पंचतंत्र की कहानी - मुर्ख शेर

बहुत समय पहले किसी जंगल में शेरसिंह नाम का एक शेर रहता था | शेरसिंह उस जंगल का राजा था | वह बहुत ताक़तवर होने के साथ-साथ बहुत गुस्से वाला भी था| कभी-कभी वो इतना गुस्सा हो जाता था कि गुस्से में बहुत गलत फैसले ले लेता था, जिसका फल जंगल के दूसरे जानवरों को भुगतना पड़ता था|

एक दिन वो अपने साथी बबलू चीते के साथ नदी के किनारे सैर कर रहा था | तभी नदी को देखकर उसने बबलू से पूछा, “बबलू, ये नदी हमारे जंगल से निकलकर कहाँ जाती है?” इस पर बबलू बोला, “महाराज, ये नदी हमारे जंगल से निकलकर पूर्व दिशा की तरफ दूसरे जंगल में जाती है, और फिर दूसरे जंगल के जानवर भी हमारी ही तरह इस नदी के पानी का इस्तेमाल करते हैं” | ये सुनते ही शेरसिंह गुस्सा हो गया और चिल्लाकर बोला, “ये नदी हमारी है | और कोई हमारी नदी का पानी इस्तेमाल नहीं कर सकता | तुम आज ही जंगल की सीमा पर दीवार बनवा दो! हम अपना पानी किसी को नहीं देंगे |


बबलू जानता था ये गलत है, पर शेरसिंह के गुस्से के आगे वो कुछ नहीं बोल सका और उसने जंगल की सीमा पर दीवार बनवा दी  | दीवार देखकर शेरसिंह बहुत खुश हुआ | पर उसकी मूर्खता की वजह से नदी का पानी जंगल में जमा होने लगा और देखते ही देखते सभी जानवरों के घरों में घुस गया |

इससे परेशान होकर कुछ जानवर मदद के लिए बबलू के पास गए| बबलू उन्हें आश्वासन देते हुआ बोला, “आप सभी चिंता मत कीजिये | मैं कुछ करता हूँ” | बबलू का आश्वासन पाकर सभी जानवर वहाँ से चले गए|

बबलू जानता था शेरसिंह बहुत गुस्से वाला है| वो उसकी बात नहीं सुनेगा | तभी उसे एक तरकीब सूझी और वो अपने घर जाकर आराम से सो गया| फिर जैसे ही आधी रात हुई वो जागा और पास में ही रहने वाले बिल्लू भालू के पास गया| बिल्लू रोज सुबह सूरज निकलने पर एक बड़ा घंटा जोर से बजाता था जिससे शेरसिंह और सभी जानवरों को पता चलता था की सुबह हो गई है|

बबलू ने बिल्लू से कहा, “बिल्लू सुबह हो गई है, घंटा बजा दो”| ये सुनकर बिल्लू चौंककर बोला, “पर अभी तो आधी रात ही हुई है| महाराज को पता चला तो वो मुझे मार डालेंगे”| “तुम उसकी चिंता मत करो| तुम्हें कुछ नहीं होगा”| बबलू के ऐसा कहने पर बिल्लू ने जोर से घंटा बजा दिया|

घंटा बजते ही सभी जानवर जाग गए | शेरसिंह भी गुफा से बाहर आया| बाहर आकर उसने देखा कि चारों तरफ अंधेरा था| ये देखकर वो गुस्सा होकर बिल्लू से बोला, “क्या तुम्हें दिखाई देना बंद हो गया है?! तुम्हें दिखता नहीं सूरज निकलने में अभी बहुत देर है!”

ये सुनकर बिल्लू डर के मारे कांपने लगा | तभी बबलू बीच में बोल पड़ा, “महाराज, इसमें बिल्लू की कोई गलती नहीं है| बिल्लू ने तो रोज के समय पर ही घंटा बजाया है| लगता है जैसे आपने पूर्व में रहने वाले जानवरों का पानी रोका है ऐसे ही पूर्व के जानवरों ने सूरज को हमारे जंगल में आने से रोक दिया है| इसलिए अब हमें चाँद की रोशनी में ही रहना पड़ेगा”|

ये सुनकर शेरसिंह और भी ज़्यादा गुस्सा हो गया | उसने बबलू से पूर्व के जंगलों पर हमला करने के लिए सभी को तैयार करने को कहा| पर बबलू बोला, “महाराज, इतने अँधेरे में तैयारी कैसे होगी? और बिना तैयारी लड़ने गए तो हमारी हार पक्की है” | “तो तुम क्या चाहते हो, हम बिना सूरज के रहें? हम ऐसे अँधेरे में नहीं रहे सकते!” शेरसिंह के ऐसा कहने पर बबलू बड़ी चालाकी से बोला, “महाराज, अगर आप पूर्व के जानवरों के लिए पानी छोड़ दे, तो पूर्व के जानवर भी हमारे लिए सूरज को छोड़ देंगे। हम नदी के पानी के बदले पूर्व के जानवरों से सूरज का व्यापार तो कर ही सकते हैं ?

शेरसिंह को बबलू की ये सलाह अच्छी लगी | उसने तुरंत सीमा पर बनी दिवार तुड़वाने का आदेश दे दिया | जब तक दीवार टूटी तब तक असली में सूरज के निकलने का समय भी हो गया | देखते ही देखते सूरज की रोशनी पूरे जंगल में फ़ैल गई और नदी का सारा पानी भी घरों से निकलकर जंगल के बाहर चला गया| और, नदी फिर से पहले जैसी बहने लगी |

शिक्षा: हर परेशानी का हल कोई न कोई जरूर होता है | हमें बस शांत रहकर अपनी सूझ-बुझ से काम लेना चाहिए |

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