बात बुरी लगी और उसने अकेले ही सारा बोझ जंगल तक पहुंचाया। ऊंट जंगल के बाहर जाने वाले रस्ते पर सो गया। तभी वहाँ जैकु कुत्ता आया। अरे ऊंट भाई उठो ! यह सोने का समय है क्या ? चलो मेरे साथ जंगल की देखभाल करो ।
इस पर ऊंट जैकु भाई, मैं बहुत थक गया हूँ। इसलिए मुझे थोड़ी देर सोने दो। थक गए हो ! पर तुम तो सारा दिन सोते ही रहते हो, फिर थक कैसे गए ? ऊंट को जैकु की बात बुरी लगी और वह मुँह बना कर वहाँ से चला गया । सभी जानवर ऊंट से परेशान हो गए थे । वह सभी दुखी हो कर जंगल के जिन्न के पास गए । जिन्न ने सबको एक साथ अपने पास देखकर कहा…
अरे तुम सब एक साथ यहाँ ! सब ठीक तो है ? सभी जानवर कहने लगे सब ठीक है जिन्न भाई , बस हम सब तो ऊंट से परेशान हैं।
जिन्न ने उनसे पूछा ऐसा क्या हुआ ? सभी जानवरों ने जिन्न को पूरी बात बताई और उससे निवेदन किया कि वह ऊंट को ऐसी सजा दे जिससे, उसे अपने आलस का एहसास हो जाये। अगर ऐसी बात है, तो मैं कोई तरकीब सोचता हूँ।
कुछ देर बाद जिन्न को एक तरकीब सूझी, उसने अपने जादू से ऊंट की पीठ पर एक कूबड़ बना दिया । अगली सुबह जब ऊंट जंगल में घूमने आया तो सभी जानवरों ने उसका मज़ाक बनाते हुए कहा… ।
सभी जानवर ऊंट से कहते है, भाई कल रात को कहीं पिटाई हुई है क्या ? नहीं तो, ऐसा तो कुछ नहीं हुआ, फिर तुम सब ऐसे क्यों बोल रहे हो ? तभी शेर भी वहाँ आया और उसने ऊंट से पूछा ।
शेर कहता है अरे ऊंट भाई तुम्हारी पीठ पर यह भदा सा कूबड़ कहाँ से आया, पहले तो इसे कभी नहीं देखा। ऊंट ने मुड़ के अपनी पीठ की तरफ देखा। वह बहुत दुखी हो गया और जिन्न के पास जाकर बोला…
जिन्न भाई देखो यह मेरी पीठ पर क्या हो गया है। तुम इसे अपनी शक्ति से ठीक कर दो। यह बहुत भदा दिख रहा है। मैं यह नहीं कर सकता ! क्योंकि यह भदा कूबड़ तुम्हें सज़ा के तौर पर दिया गया है। अब तुम आराम से सो सकते हो।
तब से ले कर आज तक ऊंट की पीठ पर कूबड़ बना हुआ है। ऊंट अब इस बात को समझ गया की यह सब उसके आलस के कारण हुआ है और फिर वह सभी काम समय पर करने लगता है।
शिक्षा : हमें यह शिक्षा मिलती है की हमे अपना काम समय पर करना चाहिए और कभी भी आलस नहीं करना चाहिए।
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मैने तुम सबको यहाँ एक खास वजह से बुलाया है ऐसा शेर ने कहा, सभी जानवर शेर से पूछने लगे कैसी वजह महाराज ? तो शेर ने कहा यह जंगल हमारा घर है। इसलिए आज से हम सभी जानवर जंगल के सारे काम मिलजुल कर करेंगे। उन्हें यह बात अच्छी लगी और उन्होंने अपने-अपने काम आपस में बाँट लिया।
घोडा कहने लगा हम सबने तो अपने-अपने काम बाँट लिए पर ऊंट को तो कोई काम मिला ही नहीं। इस पर ऊंट ने कहा मैं जंगल के सभी कामों को करने में तुम सबकी सहायता करूँगा। घोड़े को ये बात ठीक लगी ! तुम जंगल के सभी जानवरों की सहायता करना।
