पंचतंत्र की कहानी - चींटी और घमंडी हाथी

बहुत पुरानी बात है, किसी जंगल में एक हाथी रहता था| वह काफी मस्त मिजाज का था लेकिन साथ ही साथ उसे अपनी ताकत का भी घमंड था| वो किसी को भी अपने आगे कुछ नहीं समझता था| एक दिन की बात है हाथी जंगल से गुजर रहा था कि तभी उसे एक कौआ नजर आता है| वो कौआ काँव काँव किये जा रहा था , जो हाथी को पसंद नहीं आ रहा था |इस पर हाथी कौआ को बहुत बुरा-भला कहता है और उसकी आवाज को बेसुरी कहकर बेइजत्ती करता है | कौआ उस हाथी की बात को अनसुना कर देता है और काँव-काँव करता रहता है लेकिन हाथी अपने घमंड में किसी की भी नहीं सुनता और ना ही किसी की बात समझ में आती| वो उस कौआ से इतना परेशान हो जाता है कि उसको मारने के लिए उस पेड़ को ही अपनी सूंड से पकड़कर गिरा देता है| पेड़ को गिराने के बाद भी उसके घमंड में कोई कमी नहीं आती है और वो अपनी इस हरकत पर पश्चाताप करने की बजाए और बिना उस कौवे को देखे आगे बढ़ जाता है|


आगे चलने पर उसे जंगल में एक छोटी सी चींटी नजर आती है| हाथी उसका भी मजाक उड़ाता है और कहता है की वह इतनी छोटी सी है कि उसे कोई भी कुचल सकता है | उसे तो हर जगह ही बचकर चलना चाहिए नहीं तो अगर किसी के पैर के नीचे आ गई तो उसकी खैर नहीं|

यह  कहकर हाथी जोर-जोर से उस पर हंसने लगता है | हाथी के इस बर्ताव से चींटी को जरा सा भी गुस्सा नहीं आता बल्कि वो उसकी बात का जवाब बड़े ही शांत अंदाज़ में मुस्कुराकर देती है और कहती है की, माना कि वह कद काठी में उससे बड़े है लेकिन उसको ये नहीं भूलना चाहिए कि हर प्राणी को भगवान कोई न कोई ताकत जरूर दी है| ऐसी ही ताकत मुझे भी भगवान ने दी है| इसलिए आप मुझे न बताए कि मेरा कद सही हैं या नहीं| चींटी का ऐसा जवाब सुनकर हाथी को बहुत ज्यादा हंसी आती है और वह उसका और ज्यादा मजाक उड़ाने लगता है |

इस पर चींटी हाथी से कहती है की वह उसकी इतनी परवाह न करे अगर उसे कुचला जाना होता तो वह अब तक कुचली जा चुकी होती| उसे भगवान पर पूरा भरोसा है, वह जो भी करता है सही करता है और सबकी ही इसमें भलाई होती है| उन्होने मुझे बनाया है तो कुछ सोच-समझ कर ही बनाया होगा|जब हाथी और चींटी दोनों बात कर रहे होते हैं तभी अचानक से बारिश शुरू हो जाती है और चींटी भागकर एक गुफा में चली जाती है| हाथी अपने घमंड के कारण उस गुफा में नहीं जाता| यह देख चींटी हाथी को अंदर आने के लिए मानती है और कहती है की वह भी अंदर आ जाए वरना उसकी तबीयत खराब हो सकती है |

इस पर हाथी गुफा के अंदर जाने के लिए  मान जाता है | लेकिन वो शरीर में इतना बड़ा होता है कि उसका शरीर उस गुफा में नहीं आ पाता है| फिर भी किसी तरह से वो गुफा के अन्दर घुस जाता है| गुफा के अन्दर जाने पर भी उसका घमंड कम नहीं होता और वो चींटी को फिर से अपने शरीर के बारे में बढ़-चढ़ कर बोलता है| चींटी बेचारी चुपचाप सब सुनती रहती है| हाथी कहता है उसके सामने ये गुफा क्या वह इससे भी बड़ी-बड़ी गुफाओं को जरा सी देर में अपने पैरो से गिरा दे, सब चकना चूर कर दे|

ऐसा कहते ही हाथी उस गुफा पर जोर-जोर से अपने पैर पटकता है और फिर उसके ऐसा करने से गुफा के दरवाजे पर एक बड़ा सा पत्थर आकर लग जाता है जिससे गुफा का दरवाजा बंद हो जाता है| हाथी जब ये देखता है तो परेशान हो जाता है वो चींटी से कहता है अरे ये क्या हुआ इसका दरवाजा तो बंद हो गया| अब वह यहाँ से कैसे निकलेगा और उसका यहाँ थोड़ी देर में ही उसका दम घूंट जाएगा|

चींटी, हाथी की बात सुनकर तुरंत वहां से भाग जाती है| फिर थोड़ी देर में वो जंगल में जाकर दुसरे हाथियों से संपर्क करती है| हाथी आकर उस गुफा के मुंह से पत्थर हटा देते हैं जिससे कि गुफा का मार्ग खुल जाता है| इसके साथ ही उसको ये अक्ल आ जाती है कि शरीर पर घमंड करने से अच्छा है कि दूसरो की मदद की जाए| जैसा कि उसके साथी हाथियों ने किया| उसे अपनी गलती का एहसास होता है और वो सभी हाथियों से और खास तौर पर उस नन्ही चींटी से माफ़ी मांगता है|

सारांश: हमें कभी भी अपने शरीर पर या फिर अपने रूप और दौलत पर घमंड नहीं करना चाहिए| हमें हमेशा दूसरो की सहयाता करनी चाहिए|     

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