पंचतंत्र की कहानी - पूँछ वाला भूत

बहुत समय की बात है, किसी जंगल में एक टिनटिन नाम का शेर रहता था| टिनटिन उस जंगल का राजा था | टिनटिन की गुफा के बाहर एक बहुत बड़ा पेड़ था| रात को तेज हवा उस पेड़ से टकराकर बहुत खतरनाक आवाजें किया करती थी | इन आवाजों से टिनटिन बहुत परेशान रहता था। कभी-कभी तो इस वजह से वो सारी-सारी रात सो भी नहीं पाता था।

टिनटिन रोज-रोज की आवाजों से बहुत तंग आ चूका था | उसने सोचा की क्यों न इस पेड़ को कटवाकर ये रोज-रोज का किस्सा ही खत्म कर दे | ऐसा सोचकर उसने डमडम हाथी को बुलाया और उसे सारी बात बताई । पूरी बात सुनकर डमडम हाथी ने कहा की वह अभी एक टक्कर से इस पेड़ को गिरा देगा | ऐसा कहकर डमडम हाथी बहुत दूर से दौड़ता हुआ आया और पेड़ से टकरा गया । डमडम की टक्कर से पेड़ उखड़कर ज़मीन पर गिर गया। पेड़ को उखड़ते देख टिनटिन शेर ने चैन की सांस ली।


टिनटिन शेर ने डमडम हाथी का धन्यवाद किया ही था की, तभी अचानक पेड़ खड़ा होकर वापिस अपनी जगह पर गड़ गया । ये देख टिनटिन और डमडम बहुत हैरान हुए । टिनटिन, डमडम से कुछ कहता इससे पहले ही डमडम बोल पड़ा की वह चिंता ना करे | वह दुबारा इस पेड़ को गिरा देगा | ऐसा कहकर डमडम हाथी ने टक्कर मारकर फिर से पेड़ को गिरा दिया । लेकिन एक बार फिर पेड़ खड़ा होकर उसी जगह गड़ गया और ज़ोर-ज़ोर से अपनी शाखाएँ हिलाकर डरावनी आवाज़ें करने लगा । ये देखकर टिनटिन और डमडम बहुत घबरा गए । डरावनी आवाज़ें सुनकर बाकी जानवर भी वहाँ जमा हो गए । किसी को कुछ नहीं सूझ रहा था की ये क्या हो रहा है।

तभी अचानक पेड़ ने हिलना बंद कर दिया और डरावनी आवाज़े आनी भी बंद हो गई। फिर डमरू कंगारू का भूत पेड़ में से निकलकर सामने आया। डमरू कंगारु की पुंछ बहुत लंबी थी। उसे अपनी पुंछ पर बहुत घमंड था। अपनी पूंछ पर बैठकर कहने लगा की वे लोग इस पेड़ क्यों तोड़ रहे हैं | ये सब तो वह कर रहा था। उनमें हिम्मत है तो उसे भगा कर दिखाए।

यह सब सुन टिनटिन ने डमरू से पूछा की वह कोन है| तब डमरू ने टिनटिन को बताया की कैसे उसके पिता ने उसकी मौत का आदेश दिया था| और कैसे मरने के बाद भूत बनकर इधर -उधर भटक रहा है| लेकिन जैसे ही उसे पता चला की टिनटिन उसी राजा का बेटा है जिसने उसकी मौत का आदेश दिया था| तब से वह इस उसे डराकर उसके पिताजी का बदला ले रहा है। अंत में डमरू ने कहा की अब वह उसे डराकर थक चूका है | इसलिए अब वह उसे खाकर अपनी मौत का बदला लेगा |

