किसी
राज्य में पृथ्वी सिंह नाम
के एक बहुत दयालु राजा का शासन
था। राजा की एक बेटी थी जो बहुत
सुन्दर थी। उसका नाम जाह्नवी
था। जाह्नवी बहुत ही घमंडी
थी। उसे अपनी खूबसूरती पर बहुत
घमंड था|
राजा
पृथ्वी सिंह अपनी बेटी के लिए
एक योग्य वर की तलाश कर रहे
थे। उन्हें लगता था कि एक बार
राजकुमारी की शादी हो जाए तो
उनके बर्ताव और व्यवहार -
दोनों
में परिवर्तन आ जाएगा। एक दिन
राजा पृथ्वी सिंह ने अपनी बेटी
के विवाह के लिए स्वयंवर का
आयोजन किया।
दूर
दूर से राजा राजकुमारी के
स्वयंवर में भाग लेने आए।
राजकुमारी जाह्नवी दरबार में
आई और एक एक कर सभी राजकुमारों
का अपमान करने लगी। पहले
राजकुमार के पास पहुँचकर उसने
कहा,
“यह
तो बहुत छोटा है!”
फिर
वो दूसरे राजकुमार के पास गई
और बोली,
“यह
तो एकदम खम्भे जैसा लंबा है!”
तीसरे
राजकुमार को उसने कहा,
“यह
तो एकदम कद्दू जैसा गोल है|”
और
फिर आख़िर में वो राजा विक्रम
के पास गई और जोर से हँसते हुए
बोली,
“हाहाहा!
इसे
देखो तो सही...
इसकी
दाढ़ी कितनी अजीब और लंबी है।
और इसका चेहरा भी कितना लंबा
है। इसे तो हम महल में नौकर भी
ना रखें।”
ये
कहकर राजकुमारी सभी का अपमान
करते हुए आगे बढ़ती गई। राजकुमारी
के इस व्यवहार से महाराज गुस्से
में बोले,
“जाह्नवी!
आखिर
तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इन
सभी नेक राजसी पुरुषों का
अपमान करने की?
अब
बहुत हुआ। मैं ऐलान करता हूँ
कि कल सुबह जो भी पहला व्यक्ति
इस महल के प्रवेश द्वार में
सबसे पहले प्रवेश करेगा...
तुम्हारी
शादी उसी से करवा दी जाएगी।
फिर चाहे वह कोई राजा हो या
कोई नौकर!”
महाराज
का एलान सुनकर राजकुमारी
अचम्भित रह गई।
अगली
सुबह सबसे पहले एक भिखारी वहाँ
एकतारा बजाते हुए महल के प्रवेश
द्वार से अंदर आया। महाराज
को जैसे ही इस बारे में पता
चला उन्होंने दरबारियों को
भेजकर उस भिखारी को राजदरबार
बुलाया और कहा,
“हम
तुम्हारी शादी अपनी बेटी से
करवाना चाहते हैं!”
ये
सुनकर भिखारी बहुत खुश हुआ।
महाराज ने राजकुमारी और भिखारी
की शादी करवा दी। शादी के बाद
राजकुमारी भिखारी के साथ महल
से चली गई। दोनों चलते चलते
एक बहुत ही सुंदर घाटी पहुंचे|
सूंदर
घाटी देखकर राजकुमारी बोली,
“अरे
वाह!
यह
कितनी सुंदर घाटी है,
यह
घाटी किसकी है”?
भिखारी
ने उसे बताया कि यह घाटी राजा
विक्रम की है। ये सुनकर राजकुमारी
को बहुत अफ़सोस हुआ। अब वह दोनों
उस घाटी से और आगे बढ़ते हुए एक
बड़े से शहर में पहुंचे|
वहाँ
पहुंचकर राजकुमारिने उससे
फिर पूछा,
“यह
बड़ा और सुंदर शहर किसका है?”
भिखारी
ने कहा,
“यह
शहर भी राजा विक्रम का ही है|”
राजकुमारी
को ये सुनकर बहुत अफसोस हुआ।
उसने सोचा,
“ओह!
मैं
कितनी बड़ी मूर्ख हूँ!
मुझे
उस राजा का अपमान नहीं करना
चाहिये था।”
वहाँ
से आगे जाकर भिखारी उसे अपने
घर ले गया। घर देखकर राजकुमारी
भौचक्की रह गई। वो बोली,
“हे
भगवान!
