नैतिक कहानियाँ - लोमड़ी का भूत


किसी जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे। सभी खुद को एक-दूसरे से ज्यादा समझदार और ताक़तवर मानते थे। इसीलिए - वह सब एक दूसरे से लड़ते - झगड़ते रहते थे। एक दिन, उस जंगल में किसी दूसरे जंगल से लोमड़ी आयी । जंगल में आते ही सबसे पहले वह गीदड़ से मिली , फिर वह तालाब की तरफ बढ़ जाएगी ।
हाथी उस समय तालाब में पानी पी रहा था। लोमड़ी भी वहाँ पानी पीने रुक गई ।

तभी हाथी लोमड़ी की तरफ देखते हुए बोलता है , तुम यहाँ क्या कर रही हो ? यह मेरा पानी पीने का समय है। जाओ यहाँ से।

तभी लोमड़ी बोलती है , यह कैसी बात हुई ? पानी पीने का भी भला कोई समय होता है ?

लोमड़ी की बाते सुनकर हाथी को गुस्सा आ जाता है। वह लोमड़ी की तरफ गुस्से से देखने लगता है। हाथी को गुस्से में देखकर लोमड़ी घबरा जाती है और वहाँ से चली जाती है।

लोमड़ी जैसे ही जंगल के अंदर पहुँचती हैं तो उसे आते हुए सियार देख लेता हैं।

सियार लोमड़ी से बात कर ही रहा होता है , की तभी उसे दूर से हाथी आते हुए दिखाई देता है । हाथी को देखकर सियार वहाँ से चला जाता है और दूर एक पेड़ के पीछे जाकर छुप जाता है ।

इतने में हाथी लोमड़ी के पास पहुँच जाता है और लोमड़ी की तरफ ध्यान न देते हुए अपने आप से बोलने लगता हैं - हे भगवान ! आज तो मैं बहुत थक गया। चलो थोड़ा आराम कर लेता हूँ।
हाथी जैसे ही यह बोलता है, वैसे ही लोमड़ी उसकी सूँड पकड़ कर खींच देती है। जिसकी वजह से हाथी गुस्से में चीख उठता है ।

हाथी गुस्से में यह बोलते हुए जैसे ही नीचे देखता है, तो उसे वहाँ लोमड़ी खड़ी हुई नज़र आती है। लोमड़ी को वहाँ देखकर हाथी बहुत ज्यादा गुस्सा हो जाता है और उसे अपनी सूँड से ज़ोर से धक्का मारता है। जिसकी वजह से लोमड़ी सीधा एक बड़े पेड़ से जाकर टकराती है। यह सब देखकर सियार डर जाता है और भागकर लोमड़ी के पास जाता है, और लोमड़ी से पूछता है - तुम ठीक तो हो ? तुम्हें कुछ हुआ तो नहीं ?

सियार के बार-बार पूछने पर भी लोमड़ी कोई जवाब नहीं देती है। तभी जंगल के अन्य जानवर भी वहाँ इकठ्ठा हो जाते हैं। लोमड़ी की हालत देखकर सभी जानवर सियार से पूछते हैं।
भालू : यह कौन है ? आज से पहले तो हमने इसे कभी नहीं देखा।




बंदर : अरे भालू भाई, हो सकता है यह किसी दूसरे जंगल से आई हो, पर इसे हुआ क्या है ?

हिरण : यह तो बहुत बुरी तरह से घायल है, हमें इसकी मदद करनी चाहिए।

सभी जानवरों की बात सुनकर हाथी और सियार डर जाते हैं। सियार को उसकी शरारत का और हाथी को उसकी करतूत का डर सताने लगता है। वह दोनों लोमड़ी को अपना दोस्त बता कर वहाँ से ले जाते हैं और नदी के पास दफ़ना देते हैं।

धीरे-धीरे सियार और हाथी भी लोमड़ी के बारे में भूल जाते हैं और सबकुछ पहले जैसा हो जाता है। एक शाम जब हाथी नदी के पास पानी पीने जाता है, तो उसे अपने पीछे किसी के होने का एहसास होता है।
हाथी के बार-बार आवाज़ें लगाने पर भी कोई सामने नहीं आता है। इसलिए वह इसे अपना वहम समझकर नदी का पानी पी कर चला जाता है। कुछ दिन बाद हाथी का वहम डर में बदल जाता है, क्योंकि उसे रोज नदी के पास किसी के होने का एहसास होने लगता है। एक दिन जब हाथी जंगल में बैठा आराम कर रहा होता है, तभी वहाँ सियार आता है , और पूछता है - क्या हुआ हाथी भाई ? इतने परेशान क्यों हो ? सब ठीक तो है ना ?

