पंचतंत्र की कहानी - शेर की जिज्ञासा

किसी घने जंगल में एक शेर रहता था। शेर कई वर्षों से उस जंगल में रह रहा था। समय के साथ वह काफी बूढा हो गया था। अपने अंतिम दिनों में, शेर अपने बच्चे से कहता है -"बेटा, आज मैं तुम्हें कुछ सलाह दे रहा हूँ। तुम इसे हमेशा याद रखना। तुम शुरू से मेरी छत्र-छाया में रहे हो। तुम्हें मैंने कभी भी, किसी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी। लेकिन अब मेरे जाने के बाद तुम्हे अपना रख रखाव खुद करना है। तुम्हे विभिन्न प्रकार के जानवर मिलेंगे। याद रखना कि तुम उन सभी जीवों से ज्यादा ताकतवर हो। कभी भी किसी से मत डरना - सिवाय इंसान के।"


शेर का बच्चा अचम्भित होकर पूछता है, “इंसान?” तब शेर उसे समझाता है, "हाँ। इंसान। वह बहुत ही खतरनाक होता है। कोशिश करना की तुम्हारा कभी इंसान से सामना ना हो। मेरी बात सदैव याद रखना।" 

कुछ दिनों के बाद शेर की मृत्यु हो जाती है। शेर के बच्चे में इंसानों को लेकर एक अलग धारणा बन जाती है। वह इंसानों के प्रति भ्रमित रहता है और उसे एक बार देखने की इच्छा रखता है। अपनी जिज्ञासा के चलते शेर इंसान को ढूंढ़ने जंगल में निकल पड़ता है। 

जंगल में घुमते हुए शेर को बड़ी कद-काठी वाला एक जानवर दिखाई देता है। वह एक घोड़ा होता है। शेर को लगता है की शायद यही इंसान है। वह घोड़े के पास जा कर पूछता है, "क्या तुम इंसान हो?" शेर की इस बात पर घोड़ा जवाब देता है, "नहीं भाई। मैं तो एक घोड़ा हूँ। इंसान तो बहुत ही बुद्धिमान होता है। वह मेरी सवारी करता है।"

घोड़े की बात सुन कर शेर चौंक जाता है। वह घोड़े से आश्चर्यजनक स्वर में पूछता है, "क्या? इंसान तुम्हारी सवारी करता है?" 

घोडा शेर की बात का जवाब देता है, ‘हाँ। इंसान मेरी सवारी करता है।" यह सुनकर शेर आगे बढ़ता है। वह मन ही मन सोचता है की इंसान बहुत ही ताकतवर जीव होगा।

कुछ दूर जाने के बाद शेर को सामने एक ऊँट दिखाई देता है। ऊँट की ऊंचाई देख कर शेर को लगता है की शायद वही इंसान है। शेर ऊँट के पास जाता है और उससे पूछता है, "क्या तुम इंसान हो?"

ऊँट जवाब देता है, "नहीं। नहीं। मैं तो एक ऊँट हूँ।" शेर फिर से पूछता है, "क्या तुमने कभी इंसान देखा है?" ऊँट जवाब देता है, "हाँ। देखा है ना। इंसान बहुत ही बुद्धिमान होता है। वह मुझे अपने काम के लिए इस्तेमाल करता है और मुझ पर सामान ढो कर एक जगह से दूसरी जगह ले जाता है।" 

शेर सोचता है, "यह ऊँट कितना ऊंचा है। फिर भी इंसान इससे अपना काम करवाता है। ज़रूर वह बहुत ही बड़ा और बलशाली होगा।"

थोड़ा दूर जाने के बाद शेर को सामने एक दो दांत वाला विशालकाय जानवर दिखाई देता है। वह हाथी होता है। हाथी को देख कर शेर को यक़ीन हो जाता है की वही इंसान है। शेर,हाथी के पास जा कर बोलता है, “क्या तुम्ही इंसान हो?” शेर की इस बात पर हाथी पहले बहुत हँसता है और फिर कहता है, “मैं तो बस एक हाथी हूँ। इंसान तो बहुत ही बुद्धिमान होता है। वह तो मुझे सर्कस में डंडे की नोक पर नचाता है।"

हाथी की बात सुनकर शेर को विश्वास हो जाता है की इंसान बहुत ही खतरनाक होता है। शेर घूमता हुआ जंगल की सीमा तक पहुंच जाता है। वहां उसे एक आदमी लकड़ी काटता हुआ दिखाई देता है। शेर, आदमी को देख कर समझ नहीं पता की वह कौन है। वह उस आदमी के पास जा कर सवाल करता है, “क्या तुमने कभी इंसान देखा है?”

यह सुनकर इंसान हैरान होकर जवाब है, “इसमें देखना क्या | में खुद एक इंसान हूँ |” आदमी को देखकर शेर को यकीन नहीं होता की इंसान उसकी कल्पना के बिलकुल विपरीत निकलेगा | आदमी को देख शेर ने कहा, “मुझे तो लगा था की इंसान बहुत खतरनाक होता होगा | तुम्हे तो में अभी मर कर खा जाऊंगा|”
शेर को अपनी तरफ बढता देख आदमी फौरन अपने विवेक से काम लेता है और कहता है, ”ठहरो, अगर तुम्हे लगता है की तुम मुझसे ज्यादा ताकतवर हो तो पहले इस लठ्ठर में से छेनी निकल कर दिखाओ।” आदमी की बात सुनकर शेर लठ्ठर में से छेनी निकलने के लिए जैसे ही अपना हाथ डालता है, लठ्ठर का मुंह बंद हो जाता है और हाथ उसमें फंस जाता है |

शेर को अपनी गलती का अहसास हो जाता है और वह समझ जाता है की इंसान वाकई में बहुत बुद्धिमान होता है। शेर आदमी से माफ़ी मांगता है और वादा करता है की वह कभी भी किसी इंसान के सामने नहीं जायेगा। 


सारांश – हमें सदैव अपने माता-पिता की बात माननी चाहिए। 

Click=>>>>>Hindi Cartoon for more Panchatantra Stories........