हिमाचल प्रदेश में एक बहुत घना जंगल था। उस जंगल में एक बहुत बड़ी गुफा थी, जिसमे सीताराम नाम के एक साधु काफी समय से साधना कर रहे थे। सीताराम बहुत ज्ञानी और समझदार साधु थे। वह कभी किसी कि सहायता करने से पीछे नहीं हटते थे। वह जंगल के जानवरों की भी बहुत देखभाल करते थे। एक दिन पास के गाँव में रहने वाले आदित्य, अर्जुन, नेहा और भास्कर नाम के चार बच्चे जंगल में घूमने के लिए आये।
आदित्य बोला यह जंगल कितना घना है। नेहा बोली यह जंगल घना ही नहीं बहुत डरावना भी है । हाँ, तुम दोनों ठीक बोल रहे हो, देख कर ऐसा लगता है अर्जुन बोला। यहाँ कभी भी किसी लकड़हारे की नज़र नहीं पड़ी। वरना गाँव के तो सभी पेड़ों को लोग धुएं में उड़ा चुके हैं ।”
सभी बच्चे जंगल में बहुत दूर तक चले जाते हैं । चलते-चलते नेहा कि नज़र एक गुफा पर पड़ती है। “अरे देखो ! शायद वहाँ कोई गुफा है । ज़रूर उसमें कोई भयंकर जानवर रहता होगा । भास्कर ने कहा तुम भी बहुत भोली हो - अगर इस जंगल में कोई जानवर होता, तो वह अभी तक हमे खा नहीं लेता ! मुझे लगता है, उस गुफा में कोई नहीं रहता । हमे वहाँ जाकर कुछ देर आराम करना चाहिए ।”
आदित्य की बात सुनकर सभी बच्चे गुफा की तरफ बढ़ते हैं। जैसे ही वह गुफा के पास पहुंचते हैं, उन्हें सीताराम साधु मिलते हैं। बच्चों को जंगल में देखकर सीताराम हैरान रह जाते हैं । सीताराम बच्चो से कहते है तुम सब कौन हो ? और इस जंगल में क्या कर रहे हो ?
उन बच्चो में से एक बच्चा अर्जुन बोलता प्रणाम महाराज ! हम पास के गाँव में रहते हैं और जंगल में घूमने आये हैं।
तो सीता राम गुस्से में कहता है क्या तुम नहीं जानते कि यह जंगल कितना खतरनाक है?! तुम सबको यहां नहीं आना चाहिए था।
तभी भास्कर बोला ! खतरनाक..... पर हमे तो यह जंगल बिलकुल खतरनाक नहीं लग रहा। हाँ, अभी तक पूरे जंगल में हमे कोई जानवर भी नहीं दिखा । लगता है, जंगल में सिर्फ आप ही रहते हैं। सीताराम कहते है नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं है। इस जंगल में बहुत से खतरनाक जानवर रहते हैं, पर आज अमावस्या है, इसलिए सभी जानवर अपने-अपने घर में छुप गए हैं। सीताराम आस पास देखता है और बच्चो से कहता है चलो बच्चों, इससे पहले की शाकाल यहाँ आ जाये, जल्दी से गुफा के अंदर चलो।
यह सब देखकर बच्चे बहुत डर जाते हैं और साधु के साथ गुफा के अंदर चले जाते हैं। अर्जुन कहता है पर महाराज, यह अचानक हंसने की आवाज कहाँ से आ रही थी ? और यह शाकाल कौन है ? सीताराम शाकाल एक राक्षस है, जो हर पच्चास साल में अमावस्या के दिन इस जंगल में आता है और जानवरों को खा जाता है। इसका मतलब शाकाल के डर की वजह से सभी जानवर छुप गए हैं। शायद तभी हमे इस जंगल में कोई जानवर नहीं दिखा।
सीताराम तुमने बिलकुल सही समझा। शाकाल को जानवरों और इंसानों के बच्चों को खाना बहुत अच्छा लगता है तभी नेहा कहती है क्या…. इसका मतलब वो हमें भी खा जायेगा। मुझे बहुत डर लग रहा है। हमे इस जंगल में आना ही नहीं चाहिए था। साधु ने कहा नहीं-नहीं। तुम सबको डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। शाकाल तुम्हारा इस गुफा में कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
