जादुई चक्की

वीरपुर नाम के गाँव में अमन और रमन नाम के दो भाई अपने परिवार के साथ रहते थे। अमन बहुत अमीर था , वहीं रमन के पास खाने के भी पैसे नहीं थे। जब कभी रमन अपने भाई अमन के पास सहायता मांगने के लिए जाता , अमन उसे धुत्कार देता था। एक दिन रमन जंगल में लकड़ियां लेने गया। वापिस आते हुए उसने देखा की भेड़िया एक सूंदर हिरन का शिकार करने वाला है। रमन भेड़िये को भगाकर हिरन की जान बचा लेता है , तभी हिरन एक सुंदर लड़की का रूप लेकर उसके सामने आ जाती है, तभी रमन कहता है - आप कौन हो ? और आपने अचानक अपना रूप कैसे बदल लिया ?

तभी वो लड़की बोलती है - मैं मिट्टी की देवी मीतेश्वरी हूँ। एक पेड़ ने मुझे श्राप दिया था कि मैं अपना असली रूप तभी धारण कर पाऊँगी जब कोई ईमानदार व्यक्ति मुझे मरने से बचाएगा , तुमने मुझे श्राप से मुक्त किया है। बोलो तुम्हें क्या चाहिए ?

लेकिन रमन उस देवी से कुछ नहीं मांगता, तभी वो देवी बोलती है - मैं तुम्हारी ईमानदारी से खुश हूँ, इसलिए मैं तुम्हे एक चक्की देना चाहती हूँ।  मीतेश्वरी देवी रमन को चक्की देते हुए बोलती हैं,-  यह कोई साधारण चक्की नहीं है। यह एक इच्छापूर्ति चक्की है, तुम इस चक्की से कोई भी सामान मांगकर इसे एक बार घुमाना, तुम्हें वो सामान मिल जायेगा। सामान मिलने के बाद तुम इस चक्की पर लाल कपडा रख देना जिससे वो सामान आना बंद हो जायेगा।

यह कहकर  मीतेश्वरी देवी वहाँ से गायब हो जाती हैं और रमन उस चक्की को लेकर घर पहुंचता है। रमन उस चक्की के बारे में अपनी पत्नी रेखा को बताता है, - आज जंगल में मुझे यह जादुई चक्की मिली। हम इस चक्की से जो भी सामान मांगेंगे हमे वो मिल जायेगा। 

रमन उस चक्की से खाने के लिए दाल और रोटी मांगता है। तभी उसके सामने दाल और रोटी आ जाती है। रमन और उसका परिवार यह देखकर बहुत खुश होता है।वह भरपेट खाना खाते हैं। अब उन्हें जिस भी चीज़ की जरुरत पड़ती वह उस चक्की से मांग लेते थे। धीरे धीरे रमन बहुत अमीर हो जाता है और उसका घर भी बहुत बड़ा हो जाता है। यह सब देखकर एक दिन उसका भाई अमन सोचता है,- इसके पास तो पहले खाने तक के पैसे नहीं थे, फिर ये अचानक इतना अमीर कैसे हो रहा है ? मुझे पता लगाना ही होगा। 

एक दिन अमन छुपकर देखता है, कि रमन चक्की से जो भी मांग रहा है, वो सामान उसे मिल रहा है। अमन समझ जाता है की यह कोई जादुई चक्की है , जो इच्छा पूरी करती है। ये देखकर अमन को लालच आ जाता है और वह उसे चुराने की योजना बनाता है।

रात को रमन के सोने के बाद अमन उस चक्की को चुरा लेता है और अगली सुबह अमन अपना घर छोड़कर अपने परिवार के साथ उस चक्की को लेकर दूर किसी टापू पर जाने के लिए नाँव में सवार हो जाता है। उसकी पत्नी लीला उससे पूछती है,-  क्या हम अपना घर और ज़मीन सिर्फ इस पत्थर की चक्की के लिए छोड़कर जा रहे हैं ?

तब अमन अपनी पत्नी लीला से कहता है - ये कोई साधारण चक्की नहीं है। ये एक इच्छापूर्ति चक्की है। 
ये सुन कर लीला अपने पति से बोलती है, -  क्या ? इच्छापूर्ति चक्की? , पर मैं ये कैसे मान लूँ ? अगर ऐसा है तो तुम इससे कुछ मांगो। 

तभी अमन पत्नी की बात मान कर कहता है की हम इस चक्की से नमक मांगते हैं , चक्की देवी नमक निकाल। 
चक्की नमक निकालना शुरू करती है और थोड़ी ही देर में नांव नमक से भरने लगती है। 

नाँव  में नमक बढ़ता ही जाता है और कुछ समय में  नाँव चक्की समेत समुद्र में डूब जाती है। ऐसा माना जाता है कि शायद आज भी वह चक्की चल रही है  इसलिए समुद्र का पानी खारा होता है। 

शिक्षा :- तो बच्चों इस कहानी से हमे ये शिक्षा मिलती है की हमें कभी लालच नहीं करना  चाहिए।

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