घंटाघर का भूत

मुंबई के अँधेरी नामक शहर में लगभग 100 साल पुराना घंटाघर था। उस घंटाघर में एक नथु नाम का भूत रहता था। पूरा शहर दहशत में था। शहर के लोग उस घंटाघर के पास जाने से बहुत डरते थे। शहर में नथु का खौफ इस कदर फ़ैला हुआ था, की उस घंटाघर की रखवाली के लिए भी कोई राजी नहीं होता था। पूरे शहर में उसे भूतिया घंटाघर कहा जाता था। एक रात दूसरे शहर से आये अमर, तुषार और साहिल उस भूतिया घंटाघर के पास से गुज़र रहे थे। तभी साहिल कहता है - अरे देखो कितना बड़ा घंटाघर है।इसपर अमर बोलता है की हाँ, बड़ा तो है पर डरावना भी बहुत लगता है।

तभी तुषार हस्ते हुए अमर से कहता है की  क्या यार अमर, तुम इतना डरते क्यों हो ?
मैं बिलकुल नहीं डरता अमर ने तुषार से कहा,  बल्कि मैं तो इस घंटाघर के अंदर जाने के लिए बहुत एक्ससिटेड हूँ।अगर ऐसी बात है, तो फिर क्यों ना इसके अंदर चला जाए, थोड़ा आराम भी कर लेंगे।
हाँ, वैसे भी मैं तो बहुत थक गया हूँ, चलो जल्दी अंदर चलते हैं।

वह तीनों भूतिया घंटाघर के अंदर जाते हैं और देखते हैं की वहां चारों तरफ पत्ते पड़े हुए हैं। अचानक उस घंटाघर का दरवाज़ा अपने आप बंद हो जाता है। वह तीनों घबरा जाते हैं।
अमर डरकर कहता है अरे, यह दरवाज़ा अपने आप कैसे बंद हो गया ?

ऐसा कुछ नहीं है। शायद हो सकता है, कि यह दरवाज़ा आटोमेटिक हो साहिल अमर से कहता है। अच्छा ये बात है। मुझे तो लगा जैसे किसी भूत ने इसे बंद कर दिया हो।

तुषार  अमर से कहता है, अब तुम बिलकुल चुप हो जाओ। अगर तुमने एक और बार भूत का नाम लिया तो हम तुम्हें यहीं बंद करके चले जाएंगे। साहिल कहता है,  हाँ भूत जैसी कोई चीज़ नहीं होती। तभी पीछे से भूत की सिर्फ आवाज़ आती है भूत नहीं आता

भूत बच्चो से कहता है ऐसा किसने कहा ?

अमर डरकर कहता है यह कैसी आवाज़ थी ? तुषार कहीं तुम मुझे डराने कि कोशिश तो नहीं कर रहे हो ? तुषार कहता है  नहीं-नहीं ये आवाज़ मेरी नहीं थी।
इसका मतलब यहाँ हमारे आलावा कोई और भी है। तभी नथु भूत उन तीनों के सामने आता है। उसके बड़े-बड़े दांत और खूंखार आँखें देखकर तीनों बच्चे बहुत डर जाते हैं।

तुषार भूत से पूछता है तुम कौन हो ? कहीं दरवाज़ा तुमने तो बंद नहीं किया ?

भूत अपना परिचय देता है, मैं नथु हूँ। नथु भूत जो पिछले 50 साल से इस घंटाघर में कैद है। ये दरवाज़ा अपने आप बंद नहीं हुआ, ये तो मेरी जादुई शक्ति से बंद हुआ है। देखना चाहोगे मेरी जादुई शक्तियाँ !? नथु उन तीनों को डराने के लिए कभी अपने हाथ लम्बे करने लगता है, तो कभी उन्हें अपने बड़े-बड़े नाखूनों से डराने लगता है। यह सब देखकर साहिल और अमर बेहोश हो जाते हैं। नथु ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगता है।

तभी तुषार कहता है की तुमने यह ठीक नहीं किया, जल्दी से मेरे दोस्तों को ठीक कर दो, हमे घर भी जाना है। हम बहुत दूर से आये हैं।
 
यह सुन कर भूत बोलता है - अगर तुम लोग यहाँ से जाना चाहते हो तो पहले तुम्हें एक नक्शे के टुकड़ों को ढूंढ कर जोड़ना होगा। अगर तुम यह काम कर लोगे तो तुम आज़ाद हो जाओगे । मैं नक़्शे को जोड़ने वाले की एक इच्छा पूरी करूँगा और नक़्शे के पीछे छुपा रहस्य भी बताऊंगा।

तुषार भूत की यह बात सुनकर कहता है- पर इतने बड़े घंटाघर में, मैं उस नक़्शे के टुकड़ों को ढूंढूंगा कैसे ?

