जादुई चुहिया Part 1

पलवल शहर में चुटकी नाम की एक चुहिया रहती थी । चुटकी किस्मत की बहुत धनी थी। चुटकी जहाँ भी जाती थी, वहाँ कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होती थी । एक दिन, चुटकी घूमते हुए राहुल नाम के एक बच्चे के घर में गयी।

चुटकी  अरे वाह ! लगता है आज तो बहुत अच्छा खाना मिलेगा। मैं पेट भर के खाऊंगी।”

यह बोलते हुए जैसे ही चुटकी घर के अंदर की तरफ बढ़ती हैं, तभी उसके सामने एक बड़ा सा पैर आ जाता है।
चुटकी पैर से बचते हुए “हे भगवान ! आज तो मैं बाल-बाल बच गयी। यह इंसान नीचे देखकर नहीं चल सकते क्या ? अभी मुझे कुछ हो जाता तो ?!”

इसके बाद चुटकी थोड़ा और आगे चलती है तो उसे रसोई दिखाई देती है । वह भागकर रसोई में गई |

चुटकी खाना देखकर बहुत खुश होती है और बोली “मज़ेदार खाना ! स्वादिष्ट खाना ! आज तो जमकर खाउंगी।”

चुटकी रसोई से अलग-अलग चीज़े खाने लगती है । उसे रसोई में खाना खाते हुए राहुल की मम्मी देख लेती हैं ।

मम्मी चुटकी पर डंडा फेंकते है ! “भाग यहाँ से ! ना जाने यह चूहे कहाँ से आ गया  । मैं तो दुखी हो गई हूँ इनसे !”

मम्मी के भगाने के बाद चुटकी राहुल के कमरे में चली गई ! और वहीँ रहने लग गई  । धीरे-धीरे राहुल के घर में बरकत होने लगती है । एक दिन राहुल और उसके माता-पिता रात का खाना खाते हुए आपस में बात करते हैं ।

पापा बोलते है  “आजकल काम में बहुत तेज़ी आ गयी है । मुनाफ़ा भी बहुत हो रहा है ।”

मम्मी खुश होते हुए “ भगवान हमारी ख़ुशियाँ इसी तरह बनाये रखे ।”

राहुल भी बोलता है “पापा प्लीज! इस बार मुझे साइकिल चाहिये । मेरे सभी दोस्तों के पास साइकिल हैं ।”

पापा बोले  ठीक है ! इस बार तुम्हें तुम्हारी साइकिल मिल जाएगी ।”




मम्मी बोली “सब कितने खुश है ! मेरे परिवार को किसी की नज़र ना लगे।”

एक तरफ खाना खाते हुए पूरा परिवार अपनी ख़ुशियों की बातें कर रहा होता है । वहीँ दूसरी तरफ चुटकी भी रसोई में अपनी ख़ुशियों का जश्न मना रही होती है।

चुटकी “मज़ा आया ! खाना खाया ! मज़ा आया ! खाना खाया !”

चुटकी यह बोलते हुए सारी रसोई में घूम कर खाना खा ही रही होती है, तभी मम्मी रसोई में आती हैं और चुटकी को रसोई में घूमता हुआ देखकर बहुत गुस्सा हो गई | वह उसे घर से बाहर निकालने के लिए रात को रसोई में चूहे दान लगा दे ।चुटकी जब रात को रसोई में खाना खाने के लिए आती है, तो अंधेरे की वजह से उसे चूहे दान दिखाई नहीं देती और वह उसके अंदर फँस गई |
चुटकी रोने लग जाती है और  मुझे बाहर निकालो ! मैं यहाँ फँस गई हूँ। मुझे बचाओ ।
इसी तरह चुटकी पूरी रात चूहेदानी में फंसी रह गई ।

