एक बार की बात हैं। किसी बर्फीले पहाड़ की चोटी पर ध्रुवीय भालू रहते थे। उसी पहाड़ पर नीचे की तरफ बहुत सारे पांडा भी रहते थे।बहुत दूर-दूर रहने की वजह से पांडा और ध्रुवीय भालू का कभी आमना-सामना नहीं हुआ था । एक दिन एक बच्चा पांडा अपनी माँ से पूछता हैं। माँ ! हम कभी पहाड़ के ऊपर की तरफ क्यों नहीं जाते ? पांडा की माँ अपने बच्चे से कहती है क्योंकि, ऊपर की तरफ ध्रुवीय भालू रहते हैं। मैंने सुना है की वह बहुत खतरनाक होते हैं। इसीलिए हम कभी पहाड़ के उस तरफ नहीं जाते और न ही वह कभी नीचे की तरफ आते हैं। पांडा अपनी माँ से पूछता है, आप उनसे मिली हो ? नहीं बेटा ! मैं उनसे कभी नहीं मिली। ऐसा पांडा की माँ उससे कहती है चलो अब तुम अपने दोस्तों के साथ खेलों और मुझे आराम करने दो।
इसके बाद वह बच्चा पांडा वहा से चला जाता है।एक तरफ जहाँ पांडा, ध्रुवीय भालू के बारे में पूछता है, वही दूसरी तरफ एक ध्रुवीय भालू का बच्चा भी अपने पापा से पूछता हैं।
भालू का बच्चा पापा ! हम हमेशा इस चोटी पर ही क्यों रहते हैं ? कभी नीचे की तरफ क्यों नहीं जाते ? भालू के पापा कहते है क्योंकि, पहाड़ की नीचे की तरफ पांडा रहते हैं और मैंने सुना है की पांडा सिर्फ अपनों के साथ ही प्यार से रहते हैं। इसीलिए हम कभी नीचे की तरफ नहीं जाते और न ही कभी वह ऊपर की तरफ आते हैं।
भालू आपस में बात कर ही रहे होते है की तभी पहाड़ की चोटी पर भूस्खलन होता हैं।जिसकी आवाज़ पांडा तक भी पहुँचती हैं, लेकिन उसका असर सिर्फ ध्रुवीय भालुओं पर ही होता हैं।आवाज़ सुनकर सभी पांडा डर जाते है और एक जगह इकट्ठा हो जाते हैं।
पांडा डरते हुए कहता है यह डरावनी आवाज़ कैसी थी ? जरूर पहाड़ की चोटी की तरफ भूस्खलन हुआ हैं। वहां तो ध्रुवीय भालू रहते हैं।वह सब ठीक तो होंगे न ? पांडा की माँ उसे कहती है वो हमें नहीं पता ! चलो सभी वापस अपने-अपने घर चलते हैं।
अगली सुबह बच्चा पांडा अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए घर से बाहर निकलता हैं ।थोड़ी दूर पहुंचने पर उसे एक जगह बहुत सारी मिट्टी पड़ी हुए नज़र आती हैं।
पांडा अपने मन में सोचता है यह मिट्टी का ढेर कल तक तो यहाँ नहीं था। अचानक इतने बड़े मिट्टी के ढेर को वहां देख पांडा असमंजस में पड़ जाता हैं। वह उस ढेर को देख ही रहा होता है की तभी उसके अंदर से एक पांडा बाहर निकलता हैं। पांडा चौंकते हुए दूसरे पांडा से कहता है अरे ! तुम इस मिट्टी के ढेर में क्या कर रहे थे ? पांडा यह पांडा हमारे पहाड़ का तो नहीं लगता। इसका रंग भी हमसे कुछ अलग हैं। फिर वो उस पांडा से पूछता है दोस्त तुम कहाँ से आये हो ? बताओ दोस्त ! तुम कौन हो ? बच्चा भालू मन में सोचते हुए लगता है, मेरे ऊपर मिट्टी लगने की वजह से यह लोग मुझे पहचान नहीं पाए और मुझे भी एक पांडा समझ रहे हैं। भालू का बच्चा मैं कल रात ही इस पहाड़ पर नया आया हूँ। क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे ?
