पंचतंत्र की कहानी - खूनी झील

ढोलकपुर के जंगल में सभी जानवर मिल-जुल कर रहते थे। उस जंगल में एक झील भी थी। सभी जानवरों का यह मानना था वह एक खूनी झील है। क्योंकि जंगल में पानी पीने का कोई साधन नहीं था इसलिए जानवरों को झील के पानी से ही काम चलाना पड़ता था। वह इस बात का विशेष ध्यान रखते थे कि वह सब शाम होने से पहले ही अपने घर लौट जाएँ। क्योंकि जो भी उस झील के पास अकेला जाता था, वह कभी वापिस नहीं आता था। इसलिए जंगल के सभी जानवर झील के पास अकेले जाने से डरते थे। एक दिन, चुन्नू नाम का एक हिरन जंगल में रहने के लिए आया।

चुन्नू हिरन को अकेला देखकर जग्गू बंदर उसके पास आया और कहा, “अरे हिरन भाई, तुम कहाँ से आये हो, और तुम्हारा नाम क्या है ? आज से पहले तो तुम्हें इस जंगल में कभी नहीं देखा। इसपर चुन्नू ने जवाब दिया, “मेरा नाम चुन्नू है, और मैं दूसरे गाँव के जंगल से आया हूँ। यह सुनकर जग्गू ने कहा, “हम्म्म ! पर एक बात बताओ, तुम अपना जंगल छोड़ के इस जंगल में क्या करने आये हो?” इसपर चुन्नू ने कहा, “मैं इस जंगल में रहने आया हूँ, क्योंकि जिस जंगल में मैं रहता था, वहां मुझसे कोई प्यार नहीं करता, और ना ही कोई मेरे साथ खेलना पसंद करता था।”


जग्गू ने कहा, “अच्छा, यदि ऐसी बात है, तो तुम निश्चिन्त हो जाओ। इस जंगल के सभी जानवर बहुत अच्छे हैं। वह सब तुमसे दोस्ती जरूर करेंगे। मैं शाम को तुम्हें खुद सबसे मिलवाऊंगा, अभी तुम आराम कर लो, और हाँ अगर तुम्हें किसी भी चीज़ की जरुरत हो तो तुम मुझे बुला लेना। मैं सामने वाले पेड़ पर रहता हूँ।

चुन्नू ने कहा, “पर भाई, अपना नाम तो बताओ - मैं तुम्हें बुलाऊंगा कैसे ? और हाँ - यहां पानी पीने के लिए आस-पास कोई नदी या झील है क्या?” जग्गू ने कहा, “माफ़ करना दोस्त, मैं तुमसे बात करते-करते अपना नाम ही बताना भूल गया। मेरा नाम जग्गा है, यहां प्यार से सभी मुझे जग्गू बुलाते हैं। तुम भी मुझे जग्गू कह कर बुला सकते हो। यहां पास में ही एक झील है तुम वहां जाकर पानी पी सकते हो।”

चुन्नू ने कहा, “ठीक है जग्गू भाई, तुम्हारा बहुत धन्यवाद। मुझे तुमसे मिलकर बहुत ख़ुशी हुई। चलो मैं कुछ देर आराम कर लेता हूँ और तुमसे शाम को मिलता हूँ।” जग्गू वहां से चला गया। चुन्नू वहीं एक पेड़ के नीचे सो गया। शाम होने पर जग्गू बंदर ने चुन्नू हिरन को जंगल के सभी जानवरों से मिलवाया। तभी चुन्नू की मित्र्ता चीकू खरगोश से हो गयी। समय बीतता जा रहा था और उन दोनों की दोस्ती गहरी होती जा रही थी। एक दिन चुन्नू रोज़ की तरह पानी पीने के लिए शाम को झील पर गया। 

तभी चुन्नू को झील के अंदर से एक मगरमच्छ तेजी से अपनी और आता हुआ दिखाई दिया। चुन्नू डर के मारे कांपने लगा और किसी तरह वहां से भागता हुआ जंगल की तरफ गया। रास्ते में उसे चीकू खरगोश मिला और उसने कहा, “अरे-अरे चुन्नू भाई इतनी तेज़ी से भागते हुए कहाँ जा रहे हो?” इसपर चुन्नू ने जवाब दिया, “चीकू भाई, मैं झील पर पानी पीने गया था। वहां मुझे एक मगरमच्छ दिखा, जिसे मैने आज से पहले इस जंगल में कभी नहीं देखा,वो मेरी तरफ काफी तेज़ी से आ रहा था।”

चीकू ने कहा, “चुन्नू भाई, क्या तुम ये नहीं जानते की वह एक खूनी झील है?! तुम्हें शाम के वक़्त वहां अकेले नहीं जाना चाहिए।” तभी वहां जग्गू बंदर भी आ गया। चुन्नू ने सारी बात जग्गू को बताई। जग्गू ने चुन्नू से माफ़ी मांगते हुए कहा, “मुझे माफ़ करना चुन्नू भाई, मैं तुमसे बात करने में इतना व्यस्त हो गया था कि तुम्हें खूनी झील के बारे में बताना ही भूल गया। पर खूनी झील में मगरमच्छ कहाँ से आया?”

इसपर चीकू ने कहा, “हम्म्म ! इसका पता तो लगाना ही होगा। पर अभी आप दोनों इस बात का विशेष ध्यान रखना कि मगरमच्छ के बारे में किसी को भी कुछ पता नहीं चलना चाहिए।” चीकू पूरी रात सो नहीं पाया। वह इसी सोच में डूबा रहा कि आखिर खूनी झील में मगरमच्छ आया कहाँ से? कुछ देर सोचने के बाद चीकू खूनी झील का राज़ समझ गया।

चीकू मगरमच्छ का सच सबके सामने लाने के लिए अगली सुबह सभी जानवरों के साथ झील पर पहुंच गया। मगरमच्छ सबको एक साथ झील पर आता देख डर गया, इसलिए वो पानी के अंदर इस तरह छुप गया जैसे वह एक पत्थर हो। यह देखकर सभी जानवर एक साथ बोले, “अरे यह पत्थर झील में कहाँ से आया ? पहले तो यहां कोई पत्थर नहीं था।” इसपर चीकू बोला, “नहीं-नहीं। यह कोई पत्थर नहीं है, यह एक मगरमच्छ है।”

कोई भी जानवर उनका यकीन नहीं कर रहा था। चीकू मगरमच्छ की तरकीब समझ गया। इसलिए चीकू को एक आईडिया आया, “अरे हाँ, यह तो एक पत्थर ही है। लेकिन हम इस बात का यकीन तभी करेंगे अगर यह पत्थर हम सबको अपना परिचय खुद देगा।” यह बात सुनते ही मगरमच्छ जल्दी से बोल पड़ा, “हाँ, मैं एक पत्थर हूँ। और इस झील में कोई मगरमच्छ नहीं रहता। यहां तो बस मैं ही रहता हूँ।” इसपर चीकू ने हँसते हुए बोला, “अरे ओ मगरमच्छ, चल अब बाहर निकल। तू इतना नालायक है, कि तू यह भी नहीं जानता कि पत्थर बोलते नहीं हैं।”

सभी जानवर समझ गए की यह कोई पत्थर नहीं बल्कि एक मगरमच्छ था। उन सभी ने मिलकर मगरमच्छ को झील से भगा दिया, और इस तरह चीकू अपनी सूजबूझ से खूनी झील का सच सबके सामने ला पाया।

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