अगले दिन सुबह मम्मी चूहेदानी उठाकर चुटकी को घर से बाहर फेंक देती हैं। चुटकी के जाते ही राहुल के घर में आयी बरकत धीरे-धीरे कम होने लगती है। एक दिन तो उसके पापा के काम में भी बहुत घाटा हो जाता है।
“मम्मी  बोली आचनक से यह क्या हो रहा है ? अचानक सबकुछ इतना कैसे बदल गया ? अभी तक तो सब बहुत अच्छा चल रहा था।तभी पापा बोलते है “ भगवान ने हमपर यह कृपया थोड़े समय के लिए की थी।”

राहुल यहां सुनकर बोला “ पापा, क्या अब मेरी साइकिल भी नहीं आएगी ?”  बेटा ! तुम्हारी साइकिल हम अगली बार पक्का लेकर आयेंगे।

पापा की बात सुनकर राहुल दुखी हो जाता है। वह उदास मन के साथ घर से बाहर निकल जाता है और घर का दरवाज़ा खुला छोड़ जाता है, जिसकी वजह से चुटकी एक बार फिर उनके घर के अंदर आ जाती है ।

चुटकी बहुत खुश होती है “वापस आ गई जी, मैं तो वापस आ गई ! अब में जमकर स्वादिष्ट खाना खाउंगी ।”

चुटकी सीधा रसोई में चली जाती है और खाना खाने लगाती है । कुछ देर बाद वहाँ मम्मी भी आ जाती हैं और चुटकी को खाना खाते हुए देख लेती हैं ।

मम्मी गुस्से में बोलती है “एक तो पहले ही घर में इतनी दिक्कत चल रही है, ऊपर से यह चुहिया मुझे और परेशान कर रही है |”

मम्मी चुटकी को वहाँ से भगा देती हैं । चुटकी भाग कर दोबारा राहुल के कमरे में जाकर छुप जाती है । ऐसे ही बहुत दिन बीत जाते हैं और उनके घर की बरकत वापस आने लगती है। उनका काम भी दोबारा अच्छे से चलने लगता है। एक रात चुटकी जैसे ही घर में घूमने निकलती है तो वह चूहेदानी में फँस जाती है । “ यह इंसान आखिर चाहते क्या हैं ? एक बेचारी चुहिया को शांति से खाना क्यों नहीं खाने देते हैं ? मैं कौन सा चोरी कर रही थी । बस खाना ही तो खा रही थी।”

चुटकी यह सब बोल ही रही होती है की तभी वहाँ पापा आ जाते हैं और चुटकी को चूहेदानी में फँसा देख उसे उठा कर घर से बाहर छोड़ आते हैं।

पापा “ यह चुहिया भी कितनी ज़िद्दी है, बार-बार वापस आ जाती है ।”


पापा चुटकी को बाहर छोड़ आते हैं और अगले ही दिन उनके काम में फिर घाटा हो जाता है । किसी को भी कुछ समझ नहीं आ रहा होता है, की यह सब अचानक कैसे और क्यों हो रहा है । चुटकी घर आती है तो अचानक बरकत होती है और जब वह लोग उसे घर से बाहर निकाल देते हैं तो फिर कोई नुकसान हो ही जाता है । एक दिन मम्मी चुटकी के घर आने और उसके जाने पर घर की स्थिति पर ध्यान देती हैं। “यह सफ़ेद ज़िद्दी चुहिया ! यह जब भी घर में आती है तो हमारे घर में बरकत आती है और जैसे ही यह घर से बाहर जाती है। उसी के साथ घर की बरकत भी चली जाती है।”
कहीं यह कोई चमत्कारी चुहिया तो नहीं ? अगली बार वह घर में आएगी तो मैं उसे कहीं नहीं जाने दूंगी।

राहुल की मम्मी चुटकी का बहुत इंतज़ार करती हैं, लेकिन चुटकी दोबारा उस घर में वापस नहीं आती है और वह लोग उसका इंतज़ार करते हुए पछताते रह जाते हैं।

शिक्षा :- हमें कुछ चीज़ो की अहमियत तब पता चलती हैं, जब हम उन्हें खो देते हैं।


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