भूत तुषार से कहता है की वह उस नक़्शे के टुकड़ों को ढूंढ़ने के लिए उसे कुछ संकेत दे सकता है। भूत की यह बात सुनकर तुषार तैयार हो जाता है और कहता है की मैं पूरी कोशिश करूंगा  नक़्शे को ढूंढ कर जोड़ने की।

इसके बाद भूत तुषार को पहेली बताना शुरू करता है ,
         पहले दो टुकड़े मिलेंगे वहां।
         ख़त्म होता है रास्ता जहां ।

तुषार सोचते हुए बोलता है- जहाँ रास्ता खत्म होता है। इसका मतलब पहले दो टुकड़े सबसे ऊपर मिलेंगे, क्योंकि बाहर जाने का रास्ता तो बंद है।

तुषार सीढ़ियों से जल्दी-जल्दी ऊपर जाने लगता है। जैसे ही वो सबसे ऊपर पहुंचता है, उसे नक़्शे के पहले दो टुकड़े मिल जाते हैं। वो उन्हें लेकर वापस नीचे आता है। और भूत से कहता है , मुझे पहले दो टुकड़े मिल गए हैं, अब तुम मुझे आखरी दो टुकड़ों के बारे में बताओ।

भूत खुश हो कर तुषार से कहता है - बहुत अच्छे ! अब ज़रा ध्यान से सुनो।
         ऊपर आस्मां, नीचे ज़मीन।
         आखरी दो टुकड़े मिलेंगे वहां।
         जहाँ खिड़कियां होंगी तीन।

 
तुषार सोचने लगता है और सोचते- सोचते चारो तरफ नज़र घुमाते हुए बोलता है की यहाँ तो कहीं भी तीन खिड़कियां नहीं हैं चारों तरफ एक-एक ही खिड़की है।

तभी भूत तुषार से कहता है - ज़रा ध्यान से देखो, यह इतना आसान नहीं है। थोड़ा दिमाग का प्रयोग तो करना ही पड़ेगा।

तुषार एक बार फिर चारों तरफ नज़र घूमाता है। तभी उसे एक खिड़की नज़र आती है, जो तीन भागों में विभाजित होती है। तुषार जल्दी से खिड़की के पास जाता है और आखरी दोनों टुकड़ो को ले आता है। वह उन टुकड़ों को जोड़कर नक्शा तैयार कर देता है। और भूत से कहता है - ये लो नक्शा तैयार हो गया। मैं तुम्हारे द्वारा दिए गए काम में सफल हो गया।

भूत तुषार से कहता है - बहुत अच्छे ! चलो अब तुम जल्दी से एक इच्छा मांग लो। तुम्हारी जो भी इच्छा होगी उसे मैं  ज़रूर पूरा करूँगा।
तुषार नथु भूत से कहता है अगर ऐसी बात है, तो तुम मेरे दोनों दोस्तों को ठीक कर दो। और यहाँ से जाने दो। यही मेरी इच्छा है।

भूत तुषार से कहता है  इतनी जल्दी क्या है, पहले अपना इनाम तो ले लो।
तुम ये मुझे क्यों दे रहे हो, मैं इसका क्या करूँगा ? तुषार डरता हुआ बोला

नथु  ने एक ख़ज़ाने का नक्शा दिया । जिसकी कहानी उसने बच्चो को बताई  बहुत समय पहले जब मैं इस ख़ज़ाने को चोरी करने जा रहा था, तब एक संत ने इस नक़्शे को फाड़ कर मुझसे क्रोधित हो कर श्राप दिया था की “ जब तक कोई नेकदिल इंसान इस नक़्शे को नहीं जोड़ेगा तब तक मुझे मुक्ति नहीं मिलेगी, इसलिए मरने के बाद भी मैं आज तक इस घंटाघर में भटक रहा हूँ ”। तुम ख़ज़ाने के असली हकदार हो, इसलिए इसे तुम रख लो।
तुषार नथु से बोलता है  इसका मतलब अब तुम्हें मुक्ति मिल जायेगी और पहले कि तरह लोग इस घंटाघर को देखने आ सकेंगे। नथु  हाँ तुमने सही कहा, चलो इससे पहले कि मेरा जाने का समय आये, मैं तुम्हारे दोस्तों को पहले जैसा कर देता हूँ।

नथु, तुषार के दोनों दोस्तों को ठीक कर देता है। तीनों दोस्त बहुत खुश होते हैं, तभी वहाँ एक रौशनी आती है और नथु उस रौशनी के साथ गायब हो जाता है। जैसे ही नथु गायब होता है, वैसे ही घंटाघर के दरवाज़ा खुल जाता है। वह तीनों वापस बाहर निकल कर ख़ुशी - ख़ुशी अपने घर चले जाते हैं और लोग एक बार फिर उस घंटाघर को देखने आने लगते हैं।   

शिक्षा :- हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें मुसीबत का हल होशियारी से निकालना चाहिए।

Click Here >> Hindi Cartoon For More Moral Stories