नील गिरी नामक खूबसूरत जंगल में अलग-अलग तरह के सुंदर पक्षी रहते थे। उस जंगल में बहुत से लोग घूमने भी जाते थे। उस जंगल में एक नीली चिड़िया भी रहती थी। उस चिड़िया को अपने सूंदर रूप पर बहुत घमंड था। एक दिन तोता घूमता हुआ नीली चिड़िया के पास पहुँचा ।
“ कैसी हो नीली ? बहुत दिनों के बाद नज़र आयी ! कहाँ रहती हो आजकल ?”
नीली चिड़िया बोली “तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा क्या !? मैं अपने पंखों की सफाई कर रही हूँ, जाओ यहाँ से, और मुझे अपना काम करने दो।”
तोता गुस्से में बोला “इतना घमंड अच्छा नहीं होता नीली ! तुम्हें इसका सबक एक दिन जरूर मिलेगा।”
यह बोल कर तोता वहाँ से गएा तोते को नज़रअंदाज़ करते हुए नीली चिड़िया फिर से अपने खूबसूरत पंखों में खो जाती |
इस तरह कुछ दिन बीत जाते हैं। एक दिन जंगल में कोयल का जन्मदिन मनाने की तैयारियाँ चल रही होती हैं ।
कबूतर “आज तो बहुत मज़ा आएगा ! हम सब कोयल का जन्मदिन बहुत ही धूम-धाम से मनाएंगे।”
तोता भी बोलता है “हाँ कबूतर भाई ! सही कह रहे हो तुम, आज तो सारी रात पार्टी होगी ।
सब पक्षी बातें कर रहे होते हैं, इतने में वहाँ नीली चिड़िया भी आ जाती है।
कौआ नीली चिड़िया को देखते हुए बोलता है “ यह घमंड की महारानी यहाँ क्या कर रही है ? इसे किसने बुलाया ?”
कोयल बोली दोस्तों, नीली को मैंने यहाँ बुलाया है।यह भी हमारे इस जंगल की सदस्य है।”
कोयल की बात पर कोई भी पक्षी कुछ नहीं बोलता और सभी अपने काम में लग गए | कोई फूल इकट्ठा कर रहा है तो कोई खाने के लिए फल आदि इकट्ठा कर रहें था | सभी मिलकर पार्टी की तैयारी कर रहे होते है, लेकिन दूसरी तरफ नीली चिड़िया बस एक जगह बैठी हुई थे ।
तोता, नीली की और इशारा करते हुए बोला “देखो इस महारानी को ! यह तो यहाँ बस खाने और आराम करने आयी है।
सब पक्षी यह सुन कर हस्ते है तभी कोयल बोलती है “हाँ ! तुम बिलकुल सही कह रहे हो तोते भाई।”
सभी पक्षियों को खुद पर हँसते हुए देखकर, नीली चिड़िया को बहुत गुस्सा आ गया |
नीली चिड़िया गुस्से में बोलते है “तुम सब अपने आप को समझते क्या हो ? जो मेरा मज़ाक बना रहे हो ।” मैं यहाँ तुम सब से ज्यादा सुंदर हूँ । मेरा रूप और रंग तुम सब से अच्छा, अलग और बहुत ही ज्यादा चमकीला है। इसलिए तुम सब शायद मुझसे ईर्ष्या करते हो।
यह बोल कर नीली चिड़िया वहाँ से उड़ गई | पक्षी उसकी बातों पर हँसते हुए वापस अपनी पार्टी कि तैयारियों में लग गया | पक्षी अपनी पार्टी ख़त्म करने के बाद भी नीली चिड़िया से बात नहीं कर रहे थे | इसी तरह कुछ दिन बीत गया | एक दिन जंगल में एक परिवार घूमने आता है।
बच्चा जंगल में घूमते हुए बोलता है “ यह कितना सुंदर जंगल है, और यहाँ कितने सारे पक्षी भी हैं ।”
पापा उसके बात का जवाब देते हुए बोलते है “हाँ बेटा, यह जंगल बहुत सुंदर है। यहाँ तुम्हें बहुत से अलग-अलग तरह के पक्षी देखने को मिलेंगे |”
बच्चा जंगल देखकर और पक्षियों की आवाज़ें सुनकर बहुत खुश हो गया | तभी उसे पास में एक पेड़ पर नीली चिड़िया बैठी हुई नज़र आ गई|
बच्चा नीली चिड़िया की और देखते हुए अपने पापा को बोलता है “ वह चिड़िया बाकी पक्षियों से कितनी अलग और सुंदर है। मुझे वह चिड़िया चाहिए। मैं उसे अपने दोस्तों को दिखाऊंगा, प्लीज पापा ! मुझे वह चिड़िया चाहिए।”