सभी बच्चें उससे दोस्ती करने के लिए हाँ बोल देते हैं और अब बच्चा भालू, पांडा के साथ रहने लगता हैं।
पांडा की माँ बच्चा भालू से पूछती है बेटा ! तुम कौन से पहाड़ से आये हो ? भालू का बच्चा मैं यहाँ से थोड़ी दूर एक पहाड़ पर रहता हूँ।एक दिन परिवार के साथ घूमते हुए मैं गुम हो गया और भटकते हुए यहाँ पहुंच गया। पांडा का बच्चा अपनी माँ से कहता है, आज से यह हमारे साथ ही रहेगा। भालू का बच्चा मन में सोचते हुए कहता है, यह पांडा कितने अच्छे है। लेकिन अभी भी यह मेरे साथ प्यार से इसीलिए रह रहे है क्योंकि मैं इन्हे एक पांडा लग रहा हूँ। पांडा भालू के साथ खेलता है और बाकी दोस्तों को भी साथ ले चलता है और कहता है चलो दोस्त, हम सब मिलकर बाहर खेलने चलते हैं।
भालू ख़ुशी-ख़ुशी पांडा के साथ रहने लगता हैं।इसी तरह दिन बीतते जाते हैं।एक दिन सभी पांडा खेलने के लिए पहाड़ पर बह रही नहर के पास जाते हैं।भालू जब वहां पहुँचता है तो पानी देखकर घबरा जाता हैं। भालू का बच्चा मन में सोचते हुए अगर यह पानी मुझपर गिर गया तो मेरी असलियत सबके सामने आ जाएगी। मुझे किसी भी तरह पानी से दूर रहना होगा।
भालू खुद को पानी से बचाने की बहुत कोशिश करता है, लेकिन खेलते-खेलते भालू को धक्का लगता है और वह पानी में गिर जाता है। जिसकी वजह से उसके ऊपर लगी मिट्टी हट जाती हैं। भालू को ऐसे देख सभी पांडा हैरान रह जाते हैं। पांडा हैरान होकर कहता है तुम तो एक ध्रुवीय भालू हो। यह बहुत खतरनाक है।हमें जल्दी घर वापस चलना चाहिए।
सभी भागते हुए अपने घर वापस आ जाते हैं।उनके पीछे-पीछे भालू भी वहां आ जाता हैं।जिसे देखकर मादा पांडा बोलती हैं। पांडा की माँ भालू को देखकर कहती है यह ध्रुवीय भालू यहाँ कैसे आया ? माँ, ये वही पांडा है। जो पिछले कुछ दिनों से हमारे साथ रह रहा था। ऐसा पांडा ने अपनी माँ से कहा। भालू का बच्चा कहता है आप सभी कृपया करके एक बार मेरी बात सुन लीजिये।मैं यहाँ किसी को नुकसान पहुंचाने नहीं आया हूँ। पांडा की माँ उससे पूछती है तो फिर तुम यहाँ क्यों आये हो ?
भालू का बच्चा उन्हें समझता है, कुछ दिनों पहले पहाड़ की चोटी पर भूस्खलन हुआ था। जिसकी वजह से मैं पहाड़ के टूटे हुए टुकड़े के साथ नीचे गिर गया और यहाँ पहुंच गया।मेरे शरीर पर मिट्टी लगे होने की वजह से आप सभी ने मुझे भी पांडा समझ लिया और मेरे साथ प्यार से रहने लगे।मुझे वापस जाने का रास्ता भी नहीं पता था, इसीलिए मैं यहाँ रुक गया। लेकिन तुमने हम सभी से झूठ बोला ! ऐसा पांडा की माँ भालू के बच्चे से कहती है। भालू का बच्चा पांडा की माँ से माफ़ी मांगता है और कहता है उसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूँ। तुम बहुत दिनों से हमारे साथ रह रहे हो ! इसीलिए मैं यह बोल सकती हूँ की तुम बहुत अच्छे हो। और हम सभी को तुमसे कोई दिक्कत नहीं हैं। भालू का बच्चा उनसे कहता है मैंने सुना था की पांडा सिर्फ अपनों के साथ ही प्यार से रहते हैं, लेकिन आज आप सभी का व्यवहार ने इस बात बिलकुल गलत साबित कर दिया। हमने भी हमेशा यह ही सुना था की ध्रुवीय भालू बहुत खतरनाक होते हैं।लेकिन तुम बिल्कुल भी वैसे नहीं हो, हमें तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लगा।
