डेरावाल नगर में आशीष नाम का एक डरपोक बच्चा रहता था। वह रोज़ाना भगवान गणेश की पूजा करता था। आशीष किसी भी काम को करने से पहले ही हार मान लेता था जिसके कारण स्कूल के सभी बच्चे उसे छेड़ते और उसका मज़ाक बनाते थे। एक दिन आशीष ने अपने स्कूल में होने वाली रेस प्रतियोगिता में भाग लिया । तभी उसके दोस्त सार्थक ने उससे कहा, “तुम इसमें भाग ना लो तो अच्छा होगा, ये कोई बच्चों की प्रतियोगिता नहीं है। वैसे भी मुझे तुम जैसे डरपोक को हराने में कुछ मज़ा नहीं आएगा।”
आशीष ने अपने दोस्त सार्थक की बात सुनकर प्रतियोगिता से अपना नाम वापिस ले लिया और घर पहुँचकर सोचने लगा, “कल से मैं स्कूल ही नहीं जाऊँगा। इससे कोई मेरा मज़ाक भी नहीं बनाएगा और ना मुझे कोई छेड़ेगा।” यह सोचकर आशीष सो गया और सोते हुए उसने सपने में भगवान गणेश को देखा । वह देखता है कि भगवान गणेश उसे एक जादुई मोती देते हैं।
जादुई मोती देकर गणेश जी गायब हो गए और आशीष ने उठकर देखा कि वहां एक मोती पड़ा हुआ है जो उसे सपने में गणेश जी ने दिया था। ये देखकर आशीष बहुत खुश हुआ। उसने मोती को अपनी जेब में रखा और शाम को पार्क में अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए गया, तभी एक कुत्ता आशीष के पीछे पड़ गया। ये देखकर आशीष डर कर भागने लगा और चिल्लाया । भागते-भागते उसे याद आया की उसके पास जादुई मोती है इसलिए उसे डरने की कोई जरुरत नहीं है। वह रुक गया और कुत्ते की तरफ देखकर बोला, “चल भाग… ! भाग यहां से।” कुत्ता डरकर भाग गया।
अगले दिन आशीष स्कूल पहुंचा। स्कूल में जब उसके शिक्षक ने उसे सवाल हल करने के लिए बुलाया तो सार्थक बोला, “आशीष से यह सवाल हल नहीं हो सकता, वैसे भी उससे आज तक कोई काम हुआ है क्या !” पहले तो आशीष बहुत घबरा गया, फिर आशीष ने सोचा, “मुझे घबराने की क्या जरुरत मेरे पास तो जादुई मोती है। मेरे लिए तो हर काम आसान है।” यह सोचकर आशीष ने सवाल आराम से हल कर लिया । सभी बच्चे ये देख के हैरान थे कि आशीष ने सवाल कैसे हल कर लिया।
उसका शिक्षक खुश होकर बोला, “अरे वाह ! मैं बहुत खुश हूँ कि तुमने इतना मुश्किल सवाल बिना डरे इतनी आसानी से हल कर लिया।” अब आशीष हर काम आसानी से कर लेता था। क्योंकि उसके पास एक जादुई मोती था। इसलिए आशीष ने स्कूल में होने वाली रेस प्रतियोगिता में अपना नाम दोबारा दर्ज़ करवा लिया। एक दिन उसके दोस्त अंश ने उससे पूछा, “यार आशीष पहले तो तुम कोई काम ठीक से नहीं कर पाते थे और बहुत घबरा भी जाते थे फिर अचानक तुम्हारे अंदर इतना आत्मविश्वास कैसे आया ?”
आशीष अपनी जेब से मोती निकालते हुए बोला, “ये सब तो इस जादुई मोती का कमाल है इस मोती के कारण ही तो मैं सारे काम आसानी से कर लेता हूँ।” अंश ने हैरानी से कहा, “जादुई मोती… ! ये तुम्हें कहाँ से मिला ? क्या तुम मुझे ये मोती एक दिन के लिए दे सकते हो ?” अंश के बहुत बार बोलने पर भी आशीष ने वो मोती उसे नहीं दिया ।
एक दिन अंश को वो मोती स्कूल के मैदान में पड़ा हुआ मिला। अंश ने मोती को उठाकर सोचा, “शायद आशीष से यह मोती गिर गया है क्यों ना मैं इस मोती को अपने पास रख लूँ ।” अंश ने उस मोती को अपने पास रख लिया । कुछ दिनों के बाद जब स्कूल में रेस प्रतियोगिता हुई तो आशीष जीत गया। यह देखकर वहां मौजूद सभी लोग दंग रह गए। और अंश ने आशीष से पूछा, “आशीष भाई ! तुमने यह रेस कैसे जीती ? तुम अभी भी अपने सारे काम बिना घबराये कैसे कर रहे हो ?” इसपर आशीष ने कहा, “तुम भूल गए क्या ? मेरे पास जादुई मोती है।”
इसपर अंश ने जवाब दिया, “पर वो मोती तो कुछ दिनों से मेरे पास है। इसका मतलब तुमने मुझसे झूठ कहा की ये जादुई मोती है।” यह पूरी बात उनके पीछे खड़ा शिक्षक सुन लेता है और बोलता है, “बहुत खूब आशीष बेटा, तुमने रेस जीत ली और ये सब किसी मोती का नहीं बल्कि तुम्हारे अंदर जागे हुए आत्मविश्वास का कमाल है। यह सुनकर आशीष हैरान हो गया और उसे समझ आ गया कि वह कोई जादुई मोती नहीं है और वह हर काम को इसलिए आसानी से कर लेता है क्योंकि अब उसका आत्मविश्वास जाग गया था ।
शिक्षा - हर काम को आत्मविश्वास से करें तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है।
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