यह सब सुन टिनटिन घबराते हुए बोला की यदि वह उसे खा जायेगा तो इस जंगल को कौन संभालेगा | इस पर टिनटिन ने कहा की उसे उससे क्या मतलब | वह तो भूत है, कोई संत महात्मा नहीं जो उसके जंगल के बारे में सोचे | इस पर टिनटिन ने घबराकर कहा की इस सज़ा से बचने का कोई तरीका तो होगा? यह सुनकर डमरू भूत खड़ा होकर सोचने लगा। और, फिर कुछ देर सोचकर बोला उसके पिताजी को उसकी पुंछ पसंद नहीं थी, इसी से जलकर उन्होने उसे मृत्युदंड दिया था। अगर वह, या उसके जंगल में से किसी की भी पुंछ उसकी पूंछ से ज़्यादा लंबी और ज़्यादा काम वाली हो तभी वह उसे ज़िंदा छोड़ेगा।

टिनटिन ने डमरू की शर्त मान ली। डमडम ने सबसे पहले अपनी सूंड से डमरू की पुंछ नापी। उसकी पुंछ डमडम की सूंड से डेढ़ गुना लंबी थी। इसके बाद डमडम एक-एक करके जंगल में रहने वाले सभी जानवरों की पुंछ नापने लगा। हाथी ने सभी की पुंछ नापी लेकिन किसी की भी पुंछ भूत की पुंछ जितनी लंबी नहीं थी।सभी जानवर ये देखकर बहुत दुखी हुए। जबकि डमरू भूत बहुत खुश था।

अंत में जब सबको यकीन हो गया की किसी की भी पूंछ डमरू की पुंछ से लम्बी नहीं है | तो डमरू ने टिनटिन शेर से कहा की वह उसका खाना बनने के लिए तैयार हो जाये | टिनटिन ने भी हार मान ली थी | वह जानता था की अब उसके पास हार मानने के इलावा कोई चारा नहीं है। इसलिए उसने निराश होकर कहा की वह उसका भोजन बनने को तैयार है | टिनटिन शेर के ऐसा कहते ही डमरू भूत टिनटिन की तरफ बढ़ने लगा।

तभी अचानक चंटू साँप वहाँ रेंगता हुआ आया और चिल्लाकर बोला की नहीं महाराज! अभी मेरी उसकी नापनी बाकी है! ये सुनते ही भूत रुक गया और सभी हैरान होकर चंटू साँप को देखने लगे।चंटू साँप ने कहा की इस भूत की पुंछ कितनी भी लंबी हो, लेकिन वह उससे नहीं जीत सकता। क्योंकि वह तो ऊपर से नीचे तक पुंछ ही पुंछ हूँ। ये सुनकर सभी जानवर बहुत खुश हुए। पर डमरू की सिटी-बीटी गुल हो चुकी थी।

ये सुनकर डमरू भूत ने कहा की पूंछ लंबी है तो क्या हुआ? क्या वह अपनी पुंछ पर बैठ सकता हैइस पर चन्टू सांप ने कहा की बैठ क्या, वह तो अपनी पुंछ पर लेट भी सकता है, चल भी सकता है और नाच भी सकता है । क्या वह अपनी पुंछ पर ये सब कर सकता हैयह सुनकर डमरू बहुत निराश हुआ। उसे अपनी पुंछ पर बहुत घमंड था, लेकिन अब उसकी पुंछ हार चुकी थी। उसने अपनी हार मान ली और टिनटिन शेर से माफ़ी माँगकर कहा की वह हार गया। अब वह उसको नहीं खायेगा । ऐसा कहकर डमरू भूत उड़कर वहाँ से चला गया। उसके जाते ही सभी ने चैन की सांस ली।

इसके बाद टिनटिन शेर इसकी जान बचाने के लिए ने चंटू साँप का धन्यवाद करता है । चंटू साँप ने टिनटिन शेर से कहा की महाराज, उस भूत को अपनी पुंछ पर बहुत घमंड था। उसे इसका सबक तो मिलना ही था। वैसे भी घमंड अगर सिर चढ़ जाये तो सिर झुका ही देता है। 

शिक्षा: हमें अपनी अच्छाइयों पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि हम से बेहतर भी कोई हो सकता है।


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