शॉल का बंटवारा

अमरोहा नामक गाँव में दो भाई राजेश और बजरंग अपने पिता के साथ रहते थे । एक काम करता था और दूसरा पिता की  देखभाल करता था । परिवार का जीवन अच्छे से चल रहा था, की एक दिन उनके पिता की तबीयत बहुत ख़राब हो गई।
राजेश और बजरंग के पिताजी दोनों से कहते है, मेरे बच्चों ! तुम दोनों बहुत समझदार हो । मुझे पूरा भरोसा है, की मेरी मृत्यु के बाद तुम दोनों यह घर और कामकाज अच्छे से संभाल लोगे, तभी राजेश अपने पिता से कहता है, हम आपको कुछ नहीं होने देंगे तभी बजरंग कहता है, हाँ पिताजी भैया सही कह रहे है आपको कुछ नहीं होगा आप जल्द ही ठीक हो जायेंगे | 

दोनों भाई अपने पिता से बात कर रहे होते हैं की तभी उनके पिता एक लंबी सांस लेते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है ।
अपने पिता को ऐसे देखकर दोनों भाई हैरान रह जाते है व बहुत रोते है।पिता की मृत्यु के बाद दिन बीतते जाते हैं और धीरे-धीरे दोनों भाइयों की छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई होने लगती है ।

बजरंग राजेश से कहता है यह धन मेरा है । पिताजी यह सब मेरे लिये छोड़कर गए हैं, राजेश गुस्से में  कहता है, नहीं यह सब मेरा है । तुम तो कभी सही से काम पर भी नहीं गए, फिर बजरंग कहता है मैं घर में रहकर पिताजी की सेवा करता था | राजेश तो कोई एहसान तो नहीं करते थे ना ! वह तुम्हारा फ़र्ज़ था । ऐसे धीरे धीरे दोने के की लड़ाई बढ़ती चली गई तभी राजेश को एक तरकीब सूजी उसने बजरंग से कहा अच्छा ठीक है एक काम करते है आज हम हर छोटी-बड़ी चीज़ का बंटवारा कर लेते हैं, फिर चाहे वह घर का राशन हो या फिर धन । बंटवारा करते हुए पिताजी की एक शॉल उन दोनों भाइयों के हाथ लगती है ।




राजेश वो शॉल अपने पास रख लेता है, तभी बजरंग उससे शॉल लेकर कहता है पिताजी की आखिरी निशानी है तो में ये शॉल अपने पास रखूंगा, तभी राजेश कहता है  लेकिन यह शॉल पिताजी के लिए मैं ख़रीद कर लाया था, ये तो मेरे पास ही रहेगी ये बोलकर राजेश शॉल छीन लेता है और अपने पास रख लेता है फिर बजरंग कहता है  तो क्या हुआ ? उनका और उनकी हर ज़रुरत का ध्यान तो मैं ही रखता था ।दोनों में शॉल को लेकर विवाद हो जाता है और कुछ देर इसी तरह बहस करने के बाद वह दोनों अंतिम फैसले पर पहुँचते हैं, की शॉल के बंटवारा पंचायत करेगी । वह दोनों गाँव के सरपंच को सारी बात बताते हैं।

राजेश  सरपंच जी के पास जाकर कहता है ! इस शॉल का बंटवारा करने में हमारी मदद कीजिये।

सरपंच कहते है  अगर तुम दोनों यही चाहते हो तो, ठीक है ! लेकिन हम बंटवारे का फैसला इतनी जल्दी नहीं सुना सकते हैं, इसलिए हम इसका फैसला तीन दिन के बाद सुनायेंगे। साथ में बैठे दूसरे सरपंच कहते है हाँ ! और इस बीच तुम दोनों का घर बंद कर दिया जायेगा । तीन दिन बाद सरपंच द्वारा सभी चीज़ों का बंटवारा दोबारा किया जायेगा ।

यह बोल कर सरपंच राजेश और बजरंग के घर में ताला लगा देते हैं और वहाँ से चले जाते हैं । राजेश और बजरंग तीन दिन के लिए अपने पड़ोसियों के घर में रुक जाते हैं ।राजेश मन में कहता है तीन दिन बाद निर्णय आ जायेगा और उसके बाद मैं अपने जीवन आराम से व्यतीत करूँगा ।

दोनों यह सोचकर अपने पड़ोसी के घर में शांति से रहने लगते हैं । उसी रात उनके घर में चोरी हो जाती है, लेकिन यह बात गाँव में किसी को भी पता नहीं चलती है । इसी तरह तीन दिन बीत जाते हैं । तीन दिन बाद बंटवारे का फैसला करने के लिए घर का ताला खोला जाता है, तो अंदर का नज़ारा देखकर सभी हैरान रह जाते हैं ।

बजरंग कहता है  हमारा घर ! यह क्या हो गया ? सारा सामान कहाँ गया ?राजेश कहता है  अब तो हमारे हाथ वैसे भी कुछ नहीं आना ! इससे तो अच्छा होता की हम बंटवारे के बारे में सोचते ही नहीं।
दोनों भाई यह सब बोल ही रहे होते है की तभी उनकी नज़र सरपंच के हाथ पर रखी शॉल पर पड़ती है।राजेश सरपंच से शॉल वापस लेते हुए उन सभी सरपंचों के आगे हाथ जोड़कर बोलता है, हमें माफ़ करना सरपंच जी ! लेकिन अब कोई बंटवारा नहीं होगा, वैसे भी अब हमारे इस घर में बंटवारे के लिए कुछ बचा ही नहीं है ।बजरंग भी राजेश की बातो से सहमत होता है  हाँ ! भैया आप ठीक कह रहे हो । सरपंच लेकिन क्या तुम दोनों उस चोर को ढूँढना नहीं चाहोगे ।

राजेश कहता है सरपंच जी ! तीन दिन बीत गए हैं, अब तो वह चोर जाने कहाँ निकल गए होंगे ।
दोनों भाइयों की यह बात सुनकर सभी सरपंच मुस्कुराने लगते हैं, तभी दूसरा सरपंच मुस्कुराते हुए बोलै तुम दोनों को इस बात का एहसास कराना बहुत ज़रूरी था कि हमें सदैव मिलजुलकर रहना चाहिए। क्योंकि अब तुम दोनों यह बात समझ चुके हो तो हम तुम्हें कुछ देना चाहते हैं।फिर वह सभी घर के पीछे की तरफ जाते हैं । दोनों भाई यह देखकर हैरान रह जाते हैं कि चोरी का सारा सामान वहीँ रखा होता है ।

सरपंच सामान की तरफ इशारा करते हुए  तुम्हारा सामान ! तुम्हारे पिताजी यह चाहते थे कि तुम दोनों एक साथ मिलकर रहो। तुम्हें सीख देने के लिए हमने यह सामान ग़ायब करवाया था। जिससे तुम दोनों को इसका अहसास हो ।

शिक्षा :- हमें हमेशा अपनों के साथ मेल और प्यार से रहना चाहिये, क्योंकि सुखी और शांत जीवन बिताने का यही एक मूल मंत्र है।


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