हाथी : मैं जब भी शाम को नदी पर पानी पीने जाता हूँ, मुझे ऐसा लगता है जैसे कोई मेरे पीछे खड़ा है। लेकिन जैसे ही मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो वहाँ कोई नहीं होता। मुझे तो लगता है, की जंगल में कोई भूत आ गया है।

सियार : यह जरूर तुम्हारा वहम होगा। भूत जैसा कुछ नहीं होता।

यह बोल कर सियार वहाँ से चला जाता हैं। उसी रात जब सियार अपनी गुफा के बाहर घूम रहा होता है, तो उसे अपने सामने किसी की परछाई नज़र आती है।
सियार आवाज़ लगता है , कौन हैं वहाँ ? सामने तो आओ।

सियार के ऐसा बोलते ही परछाई गायब हो जाती है। अगले दिन सियार, हाथी से इस बारे में बात करता है। जिससे दोनों थोड़ा डर जाते हैं और लोमड़ी के भूत के बारे में सोचने लगते हैं। तभी वहाँ जंगल के बाकी जानवर भी आ जाते हैं।

सभी जानवर रात को एक जगह इकट्ठा होते है। सभी जानवर आपस में बातें कर रहे थे, की तभी उन्हें वहाँ एक जानवर की परछाई नज़र आती है । परछाई को देखते ही सभी उठते हैं और उसके पीछे भागने लगते हैं।
तभी शेर बोलता है - कौन हो तुम ? वहीँ रुक जाओ नहीं तो मैं तुम्हें मार डालूंगा।

शेर के बोलते ही वह परछाई अपनी जगह पर रुक जाती है। उसके रुकते ही सभी जानवर सोचते हैं की वह कोई चोर है, जो जंगल में सभी को डरा कर उनका खाना चुराने आया है। यही सोचते हुए बंदर बोलता है- अच्छा, तो तुम दूसरे जंगल से आये हुये चोर हो ! जो हमारा खाना चुराने के लिए हमें भूत बनकर डरा रहे हो।

यह बोलते हुए जानवर आगे बढ़ रहे होते हैं और जैसे ही वह उस परछाई तक पहुंचते हैं। परछाई वहाँ से ग़ायब हो जाती है। यह सब देखकर सभी जानवर चौंक जाते है और आस-पास देखने लगते है, लेकिन उन्हें वहाँ कोई दिखाई नहीं देता है ।
तभी हाथी बोलता है - जंगल में जरूर कोई भूत ही है, कोई जानवर इतनी जल्दी आँखों से सामने से कैसे ग़ायब हो सकता है ?
तभी सियार भी हाथी की बातों से सहमत हो जाता है , और सियार की बात से सभी जानवर हैरान हो जाते हैं।

इसके बाद सभी जानवर हाथी और सियार की तरफ देखने लगते हैं।तभी उन सब को एक आवाज़ सुनाई देती हैं - (कोई नहीं बचेगा ! सब मरेंगे।)

आवाज़ सुनकर सभी जानवर बुरी तरह डर जाते हैं।तभी भूत से डरा हुआ सियार बोलता हैं।
इसके बाद सभी जानवर बहुत असमंजस में पड़ जाते हैं।और सियार बहुत ज्यादा डर जाता है। वह सारा सच बता देता है। जिसे सुनकर सभी जानवर गुस्से में लाल हो जाते हैं।

तभी परछाई बोलती है - मुझे बस लोमड़ी के लिए इंसाफ चाहिए था, अब आप वह इंसाफ कर ही रहे हैं तो मैं सामने आ सकता हूँ।

परछाई के यह बोलते ही सभी एकदम चौंक जाते हैं, तभी झाड़ियों के पीछे से एक गीदड़ निकल कर आता हैं। जिसे देखकर सभी हैरान रह जाते हैं।

शेर बोलता है, तो तुम सब को भूत बनकर डरा रहे थे। लेकिन तुमने ऐसा क्यों किया ?

गीदड़ : क्योंकि, मुझे लोमड़ी के लिए इंसाफ चाहिए था।वह जब जंगल में नई आयी थी, तो वह सबसे पहले मुझसे मिली थी। लेकिन सियार ने अपनी शरारत और हाथी से बदले की भावना में और हाथी ने गुस्से में उसे मार दिया और आप सभी से झूठ बोल कर उसे नदी के पास ले जाकर दफ़ना दिया। यह सब मैंने देख लिया था, इसीलिए मैंने उसे इंसाफ दिलाने के लिए यह सब किया।

गीदड़ की बात सुनकर शेर को गुस्सा आता है और लोमड़ी के साथ इंसाफ करने के लिए वह सियार और हाथी को जंगल से बाहर निकालने का निर्णय लेता है।

शिक्षा : तो बच्चों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें कभी भी अपने मज़े के लिए किसी का बुरा नहीं करना चाहिए और कभी भी गुस्से में कोई काम नहीं करना चाहिए, क्योंकि गुस्से में किया हुआ काम हमेशा खराब ही होता है।

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