जादुई चुहिया (भाग - 2)

पिछली कड़ी में आपने देखा कि किस्मत की धनी चुटकी चुहिया घूमते-फिरते राहुल के घर पहुँचती है। चुटकी के पहुँचते ही राहुल के कारोबार में लाभ होना शुरू हो जाता है, लेकिन राहुल की मम्मी चुटकी को दुत्कार कर घर से बाहर निकाल देती है। चुटकी के जाते ही बरकत कम होने लगती है। चुटकी के घर आने-जाने का सिलसिला चलता रहता है कि एक दिन, चुटकी हमेशा के लिए चली जाती है और राहुल की मम्मी को एहसास होता है कि चुटकी उनके लिए सौभाग्यशाली थी। अब आगे।  

राहुल के घर से जाने के बाद चुटकी चुहिया इधर-उधर भटकने लगती है लेकिन उसे बहुत दिनों तक कुछ खाने को नहीं मिलता, जिससे वो बहुत उदास हो गई| फिर घूमते-घूमते चुटकी एक झोपड़ी के पास पहुँची, जहाँ पति-पत्नी का एक जोड़ा खाना खा रहा था|पत्नी ने चुहिया को देखकर बोली, “ये बेचारी बेचारी भूखी लग रही है।” 




ये कहकर पत्नी ने अपनी प्लेट से रोटी का एक टुकड़ा चुटकी के आगे रख दिया| रोटी के टुकड़े को देखकर चुटकी बहुत खुश हुई और रोटी खाने लगी| जब उसका पेट भर गया तो वह वहाँ से चली गई, और वो सोचने लगी, “इन दोनों के पास ज्यादा खाना नहीं था, फिर भी इन्होंने मुझे खाना खिलाया! यह दोनों बहुत अच्छे है। लेकिन अब मैं इस शहर में नहीं रह सकती। मैं किसी और शहर में जाऊँगी।”

और फिर चुटकी नए शहर चली गई| वहाँ पहुँचकर वो खाने की तलाश में यहां-वहाँ भटकने लगी| भटकते-भटकते वो एक मोहल्ले में पहुँची। वहाँ उसने देखा कि एक घर लका दरवाज़ा खुला है और वो बिना समय गवाए घर के अंदर चली गई, और रसोई में खाना खाने लगी| 

इसी तरह कुछ दिन बीत गए और अब चुटकी मज़े से उस घर में रहने लगी। एक दिन चुटकी रसोई में खाना खा रही थी तभी घर की मालकिन ने उसे देख लिया और गुस्से में चुटकी को भगाने लगी, “भाग यहाँ से, गंदी चुहिया!” इसपर चुहिया वहाँ से भाग गई,और फिर उसने तय किया, “ हे भगवान! ये इंसान आखिर अपने आप को समझते क्या हैं!? एक बेचारी चुहिया को शांति से खाना भी नहीं खाने देते! आज के बाद मैं कभी किसी के घर में नहीं रुकूंगी! एक दिन किसी के एक घर खाना खाऊंगी, तो दूसरे दिन किसी और के घर!”

इसके बाद चुटकी उसी मोहल्ले में कभी किसी के घर खाना खाने लगी, और कभी किसी के घर से खाना खाने लगी। वो जिस भी घर में भी खाना खाने के लिए रूकती उस घर में बरकत होने लगती और उसके जाते ही बरकत कम हो जाती। कुछ समय तक सब ऐसे ही चलता रहा। फिर एक दिन मोहल्ले की कुछ औरतों आपस में बातें कर रही थी. एक औरत ने कहा, “आजकल तो मुझे एक छोटी-सी चुहिया ने बहुत परेशान किया हुआ है।” इसपर दूसरी औरत बोली, “वही सफ़ेद चुहिया मेरे घर भी आती है और आते ही रसोई में जाकर खाना खाने लगती है।” तभी तीसरी औरत ने भी कहा, “वो एक जादुई चुहिया है क्योंकि सफ़ेद चुहिया आसानी से देखने को नही मिलती”|  ये सुनकर बोली पहली औरत ने कहा, “ऐसा है तो अगली बार जब वो चुहिया मेरे घर आएगी तो मैं उसे कहीं नहीं जाने दूँगी।” 

लेकिन ये सारी बातें पास खड़ी चुटकी सुन रही थी| ये सुनकर वो बहुत उदास हो गई और बोली, “जितना बड़ा घर, उतने छोटे दिल! इनसे अच्छे तो वही लोग थे जिन्होंने कोई फायदा या नुकसान देखे बिना मुझे अपनी थाली में से रोटी खिलाई थी|” ये सोचकर चुटकी वापिस उसी पति-पत्नी के जोड़े के पास चली गई और उनके साथ रहने लगी। चुटकी की किस्मत ने धीरे-धीरे उन लोगो को धनवान बना देती है, जिसके बाद वो तीनों ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे| 

शिक्षा - हमें हर निर्णय सोच समझकर लेना चाहिए क्योंकि हमारे निर्णय हमारे व्यक्तित्व को परिभाषित करते हैं।

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