अर्जुन मुझे इस शाकाल को देखना है, आखिर पता तो चले कि यह राक्षस दिखता कैसा है ? नहीं, वो बहुत खतरनाक है। वो तुम्हें नुक्सान भी पहुंचा सकता है। पर मैं उसे गुफा के अंदर से ही देखूँगा, जिससे वह मुझे देख ना सके अर्जुन ने ये साधु बाबा से कहा। मैं तुम्हें बाहर जाने की आज्ञा नहीं दे सकता।
साधु के बार-बार मना करने पर भी अर्जुन नहीं मानता और शाकाल को देखने के लिए चला जाता है। वह शाकाल को देखकर बहुत डर जाता है। वह देखता है, की एक चार हाथों वाला विशाल राक्षस पेड़-पौधों को तोड़ते हुए चला आ रहा है और साथ ही जंगली जानवरों को भी बहुत नुक्सान पहुंचा रहा है। यह देखकर अर्जुन जल्दी से गुफा के अंदर वापस जाता है। महाराज, ये शाकाल तो बहुत भयंकर है। इस तरह तो वह जंगल का विनाश कर देगा। क्या इसको भगाने का कोई उपाय नहीं है ?
सीताराम अर्जुन से कहते है नहीं, इससे भगाना बहुत मुश्किल है, क्योंकि वह एक राक्षस है। इसको भगाना हम इंसानों के बस की बात नहीं है।
भास्कर पर महाराज इसे यहाँ से भगाने का कोई तो रास्ता होगा ? सीताराम हाँ में सिर हिलाकर कहता है हां एक उपाय है। यदि हम किसी तरह इस राक्षस को गुफा के अंदर ले आएं तो शायद हमें उससे छुटकारा मिल सकता है। नेहा कहती है पर महाराज, इस गुफा में ऐसा क्या है!? सीताराम बताता है इस गुफा में दिव्य शक्तियां हैं, जैसे ही राक्षस इनके पास आएगा वह भस्म हो जायेगा।
अर्जुन अगर ऐसी बात है, तो मैं अभी इस राक्षस को गुफा के अंदर ले आता हूँ।आदित्य अर्जुन से पूछता है लेकिन तुम ये सब करोगे कैसे ? अर्जुन यह सब तुम मुझपर छोड़ दो। ऐसा कहकर अर्जुन गुफा के बाहर चला जाता है और शाकाल के सामने जाकर खड़ा हो जाता है। शाकाल अर्जुन को देखक्र ख़ुशी से कहता है अरे वाह ! इंसानी बच्चा...... इसे खाने में तो बड़ा मज़ा आएगा। अर्जुन तुम कौन हो और यहाँ क्यों आये हो ?
शाकाल मैं हूँ शाकाल, पर किसी के बस में नहीं मेरा काल। खाने में पसंद हैं मुझे बच्चे, क्योंकि वह होते हैं मन के सच्चे। अच्छा, अगर ऐसी बात है, तो तुम मुझे खा सकते हो, पर पहले मैं आखिरी बार अपने दोस्तों से मिलना चाहता हूँ। क्या, दोस्त ? इसका मतलब यहाँ तुम्हारे अलावा और भी बच्चे हैं ? हाँ, वो यहीं सामने वाली गुफा में हैं। शाकाल कहता है तो चलो देरी किस बात की, मुझे जल्दी वहाँ ले चलो। मैं बहुत दिनों से भूखा हूँ।
अर्जुन ठीक है, तुम मेरे पीछे-पीछे आ जाओ और गुफा में आराम से बैठ कर सारे बच्चों को खा लो। ऐसा कहकर अर्जुन गुफा के अंदर जाने लगता है और शाकाल भी उसके पीछे-पीछे गुफा में जाने लगता है। जैसे ही शाकाल गुफा में प्रवेश करता है, दिव्य शक्तियों के प्रभाव से वह उसी समय भस्म हो जाता है। इस तरह अर्जुन, शाकाल का अंत करता है। साधु महाराज, अर्जुन की प्रशंसा करते हैं और सभी बच्चे ख़ुशी-ख़ुशी अपने घर वापस चले जाते हैं।
शिक्षा :- हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम अपनी सूझ - बूझ से किसी भी परेशानी का हल निकाल सकते हैं।
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आदित्य बोला यह जंगल कितना घना है। नेहा बोली यह जंगल घना ही नहीं बहुत डरावना भी है । हाँ, तुम दोनों ठीक बोल रहे हो, देख कर ऐसा लगता है अर्जुन बोला। यहाँ कभी भी किसी लकड़हारे की नज़र नहीं पड़ी। वरना गाँव के तो सभी पेड़ों को लोग धुएं में उड़ा चुके हैं ।”
