बातूनी कौवा

किसी जंगल में कालिया नाम का एक कौवा रहता था। कालिया बहुत बातूनी था। वो हमेशा किसी ना किसी बात पर बोलता रहता, “अब मुझे जंगल की सारी समझ तो है नहीं, लेकिन समझ होने या ना होने से क्या फर्क पड़ता है? क्योंकि जिनको समझ है... उनको सही समझ है... इसकी किसको समझ है?” उसकी इस आदत से जंगल के जानवर और पक्षी बहुत तंग रहते थे। जैसे ही वो बोलना शुरू करता था सब अपने कान पकड़ लेते थे। एक दिन कालिया की इतना ज़्यादा बोलने की आदत से तंग आकर काजल कोयल ने चांदनी कबूतर से कहा, “काजल इस कालिया को चुप कराने के लिए हमें कुछ करना चाहिए”|  

इसपर काजल कुछ देर सोचकर बोली, “तुम मेरे साथ चलो”| चांदनी और काजल उड़ती हुई जंगल के राजा शेर की गुफा पर पहुंची। उन्होंने देखा कि शेर अपनी गुफा के बाहर सो रहा है। काजल चुपके से गुफा के अंदर चली गई| कुछ देर बाद वो एक शाही चिठ्ठी और कलम के साथ बाहर आई और चांदनी को वो चिठ्ठी दिखाते हुए बोली, “ये देखो... शाही चिठ्ठी| इसके इस्तेमाल से हम उस बातूनी कालिये को हमेशा के लिए चुप करा सकते हैं”|


काजल और चांदनी वहाँ से उड़े और कालिया के घोंसले से थोड़ी दूर ज़मीन पर आकर रुक गए, काजल ने कलम से उस शाही कागज पर कालिया के लिए एक चिठ्ठी लिखी और वो दोनों कालिया के पास पहुंचे| और काजल बोली, “कालिया, महाराज ने तुम्हारे लिए एक चिठ्ठी भेजी है”| ये सुनकर कालिया बोला “ओह! सच में? पर अगर महाराज को किसी सलाह की ज़रुरत है तो मैं तुम्हें पहले ही बता दूँ कि कोई मुझसे सलाह मांगता है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है, लेकिन किसी को सलाह देना मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता| क्योंकि तुम तो जानती हो किसी को सलाह देने से पहले उसकी पूरी बात सुननी पड़ती है, और उसकी बात सुनने के लिए चुप रहना पड़ता है, और मुझसे चुप कहाँ रहा जाता है. इसलिए अगर…” 

काजल उसे रोकते हुए बोली, ”हम सब जानते हैं, तुमसे चुप नहीं रहा जाता! तुम पहले महाराज की चिठ्ठी तो पढ़ लो!” कालिया ने चिट्ठी पढ़ी जिसमे लिखा था, “मुझे शिकायत मिली है कि तुम बहुत ज़्यादा बोलते हो| तुम्हारे ज़्यादा बोलने की वजह से जंगल के सभी पक्षी और जानवर बहुत तंग रहते हैं| इसलिए मैं तुम्हें आदेश देता हूँ कि आज के बाद तुम चुप रहोगे और कुछ नहीं बोलोगे”| 

चिट्ठी पढ़कर कालिया बहुत दुखी हुआ| अब वो हमेशा चुप रहने लगा| उसका बोलने का बहुत मन करता था लेकिन महाराज के डर की वजह से वो कुछ नहीं बोल पाता था| और ना बोलने की वजह से कई बार उसका पेट भी बहुत दर्द रहता था| एक दिन वो पेट दर्द की वजह से कराह रहा था, तभी उसे देखकर चांदनी कबूतर काजल कोयल से बोली, “काजल, हमने कालिया के साथ अच्छा नहीं किया”| ये सुनकर काजल को भी अपनी किए पर पछतावा हुआ| वो बोली, ”तुम सही कह रही हो| हमें झूठ बोलकर कालिया को चुप नहीं करना चाहिए था| शायद वो ऐसा ही है| शायद ज़्यादा बोलना ही उसकी सेहत का राज है”| 

ये कहकर वो दोनों फिर से शेर की गुफा में गए| पहले की तरह शेर अपनी गुफा के बाहर सो रहा था| काजल गुफा में से एक शाही कागज और कलम ले आई. फिर,पहले की तरह काजल ने कालिया के लिए चिठ्ठी लिखी और वो दोनों उड़कर कालिया के पास गए| और काजल बोली, ”कालिया, महाराज ने तुम्हारे लिए एक और चिठ्ठी भेजी है”|ये सुनकर कालिया बहुत घबरा गया|  उसने सिर हिलाकर चिठ्ठी लेने से मना कर दिया| ये देखकर चांदनी बोली, “चलो, मैं तुम्हारे लिए ये चिठ्ठी पढ़ देती हूँ”| ये बोलकर चांदनी जोर से चिठ्ठी पढ़ने लगी, “कालिया, मुझे लगता है मुझसे बहुत बड़ी भूल गई| तुम भी हमारे जैसे ही हो| जैसे हमें कम बोलना पसंद है, वैसे ही तुम्हें ज्यादा बोलना पसंद है| इसलिए मुझे तुम्हें ना बोलने का दंड नहीं देना चाहिए था| मैं तुमसे माफ़ी मांगता हूँ, और तुम्हें दिया दंड वापिस लेता हूँ| अब से तुम जितना चाहे बोल सकते हो!”

ये सुनकर कालिया बहुत खुश हुआ| उसने एक लम्बी चैन की सांस ली और फिर बोला, “शुक्र है महाराज को समझ तो आई| मुझे तो लगा था ना अब कभी महाराज को समझ आएगी, और ना ही मैं कभी कुछ बोल पाऊंगा| और ऊपर से ये पेट दर्द तो मेरी जान ही निकाल देता| पता नहीं मेरे बोलने का मेरे पेट से क्या लेना-देना है| पर इतना तो ज़रूर है कि अगर मैं कुछ देर और चुप रहता तो मेरा पेट दर्द के मारे फट जाता! लेकिन शुक्र है हमारे मंदबुद्धि महाराज को समझ…”  
काजल बीच में टोकती हुई बोली,”अरे, कालिया| अब बस भी करो!” 

इस तरह कालिया एक बार फिर से बहुत ज़्यादा बोलने लगा और जंगल उसकी आवाज़ से गुंज उठा| 

शिक्षा:- जो जैसा है वैसा ही अच्छा है| इसलिए हमें किसी को बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए| 
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