पंचतंत्र की कहानी - जादुई बाज

बहुत पुरानी बात है किसी गाँव में एक बिल्लू नाम का मछुवारा रहता था। उसकी पत्नी का कुछ साल पहले देहांत हो गया था। और उसके बच्चे भी नहीं थे इसलिए वो बिल्कुल अकेला था। वह गाँव के पास ही एक नदी से मछलियां पकड़कर लाता और उनको बेचकर अपना पेट भरता था। समय के साथ वो बूढ़ा हो गया था। जिसके कारण अब वो मछलियां नहीं पकड़ पाता था। मछुवारा दिन पर दिन काफी  कमजोर होता जा रहा था। और उसके पास आय का कोई दूसरा साधन भी नहीं था। जिससे वो अपने भोजन का प्रबंध कर सके। एक दिन मछुवारे को बहुत भूख लगी| कुछ सोचकर वो अचानक नदी की तरफ चल दिया। कुछ दूर जाने पर उसने देखा एक बाज घायल अवस्था में सड़क के किनारे पड़ा दर्द से तड़प रहा था। देखने में वो कोई जादुई बाज जैसा लग रहा था, उसके पंख सोने के थे।

उसके पंजो से खून निकल रहा था। मछुवारे से उसकी ये हालत देखी नहीं गई| वो उसे उठाकर अपने घर ले गया।  घर ले जाकर मछुवारा ने बाज की मरहम-पट्टी कर दी । बाज उससे खुश होकर कहता है, "तुम बहुत ही दयावान हो दोस्त, वरना कितने लोग उस रास्ते से गुज़रे थे, पर किसी ने भी मुझे उठाकर नहीं देखा केवल तुम ही एक ऐसे थे जिसने मुझे उठाया और मेरी मदद की, मैं तुम्हारा शुक्रिया अदा कैसे करूँ? ये मैं  खुद भी नहीं जानता दोस्त". पक्षी की ऐसी बातें सुनकर मछुवारा कुछ देर तक काफी स्तब्ध रहता है और कहता है, "मैंने ऐसा कुछ नहीं किया दोस्त, जो मुझे महान बनाए, मैंने वही किया जो इंसानियत के नाते हर कोई करता। तुम ठीक हो ये जानकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई।



बाज मछुवारे को देखकर मुस्कुराता है और उससे कहता है, "दोस्त, तुम्हारी इस मदद का मैं किसी भी तरह एहसान चूका सकू तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी। फिर बाज ने आस पास देखा और उससे पूछा, "क्या तुम्हारे साथ कोई नहीं रहता?" यह सुनकर मछुवारा निराश होकार धीरे से हाँ में सिर हिलाता हैं। बाज समझ जाता है और मछुवारे से कहता है, "तुम्हारी हालत देखकर लगता है तुम बहुत बीमार रहते हो, और बूढ़े भी हो चुके हो। तुम्हारे साथ कोई रहता भी नहीं जो तुम्हारी देख-भाल कर सके और तुम्हारे लिए भोजन का प्रबंध कर सके। क्यों ना मैं तुम्हारे लिए रोज़ाना भोजन का प्रबंध कर दिया करूँ? ये सुनकर मछुवारा काफी खुश होता हैं। उस दिन से बाज मछुवारे के लिए पास की ही नदी से मछलियां लाने लगा जिससे मछुवारे को अपने खाने के प्रबंध में काफी मदद मिली। जिससे मछुवारे की सेहत में काफी सुधार हुआ।

लेकिन मछुवारे के मन में बाज के पंखो को लेकर लालच जाग रहा था। वो हमेशा बाज की नज़र बचाकर उसके पंखों को देखता और उन्हें पाने की योजना बनाता था। वो हमेशा ही उसके पंखो को देखकर सोचता था, " ये बाज इतना होशियार है कि मेरे लिए रोज़ एक मछली का प्रबंध करता है, और इसे कोई थकान भी नहीं होती। सबसे ज़्यादा आकर्षित तो मुझे इसके पंख लगते हैं। काश ये पंख मुझे मिले होते तो मेरा तो भाग्य ही चमक जाता" इस तरह मछुवारे के मन में उसके पंखो को लेकर लालच आ गया और वो उसे पाने की हर सम्भव कोशिश करने लगा।और वही बेचारा बाज दिन -रात उसकी मदद करता और उसके इलावा कुछ नहीं सोचता।

एक दिन मछुवारे के दिमाग में एक योजना आती हैं। अपनी योजना अनुसार वो एक पेड़ के पीछे छुप जाता हैं। और बाज के आने का इंतज़ार करता रहता हैं। जैसे ही बाज वहां  आता है मछुवारा उस पर चाकू से हमला कर देता हैं। जिससे वो बाज वहीं मर जाता हैं। और एक राख के ढेर में बदल जाता हैं। तभी उस राख के ढेर से एक साधु प्रकट
हो जाते  हैं। और उस मछुवारे से कहते हैं, "मुझे एक श्राप मिला था जिसके कारण मैं एक बाज बन गया था और मुझे ये कहा गया था कि जब कोई इंसान अपने लालच के कारण मेरी हत्या कर  देगा तब मैं इस श्राप से मुक्त हो जाऊंगा, और जो तुम्हे मारेगा वो खुद इस श्राप के चलते बाज बन जाएगा। अब ये कर्म तुम पर भी लागु हो चुका हैं, अब तुम किसी और लालची की प्रतीक्षा करो जो अपने लालच के कारण तुम्हे मारेगा तभी तुम इस श्राप से मुक्त हो पाओगे।

इस तरह मछुवारा उस श्राप के कारण एक सोने के पंखो वाला बाज बन गया और फिर किसी और लालची इंसान की तालाश में निकल पड़ा |

शिक्षा- हमें कभी भी लालच में आकर गलत कदम नहीं उठाना चाहिए, क्योंकि नुक्सान हमारा ही होता है।


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