पांडा और भालू बातें कर ही रहे होते है, तभी भालू के पापा उसे ढूंढ़ते हुए वहां आ जाते हैं।अपने पापा को देखकर भालू बहुत खुश होता है और भागकर उनके पास जाता हैं। भालू के पापा उससे कहते है, बेटा ! तुम ठीक हो ? मुझे तो लगा था की शायद मैं दोबारा तुमसे कभी नहीं मिल पाउँगा। पापा, आज मैं इन सभी पांडा की वजह से ही ज़िंदा हूँ ! अगर यह लोग मुझे अपने साथ रहने नहीं देते तो शायद ज़िंदा नहीं रहता। ऐसे भालू ने कहा भालू के पापा आपने मेरे बेटे की जान बचाई उसके लिए आप सभी का बहुत धन्यवाद।
इसके बाद सभी पांडा और भालू साथ मिलकर बहुत बातें करते हैं और कुछ देर बाद भालू अपने बेटे को लेकर वहां से वापस पहाड़ चोटी की तरफ चला जाता हैं।जिसके बाद पांडा और ध्रुवीय भालू हमेशा अच्छे दोस्त बनकर रहने लगते है।
शिक्षा :- हमें कभी किसी को जाने बिना उसके बारे में कोई राय नहीं बनानी चाहिए और हमेशा सभी के साथ मिलकर रहना चाहिए।
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इसके बाद वह बच्चा पांडा वहा से चला जाता है।एक तरफ जहाँ पांडा, ध्रुवीय भालू के बारे में पूछता है, वही दूसरी तरफ एक ध्रुवीय भालू का बच्चा भी अपने पापा से पूछता हैं।
भालू का बच्चा पापा ! हम हमेशा इस चोटी पर ही क्यों रहते हैं ? कभी नीचे की तरफ क्यों नहीं जाते ? भालू के पापा कहते है क्योंकि, पहाड़ की नीचे की तरफ पांडा रहते हैं और मैंने सुना है की पांडा सिर्फ अपनों के साथ ही प्यार से रहते हैं। इसीलिए हम कभी नीचे की तरफ नहीं जाते और न ही कभी वह ऊपर की तरफ आते हैं।
भालू आपस में बात कर ही रहे होते है की तभी पहाड़ की चोटी पर भूस्खलन होता हैं।जिसकी आवाज़ पांडा तक भी पहुँचती हैं, लेकिन उसका असर सिर्फ ध्रुवीय भालुओं पर ही होता हैं।आवाज़ सुनकर सभी पांडा डर जाते है और एक जगह इकट्ठा हो जाते हैं।
पांडा डरते हुए कहता है यह डरावनी आवाज़ कैसी थी ? जरूर पहाड़ की चोटी की तरफ भूस्खलन हुआ हैं। वहां तो ध्रुवीय भालू रहते हैं।वह सब ठीक तो होंगे न ? पांडा की माँ उसे कहती है वो हमें नहीं पता ! चलो सभी वापस अपने-अपने घर चलते हैं।
अगली सुबह बच्चा पांडा अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए घर से बाहर निकलता हैं ।थोड़ी दूर पहुंचने पर उसे एक जगह बहुत सारी मिट्टी पड़ी हुए नज़र आती हैं।
पांडा अपने मन में सोचता है यह मिट्टी का ढेर कल तक तो यहाँ नहीं था। अचानक इतने बड़े मिट्टी के ढेर को वहां देख पांडा असमंजस में पड़ जाता हैं। वह उस ढेर को देख ही रहा होता है की तभी उसके अंदर से एक पांडा बाहर निकलता हैं। पांडा चौंकते हुए दूसरे पांडा से कहता है अरे ! तुम इस मिट्टी के ढेर में क्या कर रहे थे ? पांडा यह पांडा हमारे पहाड़ का तो नहीं लगता। इसका रंग भी हमसे कुछ अलग हैं। फिर वो उस पांडा से पूछता है दोस्त तुम कहाँ से आये हो ? बताओ दोस्त ! तुम कौन हो ? बच्चा भालू मन में सोचते हुए लगता है, मेरे ऊपर मिट्टी लगने की वजह से यह लोग मुझे पहचान नहीं पाए और मुझे भी एक पांडा समझ रहे हैं। भालू का बच्चा मैं कल रात ही इस पहाड़ पर नया आया हूँ। क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे ?
