गरीब किसान

बहुत समय पहले की बात हैं किसी गाँव में एक अमीर साहूकार रहता था। उसे अपने पैसों पर बहुत घमंड था। एक दिन एक गरीब किसान उस साहूकार के पास मदद मांगने आया और कहने लगे, “सेठ जी, मुझे आपकी मदद की ज़रुरत हैं।” इसपर साहूकार ने कहा, “कैसी मदद?” किसान ने जवाब दिया, “मेरा सारा खेत बर्बाद हो गया हैं। मेरे पास कुछ काम नहीं हैं। मेरे बीवी बच्चे भूखे है घर पर खाने के लिए कुछ भी नहीं है सेठ जी।” साहूकार ने सोचा, “मैं अगर इसे पैसे उधर दे दूँगा, तो ये मुझे वापस लौटा नहीं पाएगा और मेरे पैसे बर्बाद हो जाएंगे।क्यों न मैं इसे अपने खेत में काम दे दू मुझे कुछ किसानों की ज़रूरत भी तो हैं।”  

इतना सोचकर उसने गरीब किसान से कहा, “ठीक हैं, कल से मेरे खेत में काम करने आ जाओ, मगर मैं तुम्हें सिर्फ दो सौ रुपए दूँगा। मंज़ूर हैं तो बोलो, वरना जाओ यहाँ से।” किसान मान गया। अगली सुबह से वो गरीब किसान साहूकार के खेत में काम करने आने लगा। अब धीरे-धीरे वह साहूकार उस गरीब किसान से खेत के साथ-साथ दूसरे काम भी करवाने लगा। लेकिन अभी भी वह उसे दिन भर की मेहनत के बस दो सौ रुपए ही देता था।


कुछ समय बाद साहूकार के खेत का काम खत्म हो गया। तो साहूकार ने सोचा, “मेरे खेत का काम तो हो चुका हैं तो अब मुझे इस किसान की कोई जरुरत नहीं हैं। अब मुझे इसे काम से निकाल देना चाहिए।” इतना सोच कर वह उस गरीब किसान के पास गया और कहा, “ये लो तुम्हारे पैसे, कल से तुम्हें आने की ज़रुरत नहीं हैं। खेत का काम भी खत्म हो चुका हैं।”  इसपर किसान ने उदास होकर बोला, “पर सेठ जी, मुझे मत निकालिये मुझे अभी काम कि ज़रुरत हैं। मुझे पैसों की ज़रुरत हैं।”

साहूकार ने कहा, “पर मैं क्या करूँ, मेरे खेत का काम खत्म हो चुका हैं। ये लो अपने पैसे और जाओ यहाँ से।” इतना कहकर उसने गरीब किसान को निकाल दिया। अगली सुबह वह गरीब किसान साहूकार के घर के बाहर आकर बैठ गया। सेठ ने उसे वहाँ देखकर हैरान होकर पूछा, “तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? मैंने तो तुम्हें कल निकाल दिया था।”

साहूकार ने उसे डांट कर भगा दिया। मगर अगली सुबह किसान फिर उसके घर के बाहर आ कर बैठा गया। यह देखकर साहूकार ने उससे फिर पूछा, “तुम फिर मेरे घर के बाहर क्या कर रहे हो?” इसपर किसान ने जवाब दिया, “आप ही मुझे काम दे सकते हैं। कृपया मुझे काम दे दीजिये। आप पहले मुझे दो सौ रुपए देते थे।अब बेशक आप मुझे सौ रुपए ही दे दीजिए मगर मुझे काम पर रख लीजिये, सेठ जी।”

लेकिन अगले दिन वह किसान फिर साहूकार के घर के बाहर बैठ गया और फिर अगले कुछ दिनों तक ऐसा ही चला जिससे तंग आकर साहूकार ने उससे पीछा छुड़ाने के लिए एक तरकीब सोची, “यह गरीब किसान तो मेरा पीछा ही नहीं छोड़ रहा । क्यों ना मैं दो-तीन दिन के लिए शहर चला जाऊँ।” ऐसा सोच कर साहूकार अगली सुबह किसान के आने से पहले ही अपने परिवार को लेकर शहर के लिए निकल गया। फिर कुछ समय बीत जाने के बाद वह साहूकार शहर से वापस आया और यह देख कर बहुत खुश हो गया की अब वह किसान उसके घर के बाहर नहीं आता है। ऐसे ही कुछ दिन बीत गए और फिर कुछ दिनों के बाद साहूकार ने सोचा, “ऐसा कैसे हो सकता हैं की इतने दिन बीत गए पर वह किसान मेरे घर नहीं आया आखिरकार उस किसान का हुआ क्या? उसे काम मिल गया या कुछ और मुझे पता लगाना चाहिए। ” 

इतना सोच कर फिर वह उसे ढूंढने निकल पड़ा। वह दूसरे खेतो में जा-जा कर किसानों से पूछने लगा, “क्या तुमने उस किसान को देखा ? जो कुछ दिन पहले मेरे खेत में काम किया करता था।” किसी भी किसान को उसके बारे में नहीं पता था। तभी अचानक से एक किसान आया और उसने बताया, “हाँ सेठ जी ! मुझे पता हैं कि वो किसान कहाँ गया। जब अाप कुछ दिनों से घर पर नहीं थे। तभी आपके घर में कुछ चोर आये थे, मगर किस्मत से उस वक़्त वो किसान भी वहीं था। उस किसान ने उन चोरों को रोकने की बहुत कोशिश की जिससे उनके बीच बहुत हाथापाई हो गयी जिसकी वजह से उस किसान को बहुत चोटें भी आयी हैं। इसलिए आज कल वो अपने घर पर आराम कर रहा है।” 

यह सुन कर साहूकार को अपनी गलती का एहसास हो गया था। वह उस गरीब किसान से मिलने उसके घर चला गया। और उससे कहने लगा, “मुझे माफ़ कर दो। मैंने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया हैं। मुझे तुम्हारे साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था। यह लो तुम्हारी अब तक की मेहनत की कमाई जो मैंने तुम्हें नहीं दी थी।” किसान ने साहूकार का शुक्रिया अदा किया। 

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