भूतिया हवेली

बहुत समय पहले जयपुर के मंडोर नामक गाँव में एक बहुत बड़ी हवेली थी। उस हवेली में झिंगुरा नाम का एक भूत रहता था, इसलिए गाँव के लोग हवेली के पास जाने से भी डरते थे। उसी गाँव में साहिल, अमित, कोमल और अंश नाम के चार शैतान बच्चे रहते थे, जो बहुत अच्छे दोस्त भी थे। एक दिन वह चारों हवेली के पास खेल रहे थे तभी खेलते-खेलते उनकी बॉल हवेली के अंदर चली गई।

“अरे दोस्तों, यह बॉल तो हवेली के अंदर चली गई, अब हमें नई बॉल खरीदनी पड़ेगी।” साहिल के ऐसा कहने पर अमित ने कहा, “हाँ चलो, जल्दी से बॉल लेकर आते हैं, क्योंकि थोड़ी ही देर में अंधेरा होने वाला है।” तभी कोमल ने कहा, “रुको दोस्तों, बॉल खरीदने की क्या जरुरत है? हम हवेली के अंदर जाकर बॉल ले आते हैं।”

लेकिन अमित को यह बात ठीक नहीं लगी. उसने कहा, “यह तुम क्या बोल रहे हो? क्या तुम जानते नहीं कि इस हवेली में भूत रहता है।” इस पर अंश ने कहा, “हाँ भाई  हम जानते हैं हवेली में भूत रहता है, पर भला वो हमे क्यों कुछ कहेगा? हम तो बस अपनी बॉल ही लेने जा रहे हैं!”

इस तरह सभी ने अमित की बात काट दी, और सभी हवेली में जाने के लिए तैयार हो गए. यह देखकर अमित ने कहा, “ठीक है, अगर हवेली में जाना ही है तो हम सब एकसाथ जाएंगे”.

जैसे ही वह सभी हवेली के अंदर पहुंचे अचानक हवेली का दरवाज़ा अपने-आप बंद हो गया, और एक आवाज़ आई, “तुम्हारा स्वागत है।” यह सुनकर सभी बच्चे डर गए। कोमल ने डरते हुए कहा, “कौन है?|” इसपर एक बार फिर वही आवाज़ सुनाई दी, “नाम है मेरा झिंगुरा, चाहता हूँ में सबका बुरा।”

यह सुनते ही सारे बच्चे बहुत डर गए। साहिल ने घबराते हुए कहा, “झि... झि... झिंगुरा! अरे भागो यहाँ से! यह तो झिंगुरा भूत है!”

यह सुनकर भूत ने हँसते हुए कहा “नहीं दूँगा मैं तुम्हें यहाँ से जाने, क्योंकि तीन सवालों के जवाब हैं मुझे पाने” “लेकिन तुम सामने तो आओ”. अंश के ऐसा कहने पर भूत ने कहा, “दिखने में हूँ मैं बहुत डरावना, नहीं कर पाओगे तुम छोटे बच्चे, मेरा सामना”




“छोटा बच्चा जान के हमको ना समझना, आता है हमें बड़े से बड़े भूतों की वाट लगाना!” कोमल के ऐसे मज़ाक उड़ाने पर झिंगुरा भूत उनके सामने आया. झिंगुरा बहुत विशाल और डरावना दिखता था। उसे देखकर सभी बच्चे डर गए. झिंगुरा ने उनसे कहा, “तीन सवालों का जवाब है मुझे पाना, उसके बाद चाहे तुम सब यहाँ से चले जाना!”

फिर भूत ने उनसे अपना सवाल पूछा, “दो अक्षर का मेरा नाम, मेरे बिना ना चलता काम। रंगहीन हूँ... स्वादहीन हूँ, हरदम आता हूँ मैं काम”

सवालों सुनते ही साहिल ने तुरंत कहा, “इसका जवाब है, पंखा!”

खुश होकर भूत ने दूसरा सवाल किया, “एक सतह रहने की इच्छा लेकर मैं जिंदा रहता हूँ। नदी-झील और ताल-तलैया, झरनों में बैठा रहता हूँ” “इतना आसान सवाल भला कौन पूछता है? इसका जवाब है हंस”.अमित के ऐसा कहने भूत ने तीसरा सवाल पूछा, “क्या है वह, निगले उसको तो जिंदा रह पाएँ? लेकिन वह हमे निगल ले, तो हम मर जाएं।”

इसपर कोमल ने कुछ देर सोचकर कहा, “इसका जवाब है नदी।” कोमल का जवाब सुनकर झिंगुरा ने गुस्से से कहा “बदल दे मौसम, कर दे ठंड। हो जाओ तैयार, तुम पाने को दंड!”

ऐसा कहकर झिंगुरा ने एक मंत्र बोला, “मेरे जादू तू उड़ के जा। दिया है जिसने भी गलत जवाब, उसे पत्थर की मूरत बना!” झिंगुरा के ऐसा कहते ही साहिल, अमित और कोमल पत्थर की मूरत बन गए। अंश ये सब देखकर बहुत दुखी हुआ। उसने झिंगुरा से कहा, “झिंगुरा जी, ये तुमने ठीक नहीं किया। तुम्हारे तीनों सवालों के जवाब मैं दूँगा, पर इसके बाद तुम्हें मेरे दोस्तों को वापिस पहले जैसा करना होगा”

अंश का विश्वास देखकर झिंगुरा ने कहा, “ठीक है! पर ध्यान रहे सवाल हैं अनेक, पर जवाब है एक। अगर नहीं दे पाया सही जवाब, तो सज़ा मिलेगी लाजवाब।”

झिंगुरा की बात सुनकर अंश पहले तो बहुत डर गया फिर अचानक उसे भूत की तीनों पहेलियों जवाब समझ आया. उसने झिंगुरा से कहा, “तुम्हारी पहेलियाँ थोड़ी मुश्किल ज़रूर है, पर मुझे सभी पहेलियों का जवाब समझ आ गया है। तुम्हारी तीनों पहेलियों का एक ही जवाब है, और वो है पानी!” अंश के ऐसा कहते ही झिंगुरा इंसानी रूप में बदल गया। और अंश के सभी दोस्त भी वापिस अपने असली रूप में आ गए।

झिंगुरा ने अंश का धन्यवाद करते हुए कहा, “मैं पिछले कई सालों से एक साधु के श्राप के कारण इस हवेली में एक भूत के रूप में कैद था। मेरे मुक्त होने का एक ही रास्ता था, और वो था तीन पहेलियों का जवाब जो आजतक कोई नहीं दे पाया। पर तुमने ये कर दिखाया। मैं तुम्हारा बहुत आभारी हूँ।”

इसके बाद सभी बच्चे अपनी बॉल लेकर वहाँ से चले गए. उन्होंने गाँव जाकर सभी को झिंगुरा के श्राप और उसकी मुक्ति के बारे में बताया. पूरा किस्सा सुनकर गाँववालों ने बच्चों की बहादुरी की बहुत प्रशंसा की.

और इस तरह अंश की सूझबूझ से झिंगुरा भूत को साधु के श्राप से मुक्ति मिल गई।

शिक्षा - हमें कभी भी मुश्किल हालातों से घबराना नहीं चाहिए, और हमेशा अपने डर का मज़बूती से सामना करना चाहिए।

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