सभी बच्चे जंगल में बहुत दूर तक चले जाते हैं । चलते-चलते नेहा कि नज़र एक गुफा पर पड़ती है। “अरे देखो ! शायद वहाँ कोई गुफा है । ज़रूर उसमें कोई भयंकर जानवर रहता होगा । भास्कर ने कहा तुम भी बहुत भोली हो - अगर इस जंगल में कोई जानवर होता, तो वह अभी तक हमे खा नहीं लेता ! मुझे लगता है, उस गुफा में कोई नहीं रहता । हमे वहाँ जाकर कुछ देर आराम करना चाहिए ।”
आदित्य की बात सुनकर सभी बच्चे गुफा की तरफ बढ़ते हैं। जैसे ही वह गुफा के पास पहुंचते हैं, उन्हें सीताराम साधु मिलते हैं। बच्चों को जंगल में देखकर सीताराम हैरान रह जाते हैं । सीताराम बच्चो से कहते है तुम सब कौन हो ? और इस जंगल में क्या कर रहे हो ?
उन बच्चो में से एक बच्चा अर्जुन बोलता प्रणाम महाराज ! हम पास के गाँव में रहते हैं और जंगल में घूमने आये हैं।
तो सीता राम गुस्से में कहता है क्या तुम नहीं जानते कि यह जंगल कितना खतरनाक है?! तुम सबको यहां नहीं आना चाहिए था।
तभी भास्कर बोला ! खतरनाक..... पर हमे तो यह जंगल बिलकुल खतरनाक नहीं लग रहा। हाँ, अभी तक पूरे जंगल में हमे कोई जानवर भी नहीं दिखा । लगता है, जंगल में सिर्फ आप ही रहते हैं। सीताराम कहते है नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं है। इस जंगल में बहुत से खतरनाक जानवर रहते हैं, पर आज अमावस्या है, इसलिए सभी जानवर अपने-अपने घर में छुप गए हैं। सीताराम आस पास देखता है और बच्चो से कहता है चलो बच्चों, इससे पहले की शाकाल यहाँ आ जाये, जल्दी से गुफा के अंदर चलो।
यह सब देखकर बच्चे बहुत डर जाते हैं और साधु के साथ गुफा के अंदर चले जाते हैं। अर्जुन कहता है पर महाराज, यह अचानक हंसने की आवाज कहाँ से आ रही थी ? और यह शाकाल कौन है ? सीताराम शाकाल एक राक्षस है, जो हर पच्चास साल में अमावस्या के दिन इस जंगल में आता है और जानवरों को खा जाता है। इसका मतलब शाकाल के डर की वजह से सभी जानवर छुप गए हैं। शायद तभी हमे इस जंगल में कोई जानवर नहीं दिखा।
सीताराम तुमने बिलकुल सही समझा। शाकाल को जानवरों और इंसानों के बच्चों को खाना बहुत अच्छा लगता है तभी नेहा कहती है क्या…. इसका मतलब वो हमें भी खा जायेगा। मुझे बहुत डर लग रहा है। हमे इस जंगल में आना ही नहीं चाहिए था। साधु ने कहा नहीं-नहीं। तुम सबको डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। शाकाल तुम्हारा इस गुफा में कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
अर्जुन मुझे इस शाकाल को देखना है, आखिर पता तो चले कि यह राक्षस दिखता कैसा है ? नहीं, वो बहुत खतरनाक है। वो तुम्हें नुक्सान भी पहुंचा सकता है। पर मैं उसे गुफा के अंदर से ही देखूँगा, जिससे वह मुझे देख ना सके अर्जुन ने ये साधु बाबा से कहा। मैं तुम्हें बाहर जाने की आज्ञा नहीं दे सकता।
साधु के बार-बार मना करने पर भी अर्जुन नहीं मानता और शाकाल को देखने के लिए चला जाता है। वह शाकाल को देखकर बहुत डर जाता है। वह देखता है, की एक चार हाथों वाला विशाल राक्षस पेड़-पौधों को तोड़ते हुए चला आ रहा है और साथ ही जंगली जानवरों को भी बहुत नुक्सान पहुंचा रहा है। यह देखकर अर्जुन जल्दी से गुफा के अंदर वापस जाता है। महाराज, ये शाकाल तो बहुत भयंकर है। इस तरह तो वह जंगल का विनाश कर देगा। क्या इसको भगाने का कोई उपाय नहीं है ?