सभी बच्चें उससे दोस्ती करने के लिए हाँ बोल देते हैं और अब बच्चा भालू, पांडा के साथ रहने लगता हैं।
पांडा की माँ बच्चा भालू से पूछती है बेटा ! तुम कौन से पहाड़ से आये हो ? भालू का बच्चा मैं यहाँ से थोड़ी दूर एक पहाड़ पर रहता हूँ।एक दिन परिवार के साथ घूमते हुए मैं गुम हो गया और भटकते हुए यहाँ पहुंच गया। पांडा का बच्चा अपनी माँ से कहता है, आज से यह हमारे साथ ही रहेगा। भालू का बच्चा मन में सोचते हुए कहता है, यह पांडा कितने अच्छे है। लेकिन अभी भी यह मेरे साथ प्यार से इसीलिए रह रहे है क्योंकि मैं इन्हे एक पांडा लग रहा हूँ। पांडा भालू के साथ खेलता है और बाकी दोस्तों को भी साथ ले चलता है और कहता है चलो दोस्त, हम सब मिलकर बाहर खेलने चलते हैं।
भालू ख़ुशी-ख़ुशी पांडा के साथ रहने लगता हैं।इसी तरह दिन बीतते जाते हैं।एक दिन सभी पांडा खेलने के लिए पहाड़ पर बह रही नहर के पास जाते हैं।भालू जब वहां पहुँचता है तो पानी देखकर घबरा जाता हैं। भालू का बच्चा मन में सोचते हुए अगर यह पानी मुझपर गिर गया तो मेरी असलियत सबके सामने आ जाएगी। मुझे किसी भी तरह पानी से दूर रहना होगा।
भालू खुद को पानी से बचाने की बहुत कोशिश करता है, लेकिन खेलते-खेलते भालू को धक्का लगता है और वह पानी में गिर जाता है। जिसकी वजह से उसके ऊपर लगी मिट्टी हट जाती हैं। भालू को ऐसे देख सभी पांडा हैरान रह जाते हैं। पांडा हैरान होकर कहता है तुम तो एक ध्रुवीय भालू हो। यह बहुत खतरनाक है।हमें जल्दी घर वापस चलना चाहिए।
सभी भागते हुए अपने घर वापस आ जाते हैं।उनके पीछे-पीछे भालू भी वहां आ जाता हैं।जिसे देखकर मादा पांडा बोलती हैं। पांडा की माँ भालू को देखकर कहती है यह ध्रुवीय भालू यहाँ कैसे आया ? माँ, ये वही पांडा है। जो पिछले कुछ दिनों से हमारे साथ रह रहा था। ऐसा पांडा ने अपनी माँ से कहा। भालू का बच्चा कहता है आप सभी कृपया करके एक बार मेरी बात सुन लीजिये।मैं यहाँ किसी को नुकसान पहुंचाने नहीं आया हूँ। पांडा की माँ उससे पूछती है तो फिर तुम यहाँ क्यों आये हो ?
भालू का बच्चा उन्हें समझता है, कुछ दिनों पहले पहाड़ की चोटी पर भूस्खलन हुआ था। जिसकी वजह से मैं पहाड़ के टूटे हुए टुकड़े के साथ नीचे गिर गया और यहाँ पहुंच गया।मेरे शरीर पर मिट्टी लगे होने की वजह से आप सभी ने मुझे भी पांडा समझ लिया और मेरे साथ प्यार से रहने लगे।मुझे वापस जाने का रास्ता भी नहीं पता था, इसीलिए मैं यहाँ रुक गया। लेकिन तुमने हम सभी से झूठ बोला ! ऐसा पांडा की माँ भालू के बच्चे से कहती है। भालू का बच्चा पांडा की माँ से माफ़ी मांगता है और कहता है उसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूँ। तुम बहुत दिनों से हमारे साथ रह रहे हो ! इसीलिए मैं यह बोल सकती हूँ की तुम बहुत अच्छे हो। और हम सभी को तुमसे कोई दिक्कत नहीं हैं। भालू का बच्चा उनसे कहता है मैंने सुना था की पांडा सिर्फ अपनों के साथ ही प्यार से रहते हैं, लेकिन आज आप सभी का व्यवहार ने इस बात बिलकुल गलत साबित कर दिया। हमने भी हमेशा यह ही सुना था की ध्रुवीय भालू बहुत खतरनाक होते हैं।लेकिन तुम बिल्कुल भी वैसे नहीं हो, हमें तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लगा।
पांडा और भालू बातें कर ही रहे होते है, तभी भालू के पापा उसे ढूंढ़ते हुए वहां आ जाते हैं।अपने पापा को देखकर भालू बहुत खुश होता है और भागकर उनके पास जाता हैं। भालू के पापा उससे कहते है, बेटा ! तुम ठीक हो ? मुझे तो लगा था की शायद मैं दोबारा तुमसे कभी नहीं मिल पाउँगा। पापा, आज मैं इन सभी पांडा की वजह से ही ज़िंदा हूँ ! अगर यह लोग मुझे अपने साथ रहने नहीं देते तो शायद ज़िंदा नहीं रहता। ऐसे भालू ने कहा भालू के पापा आपने मेरे बेटे की जान बचाई उसके लिए आप सभी का बहुत धन्यवाद।
इसके बाद सभी पांडा और भालू साथ मिलकर बहुत बातें करते हैं और कुछ देर बाद भालू अपने बेटे को लेकर वहां से वापस पहाड़ चोटी की तरफ चला जाता हैं।जिसके बाद पांडा और ध्रुवीय भालू हमेशा अच्छे दोस्त बनकर रहने लगते है।
शिक्षा :- हमें कभी किसी को जाने बिना उसके बारे में कोई राय नहीं बनानी चाहिए और हमेशा सभी के साथ मिलकर रहना चाहिए।
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