जादुई अंगूठी

एक समय की बात है, दो बहनें जिनका नाम गुड्डू और चुटकी था, नदी के किनारे घूम रही थी दोनों जब घूमते - घूमते थक गयी तो वही एक पेड़ के निचे बैठ गयी। गुड्डू को किताबे पढ़ने का बहुत शौक था इसलिए वो वहा बैठकर अपनी किताब पढ़ने लगी और चुटकी खाली बैठी-बैठी बोर होने लगी, तो उसने सोचा की क्यों न फूलों की माला बनाई जाये और यह सोचकर चुटकी अपनी माला के लिए फूल चुनने चली गयी , तभी उसे वहा एक खरगोश दिखाई दिया , जिसे देखकर चुटकी सोचती हैं, “वाह ! कितना सुंदर  खरगोश हैं और इसके फर भी कितने सफेद और चमकदार हैं।” 

यह सोचते ही चुटकी उस खरगोश को पकड़ने के लिए उसके पीछे - पीछे भागने लगी। थोड़ी दूर जाके वो खरगोश एक बड़े गढढे में चला गया चुटकी भी वहां पहुँच गयी और जैसे ही चुटकी ने उसमे झाँककर देखा तो उसका पैर फिसल गया और वो फिसलकर गढढे में गिर गयी । वो उस गढढे में नीचे गिरती चली गयी और एक सूखी पातियो के ढेर पर जा गिरी जब वो उठके वहा चारो तरफ देखने लगी तो उसे वहा उन खरगोशो के बिल दिखाई दिए, चारो तरफ सुंदर - सुंदर  खरगोश देखकर वो बहुत खुश हुई और सबकुछ भूलकर उन खरगोशो के पीछे भागने लगी ।


कुछ समय बीत जाने के बाद अचानक चुटकी की नज़र वहा एक किनारे पर किसी अजीब सी चीज़ पर पड़ी। उसने उसके पास जाकर देखा तो उसे पता चला की वो एक लकड़ी का डिब्बा था, जो पूरी तरह बंद था और काफी पुराना भी लग रहा था। चुटकी उस डिब्बा को अलट- पलट कर देखने लगी और सोचा, “देखने में तो ये बहुत पुराना लग रहा है, लेकिन ये खुलेगा कैसे?” चुटकी यह सोच ही रही थी की अचानक एक बड़ा सा खूबसूरत नीली आँखों वाला खरगोश उसके सामने आ गया। जिसे देखकर चुटकी सबकुछ भूल गयी और उस डिब्बा को वही रख के उस खरगोश के पीछे - पीछे चल पड़ी।

कुछ दूर उस खरगोश के पीछे जाने के बाद चुटकी को एक अजीब सी आवाज़ सुनाई देने लगी, जैसे ही वो उस आवाज़ को ठीक से सुनने की कोशिश करने लगी तभी उसकी नज़र उस नीली आँखों वाले खरगोश पर पड़ी। वो यह देखकर हैरान रह गयी की वो आवाज़ और किसी की नहीं उसी खरगोश की थी, वह खरगोश बोल रहा था और वो चुटकी से बोला, “तुम कौन हो और तुम यहाँ कैसे आयी ?” यह सुनकर चुटकी बोली,  “अरे खरगोश जी ! आप बात कर सकते हैं ! लेकिन आप बोल कैसे सकते हैं ?”खरगोश ने कहा, “ये मै तुम्हें बाद मे बताऊंगा, पहले तुम बताओ की तुम कौन हो और तुम यहाँ कैसे आयी? वापस बाहर जाने के बारे में नहीं सोचा तुमने? अब तुम्हें यहाँ से वापस बाहर जाना चाहिए।

खरगोश की बात सुनके अब चुटकी को अपनी बहन गुड्डू की याद आने लगी और उसने सोचा की गुड्डू को उसकी फ़िक्र हो रही होगी और इतना सोचते ही वो उदास हो गयी और खरगोश से बोली, “खरगोश जी ! मुझे वापस जाने का रास्ता नहीं पता।”इसपर खरगोश ने कहा, “तुम जहाँ से आयी हो वहा से वापस नहीं जा सकती क्योंकि तुम उस सुरंग से ज़मीन के बहुत निचे आ गयी हो अब यहाँ से वापस जाने का एक ही रास्ता हैं।”

चुटकी ने पूछा, “कौन सा रास्ता ?”खरगोश ने कहा, ”जादुई अंगूठी।”यह सुनते ही चुटकी बहुत उत्सुक सी हो जाती है और बड़ी ही उत्सुकता से खरगोश से पूछती हैं, “जादुई अंगूठी ! कहाँ हैं वो, मुझे भी दिखाओ। इसपर खरगोश ने कहा, “वो एक पुराने लकड़ी के डिब्बा में रखी हैं, जिसे बहुत समय पहले एक बुरे इंसान ने बंद करके मिटटी में कही दफना दिया था जिस से वो किसी को न मिले और उसका दिया श्राप कभी नहीं टूटे।”

तभी चुटकी को वो डिब्बा याद आता हैं, जो उसने थोड़ी देर पहले देखा था, और वो बोलती हैं, “मेने अभी थोड़ी देर पहले वहा पीछे एक पुराना लकड़ी का डिब्बा देखा था, वो हर तरफ से बंद था और बहुत पुराना लग रहा था। खरगोश ने कहा, “मुझे वहा ले चलो।” खरगोश के यह बोलते ही चुटकी उसे वहा ले जाती हैं और उसे वो डिब्बा दिखाती हैं। उस डिब्बा को देखकर खरगोश बहुत खुश होता हैं और बोलता है, “इस डिब्बे को हम सभी बहुत समय से ढूंढ रहे हैं, यह तुम्हें कहा मिला ?”