ये
घर तो बहुत छोटा है। यहाँ तो
कोई सेवक भी दिखाई नहीं दे
रहा!”।
इसपर भिखारी ने बड़े प्यार से
कहा,
“ये
हमारा घर है। अब हमें यहाँ
सारा काम खुद ही करना होगा”।
अब
वो भिखारी और राजकुमारी उस
घर में रहने लगे। लेकिन राजकुमारी
को घर का कोई काम करना नहीं
आता था,
इसलिए
वह हमेशा हर कार्य बिगाड़ देती
थी। परेशान होकर उसके पति ने
उसे सबसे आसान काम देने के
बारे में सोचा। वह राजकुमारी
के लिए जंगल से कुछ फूल तोड़कर
ले आया जिससे वह राजकुमारी
फूलों की माला बना सके और वह
उन्हें बेचकर कुछ पैसे कमा
सके। राजकुमारी बहुत मेहनत
से फूल माला बनाने की कोशिश
कर रही थी,
तभी
उसकी उँगलियाँ छिल गई और वो
माला नहीं बना सकी। यह देखकर
भिखारी बहुत गुस्सा हो गया।
उसने राजकुमारी से गुस्से से
बोला,
“तुम
खाना नहीं बना सकती,
तुम
फूल माला नहीं बना सकती,
तुम
घर का कोई काम नहीं कर सकती,
तो
तुम कर क्या सकती हो!?”
तभी
उसे एक ख्याल आया। उसने राजकुमारी
से कहा,
“राजा
विक्रम के महल में एक सेविका
की आवश्यकता है,
इसलिए
अब से तुम महल में सेविका का
काम करोगी|”
अगले
दिन से राजकुमारी राजा विक्रम
के महल में सेविका का काम करने
लग गई। वह वहाँ पूरे दिन साफ़-सफाई
और बर्तन मांझने का काम करती
थी,
जिससे
दिन के अंत में उसे कुछ खाना
घर ले जाने के लिए मिल जाता
था। ऐसे ही कुछ दिन बीत गए।
कुछ समय बाद राजा विक्रम के
विवाह पक्का हो गया। विवाह
की तैयारियाँ जोरों-शोरों
के साथ शुरू हो गई,
जिसे
देखकर राजकुमारी जाह्नवी
बहुत उदास हो गई। वो बोली,
“काश,
मैंने
राजा विक्रम का अपमान नहीं
किया होता और उनका हाथ थाम
लिया होता”। तभी राजा विक्रम
उसके पास आए और बोले,
“क्या
तुमने अभी मेरा नाम लिया”?
राजकुमारी
ने कहा,
“ओह,
प्रिय
राजा!
मुझे
मेरे किए पर बहुत पछतावा है।
मुझे माफ़ कर दो”।
राजा
विक्रम ने हँसते हुए जवाब
दिया,
“तुम
चिंता मत करो!
चलो
मेरे साथ”।
ऐसा
कहकर राजा विक्रम राजकुमारी
जाह्नवी को अपने साथ उस कक्ष
में ले गए जहाँ उनकी शादी की
तैयारियाँ चल रही थी। वह दोनों
जैसे ही उस कमरे में पहुंचे
जाह्नवी ने देखा कि उसने जिन
राजकुमारों का अपमान किया था
वह सभी वहाँ मौजूद थे। उन सभी
में राजकुमारी के पिता भी
मौजूद थे। राजकुमारी ने उन
सबसे कहा,
“मुझे
माफ़ कर दीजिए!
मैं
अपने किए पर बहुत शर्मिंदा
हूँ। मुझे आप सब का अपमान नहीं
करना चाहिए था। मुझसे बहुत
बड़ी गलती हो गई।”
राजा
विक्रम ने हँसते हुए राजकुमारी
से कहा,
“आपको
आपकी गलती का एहसास हुआ यही
बहुत बड़ी बात है। मैं आपको यह
बताना चाहूँगा कि मैं ही वही
भिखारी हूँ जिस के साथ आपकी
शादी हुई थी। इतने दिनों से
आप मेरे साथ ही रह रही थी। मैंने
यह सब इसलिए किया ताकि आप यह
समझ सके की घमंड दुनिया की
सबसे बड़ी बुराई है,
और
जब आप यह समझ ही गई हैं तो...
चलो
मेरी रानी।”
ये
कहकर राजा विक्रम राजकुमारी
को अपने साथ ले गए। उन दोनों
ने धूमधाम के साथ पूरे राज्य
के समक्ष विवाह कर लिया और
ख़ुशी-ख़ुशी
अपना जीवन व्यतीत करने लगे।
शिक्षा
-
हमें
कभी भी घमंड नहीं करना चाहिये
क्योंकि घमंड इंसान का सबसे
बड़ा अवगुण है।
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