सभी जानवरों अपने-अपने काम में व्यस्त हो गए। यह देख कर ऊंट एक घने पेड़ के नीचे बैठ गया । जब कोई जानवर उसे काम के लिए बोलता, तो वह काम करने से मना कर देता। बहुत दिन बीत जाने पर भी ऊंट ने किसी काम को करने में अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाई ।
घोडा ऊंट से कहने लगा भाई ज़रा इस तालाब को साफ़ करने में मेरी सहायता कर दो। अरे ! यह काम तो तुम्हारा है। फिर मैं इसमें तुम्हारी सहायता क्यों करूँ ? यह कहते हुए ऊंट वहाँ से चला गया। रास्ते में उसे गधा मिला। गधा ऊंट से कहता है भाई ! ज़रा इस बोझ को जंगल तक पहुंचाने में मेरी सहायता कर दो। नहीं नहीं, अगर मैं इतना बोझ उठाऊंगा, तो तुम्हारी तरह गधा नहीं बन जाऊंगा।
गधे को ऊंट की यह बात बुरी लगी और उसने अकेले ही सारा बोझ जंगल तक पहुंचाया। ऊंट जंगल के बाहर जाने वाले रस्ते पर सो गया। तभी वहाँ जैकु कुत्ता आया। अरे ऊंट भाई उठो ! यह सोने का समय है क्या ? चलो मेरे साथ जंगल की देखभाल करो ।
इस पर ऊंट जैकु भाई, मैं बहुत थक गया हूँ। इसलिए मुझे थोड़ी देर सोने दो। थक गए हो ! पर तुम तो सारा दिन सोते ही रहते हो, फिर थक कैसे गए ? ऊंट को जैकु की बात बुरी लगी और वह मुँह बना कर वहाँ से चला गया । सभी जानवर ऊंट से परेशान हो गए थे । वह सभी दुखी हो कर जंगल के जिन्न के पास गए । जिन्न ने सबको एक साथ अपने पास देखकर कहा…
अरे तुम सब एक साथ यहाँ ! सब ठीक तो है ? सभी जानवर कहने लगे सब ठीक है जिन्न भाई , बस हम सब तो ऊंट से परेशान हैं।
जिन्न ने उनसे पूछा ऐसा क्या हुआ ? सभी जानवरों ने जिन्न को पूरी बात बताई और उससे निवेदन किया कि वह ऊंट को ऐसी सजा दे जिससे, उसे अपने आलस का एहसास हो जाये। अगर ऐसी बात है, तो मैं कोई तरकीब सोचता हूँ।
कुछ देर बाद जिन्न को एक तरकीब सूझी, उसने अपने जादू से ऊंट की पीठ पर एक कूबड़ बना दिया । अगली सुबह जब ऊंट जंगल में घूमने आया तो सभी जानवरों ने उसका मज़ाक बनाते हुए कहा… ।
सभी जानवर ऊंट से कहते है, भाई कल रात को कहीं पिटाई हुई है क्या ? नहीं तो, ऐसा तो कुछ नहीं हुआ, फिर तुम सब ऐसे क्यों बोल रहे हो ? तभी शेर भी वहाँ आया और उसने ऊंट से पूछा ।
शेर कहता है अरे ऊंट भाई तुम्हारी पीठ पर यह भदा सा कूबड़ कहाँ से आया, पहले तो इसे कभी नहीं देखा। ऊंट ने मुड़ के अपनी पीठ की तरफ देखा। वह बहुत दुखी हो गया और जिन्न के पास जाकर बोला…
जिन्न भाई देखो यह मेरी पीठ पर क्या हो गया है। तुम इसे अपनी शक्ति से ठीक कर दो। यह बहुत भदा दिख रहा है। मैं यह नहीं कर सकता ! क्योंकि यह भदा कूबड़ तुम्हें सज़ा के तौर पर दिया गया है। अब तुम आराम से सो सकते हो।
तब से ले कर आज तक ऊंट की पीठ पर कूबड़ बना हुआ है। ऊंट अब इस बात को समझ गया की यह सब उसके आलस के कारण हुआ है और फिर वह सभी काम समय पर करने लगता है।
शिक्षा : हमें यह शिक्षा मिलती है की हमे अपना काम समय पर करना चाहिए और कभी भी आलस नहीं करना चाहिए।
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