बच्चे के साथ-साथ उसके मम्मी-पापा को भी नीली चिड़िया बहुत पसंद आ जाते है “इसीलिए वह उस चिड़िया को पकड़ने के लिए, एक जाल बिछाते हैं और अपने खाने के सामान में से कुछ नमकीन और दाना ज़मीन पर बिखेर देते हैं ।”
“पापा बोलते है इसे देखकर वह चिड़िया हमारे जाल में ज़रूर फँस जाएगी” और जैसी ही वह दाना खाने नीचे आएगी, हम उसे पकड़ लेंगे।
यह कहकर वह सभी थोड़ी दूर जाकर एक पेड़ के पीछे छुप जाते हैं ।
थोड़ी देर बाद नीली चिड़िया की नज़र ज़मीन पर पड़े दाने पर पड़ती है और वह खाने के लालच में आकर ज़मीन पर आकर दाना चुगने लगती है। परिवार वाले जैसे ही चिड़िया को ज़मीन पर देखते हैं, वह जल्दी से झपटा मार कर चिड़िया को पकड़ लेते हैं। वह उसे एक जालीदार टोकरी में डाल देते हैं । वहाँ बैठे तोता और कोयल यह सब देख लेते हैं। वह दोनों उस परिवार का पीछा करने लगते हैं।
बच्चा “वाह ! हमने इसे पकड़ लिया। यह कितनी सुंदर है।”
मम्मी बोली “अब हम इसे सबको दिखाएँगे। आज से पहले तो किसी ने भी नीले रंग की चिड़िया नहीं देखी होगी।”
चिड़िया को पकड़ कर वह सब वापस घर जाने लगते हैं । वह सब कुछ दूर तक चलने के बाद थक जाते हैं। आराम करने के लिए वह सब रास्ते में ही एक पेड़ के नीचे बैठ जाते हैं और चिड़िया की टोकरी को भी वहीँ अपने बराबर में रख दिया| यह सब देखकर तोता और कोयल चुपके से नीली चिड़िया के पास गए |
कोयल बोली “अरे नीली बहन ! यह क्या हुआ ? तुम इतनी आसानी से कैसे फँस गई ?”
नीली चिड़िया रोते हुए बोलती है “ बहन ! मुझे बचा लो। मैं यहाँ इस बंद टोकरी में नहीं रह सकती हूँ ।”
तोता बीच में बोलता है “ लेकिन तुम तो यहाँ सबसे अच्छी हो, तुम्हें तो हम सब से बात करना भी पसंद नहीं है, तो फिर अब तुम्हें हमारी मदद की क्या जरूरत है।”
तोते की इस बात से नीली चिड़िया बहुत उदास हो जाती है और रोने लगती है।
नीली चिड़िया अपने गलती का आसा होता है और वह बोलती है “मुझे माफ़ कर दो ! मुझसे भूल हो गयी । कृपया मुझे यहाँ से बाहर निकाल दो ।”
नीली चिड़िया कि ऐसी हालत देख कर तोते और कोयल को उस पर दया आ जाती है और वह उसे बचाने की तरकीब बताते हैं ।
कोयल मेरे बात “ध्यान से सुनो ! जब यह इंसान आराम करके वापस उठेंगे और इस टोकरी खोल कर तुम्हें देखेंगे, तो तुम मरने का नाटक करते हुए गिर जाना और बिलकुल भी मत हिलना और ना ही सांस लेना ।”
“तुम्हें ऐसे देखकर वह ज़रूर घबरा जायेंगे और तुम्हें इस टोकरी से बाहर निकालेंगे। जैसे ही वह तुम्हें बाहर निकालें ! तुम मौका देख कर फट से उड़ जाना।”
तोता और कोयल यह सब बोल कर वहाँ से चले जाते हैं और थोड़ी दूर जाकर बैठ जाते हैं ।
परिवार के लोग उठते ही टोकरी को खोलकर नीली चिड़िया को देखते हैं। नीली चिड़िया ठीक वैसा ही करती है, जैसा तोते और कोयल ने उसे करने को कहा था।
पापा बोलते है “अरे इसे क्या हुआ ? शायद इस टोकरी में इसका दम घुट गया है।”
पापा उसे टोकरी से बाहर निकालते हैं। नीली चिड़िया मौका पाकर तेजी से उड़ जाती है और परिवार के लोग बस देखता ही रह जाते हैं । नीली चिड़िया का घमंड हमेशा के लिए टूट जाता है और वह सभी पक्षियों के साथ मिल-जुल ख़ुशी से रहने लगती है ।
शिक्षा:- हमें कभी भी अपने रूप पर घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि जरूरत के समय कभी भी वह रूप आपका साथ नहीं देता है, इसीलिए हमें हमेशा सभी के साथ मिल-जुलकर ख़ुशी से रहना चाहिए ।