जादुई डिब्बा

बहुत समय पहले किसी गाँव में रवि नाम का एक लड़का रहता था। रवि के माता-पिता का निधन हो चुका था इसलिए वो अपनी चाची के साथ रहता था। रवि अपनी चाची से बहुत प्यार करता था। वो अपनी चाची की घर के सभी कामों में मदद करता था| लेकिन उसकी चाची उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी|

एक दिन चाची ने रवि को घर से निकालने की योजना बनाई और रवि से कहा, “बेटा, मैं कुछ दिनों से बहुत बीमार हूँ| कुछ दिनों तक काम पर नहीं जा पाऊँगी। इसलिए हो सके तो तुम मेरे भाई के खेत में काम करने चले जाओ|” रवि बोला, “मैं कल ही आपके भाई के घर चला जाऊँगा|”

रवि अपनी चाची के भाई के घर चला गया। कुछ दिनों में ही रवि समझ गया कि उसकी चाची  का भाई बहुत लालची है| वो रवि से खूब काम करवाता था लेकिन उसे ज़्यादा कुछ खाने को नही देता था| एक दिन रवि खेत में काम कर रहा था तभी उसने रवि से कहा, “ओ लड़के, ज़रा अच्छे से खुदाई कर! नहीं तो आज भी खाना नहीं मिलेगा”!

ये सुनकर रवि बहुत दुखी हो गया भूखा होने के कारण खाने के बारे में सोचते हुए खुदाई करने लगा। तभी खुदाई करते-करते उसे एक डिब्बा मिला। रवि ने जैसे ही उस डिब्बे को खोला तो उसे उस डिब्बे में अलग-अलग प्रकार का खाना मिला| वो सोचने लगा, “इस डिब्बे में इतना सारा खाना भरकर ज़मीन के अंदर किसने गाढ़ा होगा?”|  लेकिन रवि भूखा था इसलिए सोचना बंद किया और खाना खाने लगा| खाना खाकर वो सोचने लगा, “मुझे भूख लगी थी तो मुझे खाना मिल गया, काश उसी तरह मुझे कुछ पैसे भी मिल जाते तो उन पैसों से मैं अपनी चाची की कुछ सहायता कर पाता|” ऐसा कहकर रवि जैसे ही डिब्बा रखकर जाने लगा, उसे डिब्बे में से रौशनी निकलती दिखी| रवि ने डिब्बा खोला| उस डिब्बे में एक सोने का सिक्का था|

“ये क्या?! इसमें तो सोने का सिक्का है! पर अभी तो इसमें खाना था? लगता है शायद यह मन के अनुसार इच्छा पूरी करने वाला कोई जादुई डिब्बा है!”


रवि ने डिब्बे को उठा लिया था और उसे उस आदमी के पास जाने लगा| तभी उसने सोचा, “वो आदमी बहुत ही लालची है. मुझे उसे ये जादुई डिब्बा नहीं देना चाहिए|” ये सोचकर रवि ने डिब्बे को खेत में छुपा दिया| ऐसे ही दिन बीतते गए| एक दिन उस आदमी ने रवि को अपने पास बुलाया और कहा, “मेरे खेत का काम अब खत्म हो चुका है| अब तक तुमने कुछ ज़्यादा तो नहीं कमाया, पर मैं तुम्हें 20 रुपये दे सकता हूँ|”
ये सुनकर रवि को बहुत बुरा लगा पर उसके पास वो जादुई डिब्बा था, इसलिए वो बिना कुछ बोले वहाँ से चला गया| रवि वहाँ से निकलकर अपनी चाची के घर पहुंचा। घर पहुँचते ही उसकी चाची ने उससे कहा, “आओ रवि बेटा, कितने पैसे कमा कर लाए हो?” रवि ने कहा, “चाची पूरे 20 रुपये!” 20 रूपये की बात सुनकर चाची गुस्से से आग-बबूला हो गई| उसने रवि की जादुई डिब्बे वाली बात सुने बिना ही उसका हाथ पकड़कर खींचा और उसे कमरे में बंद करने के लिए ले जाने लगी| इसी बीच रवि के हाथ से वो जादुई डिब्बा छूट गया और उसमें से रौशनी निकलने लगी| जैसे ही चाची ने डिब्बे से रौशनी निकलती देखी, उसने रवि का हाथ छोड़ा और हैरानी से उस रौशनी की तरफ बढ़ी|

फिर जैसे ही चाची ने डिब्बे को खोला, उस डिब्बे में से एक ज़हरीला सांप निकला और उसने चाची को डस लिया| रवि दौड़ता हुआ उनके पास गया और बोला, “चाची, आप चिंता मत करो| मैं अभी डॉक्टर को लेकर आता हूँ!” रवि भागकर डॉक्टर को बुला लाया। डॉक्टर ने चाची का इलाज़ कर दिया और रवि से बोला, “रवि, अब तुम्हारी चाची ठीक है| अब तुम मुझे मेरी फीस दो, तो मैं चलूँ!”

फीस की बात सुनकर रवि सोच में पड़ गया,“मेरे पास तो सिर्फ 20 रुपये हैं| अब मैं डॉक्टर को पैसे कहाँ से दूँ?” तभी रवि को उस जादुई डिब्बे की याद आई और वो भागकर उस जादुई डिब्बे के पास गया| रवि ने जैसे ही उस जादुई डिब्बे में हाथ डाला, अचानक उस जादुई डिब्बे में बहुत सारे पैसे आ गए| रवि ने सारे पैसे उस डॉक्टर को दे दिए| डॉक्टर ने पैसे लिए और वहाँ से चला गया| ये देखकर चाची को अपनी गलती का एहसास हुआ| उसने रवि को गले से लगा लिया और कहा, “बेटा! मुझे माफ़ कर दो| मैंने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया| लेकिन एक बात बताओ तुम्हारे पास तो केवल 20 रुपये ही थे, फिर तुमने डॉक्टर को इतने सारे पैसे कहाँ से दिए?”

इसपर रवि ने चाची को जादुई डिब्बे के बारे में सबकुछ बताया। चाची जादुई डिब्बे के बारे में जानकर बहुत खुश हुई. और इसके बाद वो दोनों जादुई डिब्बे के साथ ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे|


शिक्षा - हमें कभी लालच नहीं करना चाहिए और हमेशा सबके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए क्योंकि हमें बदले में वही मिलता है जो हम दूसरों के साथ करते हैं|


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