भूतिया आईना

बहुत समय पहले, चंडीगढ़ में चार लोगों का एक परिवार रहता था। परिवार में अशोक, अशोक की पत्नी, और उनके दो बच्चे  थे - जिनका नाम चीकू और बबली था।अशोक को अपने परिवार के साथ शहर में आये कुछ ही समय हुआ था। लेकिन नए घर में आते ही अशोक की बेटी बबली का बर्ताव कुछ बदल सा गया था। बबली ज्यादातर या तो अकेले रहती थी, या फिर आईने के सामने बैठकर कुछ ना कुछ बोलती रहती थी।

यह देखकर उसकी मम्मी ने पूछा, “बबली, यूँ अकेले बैठ कर किस से बातें करती हो तुम?” इसपर बबली ने कहा, “मम्मी! मैं अपने एक दोस्त से बात करती हूँ, जो मेरे आईने में रहता है। वह मुझसे बहुत सारी बातें करता है। ऐसे ही दिन बीतते गए और बबली का व्यवहार सबसे अलग होता जा रहा था। उसे घर के हर आईने में कोई ना कोई दिखाई देता था, जिससे वो रोज बातें किया करती थी और उसे अपना दोस्त बताती थी।


अपनी बहन के बदलते व्यवहार को देखकर चीकू उसपर नज़र रखने लगा। कुछ दिनों के बाद, चीकू को बबली के कमरे में से अजीब सी आवाज़ें आने लगी। चीकू बबली के कमरे में गया और अंदर जाकर चारों तरफ देखने लगा । चीकू को आईने में एक परछाईं दिखी जिसे देखकर वह बुरी तरह घबरा गया। चीकू कमरे से भाग कर अपने मम्मी - पापा के पास गया।  

चीकू कुछ ना सुनते हुए अपने मम्मी - पापा को बबली के कमरे में ले गया। अशोक और उसकी पत्नी ने आईने में देखा, लेकिन उन्हें वहां अपनी परछाईं के अलावा और कुछ भी दिखाई नहीं दिया। वह गुस्से में चीकू से बोले, “ये सब क्या है, चीकू - ऐसा मज़ाक क्यों किया तुमने? तुम्हें शर्म आनी चाहिए। इतने बड़े हो गए हो और ऐसा मज़ाक! यह सब दोबारा नहीं होना चाहिये।

यह बोल कर वह दोनों चले गए और उनके जाते ही वह परछाईं आईने में फिर से वापस आ गयी। परछाईं ने अपनी भारी आवाज़ में चीकू से कहा, “क्या हुआ चीकू, मैं तुम्हें पसंद नहीं आयी क्या?” आवाज़ सुनते ही चीकू ने डर के पीछे देखा तो उसे वह परछाईं आईने में नज़र आयी। परछाईं देखते ही चीकू बहुत डर गया  और कमरे से भागने की कोशिश करने लगा लेकिन कमरे का दरवाज़ा बंद हो गया। अपनी जान बचाने के लिए चीकू ने उस परछाईं की हाँ में हाँ मिला दी। 

यह सुनकर परछाईं ने चीकू को कमरे से जाने दिया। लेकिन उस दिन से चीकू को भी वह परछाईं घर के हर आईने में नज़र आने लगी। जिसकी वजह से चीकू बहुत ज्यादा डरने लगा। चीकू उस परछाईं से बचने के लिए घर से बाहर एक पार्क में चला गया। पार्क में चीकू को एक कोने में बबली बैठी हुए दिखी। चीकू बबली के पास जाकर बैठ गया। और उससे माफ़ी मांगने लगा। चीकू परछाईं से पीछा छुड़ाने के बारे में सोचने लगा। 

घर जाकर चीकू और बबली एक आईने के सामने गए और जैसे ही उन्हें वह परछाईं नज़र आयी तो वह उस आईने को लेकर बबली के कमरे में चले गए। ऐसे ही एक-एक करते हुए वह घर के सारे आईने उस कमरे में ले गए। तभी उन आईनों में से परछाईं के चिल्लाने की आवाज़ आयी। परछाईं के चिल्लाने की आवाज़ अशोक और उसकी पत्नी को भी सुनाई देने लगी। वह दोनों भागते हुए बबली के कमरे में गए।

परछाईं दोबारा आईने में से बोली, “तुम सब मरने के लिए तैयार हो जाओ।” आईने में से परछाईं को बोलते देख मम्मी बेहोश हो गयी। तभी अशोक अपनी पत्नी और बच्चों को दूसरे कमरे में ले गया। थोड़ी देर में, अशोक की पत्नी के होश में आने के बाद बबली और चीकू ने अपने मम्मी-पापा को सारी बात बताई, जिसे सुनकर वह दोनों हैरान रह गए। उन्होंने फैसला किया कि वह लोग उस घर में नहीं रहेंगे।अशोक बबली के कमरे में रखे उन सब आईनों को वही लॉक करके उस घर को छोड़कर हमेशा के लिए अपने परिवार के साथ वहां से चले गए।

Click Here >> Hindi Cartoon for more Moral Stories