सीताराम अर्जुन से कहते है नहीं, इससे भगाना बहुत मुश्किल है, क्योंकि वह एक राक्षस है। इसको भगाना हम इंसानों के बस की बात नहीं है।
भास्कर पर महाराज इसे यहाँ से भगाने का कोई तो रास्ता होगा ? सीताराम हाँ में सिर हिलाकर कहता है हां एक उपाय है। यदि हम किसी तरह इस राक्षस को गुफा के अंदर ले आएं तो शायद हमें उससे छुटकारा मिल सकता है। नेहा कहती है पर महाराज, इस गुफा में ऐसा क्या है!? सीताराम बताता है इस गुफा में दिव्य शक्तियां हैं, जैसे ही राक्षस इनके पास आएगा वह भस्म हो जायेगा।
अर्जुन अगर ऐसी बात है, तो मैं अभी इस राक्षस को गुफा के अंदर ले आता हूँ।आदित्य अर्जुन से पूछता है लेकिन तुम ये सब करोगे कैसे ? अर्जुन यह सब तुम मुझपर छोड़ दो। ऐसा कहकर अर्जुन गुफा के बाहर चला जाता है और शाकाल के सामने जाकर खड़ा हो जाता है। शाकाल अर्जुन को देखक्र ख़ुशी से कहता है अरे वाह ! इंसानी बच्चा...... इसे खाने में तो बड़ा मज़ा आएगा। अर्जुन तुम कौन हो और यहाँ क्यों आये हो ?
शाकाल मैं हूँ शाकाल, पर किसी के बस में नहीं मेरा काल। खाने में पसंद हैं मुझे बच्चे, क्योंकि वह होते हैं मन के सच्चे। अच्छा, अगर ऐसी बात है, तो तुम मुझे खा सकते हो, पर पहले मैं आखिरी बार अपने दोस्तों से मिलना चाहता हूँ। क्या, दोस्त ? इसका मतलब यहाँ तुम्हारे अलावा और भी बच्चे हैं ? हाँ, वो यहीं सामने वाली गुफा में हैं। शाकाल कहता है तो चलो देरी किस बात की, मुझे जल्दी वहाँ ले चलो। मैं बहुत दिनों से भूखा हूँ।
अर्जुन ठीक है, तुम मेरे पीछे-पीछे आ जाओ और गुफा में आराम से बैठ कर सारे बच्चों को खा लो। ऐसा कहकर अर्जुन गुफा के अंदर जाने लगता है और शाकाल भी उसके पीछे-पीछे गुफा में जाने लगता है। जैसे ही शाकाल गुफा में प्रवेश करता है, दिव्य शक्तियों के प्रभाव से वह उसी समय भस्म हो जाता है। इस तरह अर्जुन, शाकाल का अंत करता है। साधु महाराज, अर्जुन की प्रशंसा करते हैं और सभी बच्चे ख़ुशी-ख़ुशी अपने घर वापस चले जाते हैं।
शिक्षा :- हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम अपनी सूझ - बूझ से किसी भी परेशानी का हल निकाल सकते हैं।
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