बहुत समय पहले, किसी जंगल में मुर्गा और गधा साथ रहते थे। वह दोनों बहुत अच्छे मित्र थे। एक दिन, मुर्गा और गधा खाने की तलाश में जंगल में काफी दूर तक चले गये और उन्हें कुछ दूरी पर एक शेर दिखाई दिया। शेर को देख कर दोनों बहुत डर गए। इससे पहले की शेर की नज़र उन दोनों पर पड़ती, वे दोनों झाड़ियों में छुप गये।
शेर के डर के मारे, दोनों झाड़ियों में ही छुपे रहे और शेर के जाने का इंतेज़ार करने लगे। कुछ देर के बाद, उन्होंने देखा की सामने मैदान में एक बकरी घास चर रही है। शेर भी बकरी को देखता है और दबे पाओं उसकी तरफ बढ़ना शुरू करता है। बकरी को मुसीबत में देख कर मुर्गा, गधे से कहता है, “हमें उस बकरी की सहायता करनी चाहिए।"
यह सुनकर गधा अचरज भरी नजरों से मुर्गे की तरफ देखकर बोलता है, "भला हम उस बकरी की सहायता कैसे कर सकते हैं? यह शेर बहुत खूंखार है और हमें मारकर खा जायेगा।”गधे की इस बात पर मुर्गा कहता है -"कुछ ना करने से अच्छा होगा की हम कोशिश तो करें।"
शेर जैसे ही बकरी को दबोचने वाला होता है, मुर्गा बहुत ज़ोर से बांग देता है। अचानक से मुर्गे की तीव्र आवाज़ सुन कर शेर डर जाता है और वहां से भाग जाता है। गधा, मुर्गे की होशियारी देख कर बहुत खुश होता है। उसके मन में विचार आता है की क्यों ना वह शेर को जंगल से बाहर भगा कर आए? बाकी जानवरों के बीच उसका भी थोड़ा नाम हो जायेगा।
ऐसा सोचते हुए गधा, शेर के पीछे-पीछे भागना शुरू करता है। गधे को भागता देख मुर्गा बोलता है, "ठहरो मित्र। यह तुम क्या कर रहे हो?" गधा मुर्गे की बात नज़रंदाज़ करते हुए शेर के पीछे भागता रहता है। गधा शेर के पीछे भागता हुआ काफी दूर चला जाता है। अति उत्साहित हो कर गधा ढेंचू-ढेंचू करके शेर को डराने की कोशिश करता है।
शेर गधे की आवाज़ सुन कर पीछे मुड़कर देखता है। तब उसे पता चलता है की वह किसी खतरनाक जानवर नहीं बल्कि एक गधे से डरकर भाग रहा है। इससे पहले की गधा कुछ सोच पाता, शेर उसे दबोच लेता है और बेरहमी से मारकर खा जाता है। इस तरह गधा अपनी मूर्खता के कारण मारा जाता है।
सारांश:- आत्मविश्वास ज़रूरी होता है लेकिन अति आत्मविश्वास हमेशा नुकसानदायक होता है।
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