चुटकी ने बोला, “ये तो मुझे यही कोने में रखा हुआ मिला।” चुटकी की यह बात सुनकर खरगोश अचंभित होकर बोला, “हम यहाँ इतने समय से रह रहे हैं, और सुबह - शाम इसी डिब्बे को ढूंढ़ते रहते थे, इसी के लिए हमने यह इतना गहरा बिल भी बनाया लेकिन हमें यह डिब्बा आज तक नहीं मिला तो तुम्हें यहाँ आते ही ये डिब्बा कैसे मिल गया।” यह सुनकर चुटकी ने कहा, “मुझे नहीं पता खरगोश जी, मुझे तो ये बीएस इधर कोने में पड़ा हुआ दिखा” इसपर खरगोश ने थोड़ी देर सोचा तब उसे उस बुरे जादूगर की बात याद आयी की यह डिब्बा सिर्फ किसी नेकदिल इंसान को ही मिलेगा और तब वह बोलता है, “चुटकी तुम एक नेकदिल और भली लड़की हो शायद इसीलिए यह डिब्बा सिर्फ तुम्हें मिला। अब तुम इस डिब्बा को जल्दी से खोलो।”

चुटकी उस डिब्बा को खोलती हैं तो उसमे एक चमकदार अंगूठी दिखती हैं। उस अंगूठी को देखते ही खरगोश बोलता है, “चुटकी अब जल्दी से इस अंगूठी को अपने हाथ में पहन लो और पहनते ही सबसे पहले “श्राप टुटा” शब्द बोलना” चुटकी ने पूछा, “लेकिन यही क्यों ?”क्योंकि इस से हम सब यहाँ से बाहर निकल जायेंगे। यह सुनकर चुटकी जल्दी से उस अंगूठी को पहन लेती हैं और “श्राप टुटा” शब्द बोलते ही एक तेज़ रौशनी होती हैं चुटकी की आँखे बंद हो जाती हैं, और फिर जब आँखे खुलती है तो चुटकी उस बिल में से बाहर होती हैं और उसके आस - पास बहुत से लोग होते हैं। जिन्हे देखकर चुटकी पूछती है, “आप सब कौन हैं ?” 

तभी उनमे से एक नीली आँखों वाला आदमी बोलता है, “चुटकी में वही खरगोश हूँ, जिसके साथ अभी तुम अंदर बातें कर रही थी।”इस पर चुटकी हैरान होकर बोलती है, “अच्छा तो तुम इस श्राप की बात कर रहे थे, तुम असलियत में खरगोश नहीं इंसान हो।”

यह सुनकर नीली आँखों वाला आदमी कहता, “हाँ, कुछ समय पहले एक बुरे जादूगर ने हमसे हमारी ज़मीन, घर और गाँव को छीनने के लिए और हमारे पुरे गाँव को अपने बुरे जादू का घर बनाने के लिए, हम सबको अपने जादू से खरगोश बना दिया और हमें श्राप दिया की हम दिन में सिर्फ आधे घंटे के लिए इंसानी रूप में आ सकते हैं, और फिर कुछ समय बाद मरते हुए अपनी सारी शक्तियाँ इस एक अंगूठी में डालकर इसे यहाँ छिपा गया था, इसीलिए इसे ढूंढ़ने के लिए हम सभी ने यहाँ अपना बिल बनाया था और उस आधे घंटे में जब हम इंसान बन सकते थे तब इस डिब्बे को ढूंढ़ते थे और उसके बाद खरगोश बनके भी हम इसी काम में लगे रहते थे इसीलिए ज्यादातर हम इस बिल में ही रहते थे जिससे की हम इस डिब्बे को ढूंढ पाए, पर इतने समय से इतना ढूंढ़ने पर भी हमें यह डिब्बा नहीं मिला था लेकिन आज तुम आयी और तुम्हें ये डिब्बा मिल गया, तुमने हमारी बहुत मदद की चुटकी। तुम्हारा बहुत धन्यवाद।”

इसके बाद चुटकी वो जादुई अंगूठी उन लोगो को वापस कर रही होती हैं कि तभी वो नीली आँखों वाला आदमी बोलता है, “नहीं चुटकी तुम्हें ये अंगूठी वापस करने की जरुरत नहीं हैं क्योंकि अब इस अंगूठी का जादू खत्म हो गया हैं और अब ये साधारण अंगूठी बन गयी हैं, तुम इसे हमारी तरफ से एक तोहफा समझ कर रख सकती हो। उस आदमी की यह बात सुनके चुटकी बहुत खुश हो जाती हैं और उस अंगूठी को वापस पहन लेती हैं और उन सब से विदा लेकर वापस अपनी बहन के पास चली जाती हैं।

शिक्षा- बुराई का अंत निश्चित है |
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