एलियन मुर्गी

रामपुर गाँव में कुंदन नाम का एक बच्चा रहता था। कुंदन बहुत ही सीधा और नेकदिल बच्चा था। वह हमेशा हर ज़रूरतमंद की मदद करता था, लेकिन आत्मविश्वास की कमी होने के कारण गाँव के दूसरे बच्चे हमेशा उसे बहुत परेशान किया करते थे। वह किसी को कुछ नहीं कहता था।एक दिन कुंदन बाज़ार में घूमने गया।तभी कुंदन कहता है  अरे वाह ! कितना अच्छा मौसम है। क्यों ना पास वाले मैदान में जाकर कुछ देर खेल लिया जाए, बहुत मज़ा आएगा।

कुंदन यह बोलता हुआ मैदान की तरफ बढ़ता है, की तभी उसका पीछा करते हुए कुछ शरारती बच्चे आ जाते हैं, और रास्ते में उसे परेशान करने लगते हैं , सभी बच्चे ज़ोर से हस्ते है और कुंदन का मजाक उड़ने लगते है। कुंदन रोते हुए वापस अपने घर चला जाता है। जैसे ही कुंदन अपने घर पहुँचता है, तो मम्मी उससे पूछती हैं -क्या हुआ बेटा ? तुम रो क्यों रहे हो ?

कुंदन रोते हुए कहता है-माँ, यह बच्चे मुझसे इस तरह बात क्यों करते हैं ? मैं तो इन सबके साथ दोस्ती करना चाहता हूँ, पर यह सब हमेशा मेरा मज़ाक ही उड़ाते रहते हैं।

तभी उसकी माँ उसे समझती है की कोई बात नहीं बेटा ! एक दिन इन सभी बच्चों को अपनी गलती का एहसास जरूर होगा, लेकिन तुम कभी भी किसी के साथ गलत व्यवहार मत करना और सबके साथ अच्छे से रहना। मम्मी की बात सुनकर कुंदन चुप हो जाता है। वह हमेशा सभी को दोस्त बनाने की कोशिश करता रहता है, पर कोई भी बच्चा उसका दोस्त नहीं बनता है ।

कुंदन मन में सोचता है की यह सब मुझसे दोस्ती क्यों नहीं करते हैं ? मैंने तो कभी, किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा, फिर भी यह सब बच्चे मुझसे इतना दूर क्यों रहते हैं ? इसी तरह दिन बीतते जाते हैं। एक बार आधी रात में कुंदन की नींद खुलती है । उसे घर के बाहर कुछ अजीब आवाज़ें सुनाई देती हैं। जिन्हें सुनकर कुंदन अपने घर की खिड़की पर आता है और बाहर झाँकने लगता है। बाहर का नज़ारा देखकर कुंदन बहुत हैरान रह जाता है और बोलता है- यह क्या है ? मुर्गियाँ वो भी स्पेसशिप में !
यह कैसी अजीब दिखने वाली मुर्गियाँ हैं ?

मुर्गियों को देखकर कुंदन थोड़ा घबरा जाता है और खिड़की बंद करके वापस अपने कमरे में चला जाता है, लेकिन उसके बाद रात भर कुंदन को नींद नहीं आती और वह पूरा समय स्पेसशिप वाली मुर्गियों के बारे में ही सोचता रहता है। अगले दिन सुबह कुंदन जल्दी स्कूल चला जाता है और अपनी मम्मी को यह बात नहीं बता पता है ।

कुंदन स्कूल पहुंचकर भी उन एलियन मुर्गियों के बारे में सोचता रहता है। दोपहर में स्कुल से वापस घर जाते समय कुंदन सड़क की जगह पार्क वाले रास्ते से आता है। तभी थोड़ी दूर चलने पर कुंदन को एक अजीब सी परछाई नज़र आती है।

परछाई देखने के लिए कुंदन जैसे ही थोड़ा आगे बढ़ता है तो उसकी नज़र उसी स्पेसशिप वाली मुर्गी पर पड़ती है। जो पार्क के पत्थरों के बीच कुछ ढूंढ रही होती है। मुर्गी को देखकर कुंदन एकदम हक्का-बक्का रह जाता है।

कुंदन छुप कर मुर्गी को देखने लगता है, तभी मुर्गी की नज़र कुंदन पर पड़ जाती है। वह कुंदन को वहाँ देखकर डर जाती है और भागने लगती है। मुर्गी को भागते देख कुंदन उसके पीछे भागने लगता है, भागते हुए मुर्गी का पैर एक पत्थर से टकरा जाता है और वह गिर जाती है।

कुंदन मुर्गी को उठाते हुए बोलता है - अरे, कहीं इसे कोई चोट तो नहीं लग गई ? कुंदन यह बोल ही रहा है की तभी सामने से मुर्गी बोल पड़ती है- मुझे कोई चोट नहीं लगी है। मैं बिलकुल ठीक हूँ। मुर्गी को बोलते देख कुंदन हैरान रह जाता है।
कुंदन हैरान होते हुए बोलता है- तुम बोल सकती हो ! लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है ?


तभी मुर्गी बोलती है हाँ और उसे बताती है की वो यहाँ एक चमकीला और कीमती पत्थर ढूंढने आयी है। जो स्पेसशिप में सफर करते हुए मेरे गले से निकल कर नीचे गिर गया और फिर उसे ढूंढने के लिए हम सभी यहाँ उतर गए, लेकिन अब हमें वह नहीं मिल रहा है और हमारे पास उसे ढूंढने के लिए सिर्फ सात दिन का ही समय है।

जिसपे कुंदन उससे पूछता है की सात दिन ही क्यों ?  ये सुन कर मुर्गी सामने से जवाब देती है- क्योंकि, हम सिर्फ सात दिनों के लिए ही अपने गोले से बाहर निकल सकते हैं और सात दिन बात हमें वापस अपने गोले पर जाना पड़ता है।और मुर्गी उसे बताती है की वह नीले रंग का पत्थर है। जिसके ऊपर काले रंग का बिंदु बना हुआ है। तभी सामने से कुंदन कहता है की ठीक है हम कल से साथ में मिलकर उस पत्थर को ढूंढेगे।

अगले दिन से कुंदन सभी मुर्गियों के साथ मिलकर पत्थर ढूंढने में उनकी मदद करने लगता है। इसी तरह देखते ही देखते तीन दिन बीत जाते हैं, लेकिन उन्हें वह पत्थर नहीं मिलता है।

और वह पत्थर ढूंढ़ते ढूंढते तीन दिन बीत जाते हैं, लेकिन पत्थर नहीं मिलता। मुर्गी और कुंदन पत्थर ढूंढने के लिए पूरा समय साथ रहते हैं और बहुत अच्छे दोस्त बन चुके होते हैं। पत्थर ढूंढ़ते हुए मुर्गी, कुंदन को बोलती है- कुंदन, क्यों न तुम अपने दोस्तों को भी पत्थर ढूंढने के लिए बुला लो ! इससे हमारी बहुत मदद हो जाएगी, क्योंकि हमारे पास सिर्फ एक ही दिन बचा है।
मुर्गी की बात सुनकर कुंदन उदास हो जाता हैं और बोलता हैं- तुम्हारे अलावा मेरा और कोई दोस्त नहीं है। मुर्गी बोलती है -क्या, लेकिन ऐसा क्यों ?

कुंदन बोलता है की गाँव के सभी बच्चे मुझे हमेशा छोटा बच्चा बोल कर चिढ़ाते हैं । क्योंकि मेरा कद उन सभी से छोटा है और मैं हमेशा अपनी मम्मी की हर बात मानता हूँ। तभी मुर्गी बोलती है की अपनी मम्मी की बात मानने वाला बच्चा छोटा नहीं समझदार होता है, और तुम बहुत समझदार हो। वह सब मूर्ख हैं, जो इतने अच्छे दोस्त को खो रहे हैं, लेकिन तुम कोशिश मत छोड़ना और अगली बार जब भी किसी बच्चे से मिलो तो बिना डरे और पूरे आत्मविश्वास के साथ बात करना ! जिससे उन्हें भी समझ आये की तुम छोटे बच्चे नहीं हो।

मुर्गी की बात सुनकर कुंदन में आत्मविश्वास आ जाता है, और फिर दोनों पत्थर ढूंढने में लग जाते हैं। रात होने पर जब दोनों थक-हार कर वापस जा रहे होते हैं तभी मुर्गी की नज़र एक पेड़ के नीचे पड़ती है।जहाँ उसे कुछ चमकता हुआ नज़र आता है। मुर्गी बोलती है -कुंदन, वह देखो ! वहाँ कुछ चमक रहा है। दोनों उस चमकती चीज़ को देखने के लिए पेड़ के पास जाते हैं और जैसे ही वह उस चमकती चीज़ के पास पहुंचते हैं, तो ख़ुशी से उछल पड़ते हैं। मुर्गी बोलती है - मेरा पत्थर ! मेरा कीमती पत्थर ! मुझे मिल गया। हमने कर दिखाया।

कुंदन ख़ुशी से कहता है - हाँ दोस्त ! हमने आखिर तुम्हारा पत्थर ढूंढ लिया। वो भी समय से पहले, अब तुम कल आराम से वापस जा सकती हो। यह बोलते हुए कुंदन थोड़ा उदास हो जाता है, लेकिन फिर मुर्गी को खुश देखकर वह भी खुश हो जाता है और वह दोनों वहाँ से चले जाते हैं। अगले दिन मुर्गी ख़ुशी-ख़ुशी वापस अपने घर चली जाती है और कुंदन जब दोबारा गाँव के बच्चों से मिलता है तो बिना डरे आत्मविश्वास के साथ अपनी बात उनके सामने रखता है। जिसके बाद वह सभी बच्चे उससे माफ़ी माँगते हैं और उसके दोस्त बन जाते हैं।

शिक्षा:- तो बच्चों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें हमेशा आत्मविश्वास रखना चाहिए और निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करनी चाहिए ।

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