पंचतंत्र की कहानी - गिद्द और बिल्ली

बहुत पुरानी बात है। किसी जंगल में बड़े से बरगद के पेड़ पर अन्य प्रकार के पशु-पक्षी रहते थे। एक दिन, एक बूढ़ा गिद्ध उस पेड़ पर आश्रय लेने आया। वह गिद अँधा था। पेड़ के सभी पक्षियों ने गिद्ध की उम्र का लिहाज़ करते हुए उसे अपने साथ रहने के लिए जगह और खाना देने का फैसला किया। गिद्ध भी बदले में पक्षियों के बच्चों की रखवाली करने लगा। गिद्ध और पक्षी ख़ुशी-ख़ुशी साथ रहने लगे। 


फिर एक दिन, उस पेड़ के पास से एक बिल्ली जा रही थी। बिल्ली ने पेड़ से पक्षियों के चहकने की आवाज़ें सुनी। बिल्ली जैसे ही पेड़ पर चढ़ी, पक्षियों के बच्चे उसे देख कर डर गए। इससे पहले की बिल्ली बच्चों पर हमला कर पाती, गिद्ध ने जोर से चिल्लाते हुए कहा, "कौन है वहां?"

बिल्ली गिद्ध की आवाज़ सुन कर डर गयी। उसको पता था की अगर उसे पक्षियों के बच्चों को अपना भोजन बनाना है तो पहले उसे गिद्ध से दोस्ती करनी पड़ेगी। बिल्ली ने गिद्ध से कहा "मैंने आपकी बुद्धिमानी और बड़प्पन के बारे में अपने साथी पक्षियों से बहुत कुछ सुना है। मैं आपसे मिलने आयी हूँ।"
गिद्ध को अपनी तारीफ सुनकर बहुत अच्छा लगा। उसने बिल्ली से पूछा, "तुम कोन हो?" बिल्ली ने जवाब दिया, "मैं एक बिल्ली हूँ।" गिद्ध को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया और उसने बिल्ली को तुरंत वहाँ से जाने को कहा। 

बिल्ली ने एक तरकीब सोची। बिल्ली ने गिद्ध से कहा, "गिद्ध चाचा, मैं अपने परिवार के साथ नदी के दूसरी तरफ रहती हूँ। मैंने और मेरे परिवार में से किसी ने भी कभी जीवन में मांसाहारी भोजन नहीं खाया। मुझे नहीं लगता आपके जैसा समझदार जीव मुझ जैसी बिल्ली को मारकर खाना पसंद करेगा।"

बिल्ली की बातों पर गिद्ध को विश्वाश नहीं होता | वह बिल्ली से कहता है, "तुम तो एक बिल्ली हो और अपने से छोटे पक्षियों को मारकर खाना तुम्हारा पेशा है। मैं तुम पर विश्वास कैसे करूँ?"

बिल्ली फिर से गिद्ध को भरोसा दिलाने के लिए कहती है, "गिद्ध चाचा, सभी बिल्लियां एक जैसी नहीं होती। खाने के लिए मैं कभी भी किसी को मार नहीं सकती। मेरा मानना है कि ईश्वर उन सभी को सज़ा देता है जो दूसरों को मारते हैं। वैसे भी जंगल में खाने के लिए काफी स्वादिष्ट फल और जड़ी-बूटियां हैं।"

गिद्ध को बिल्ली की बातों पर विश्वास हो जाता है। वह उसे अपने और बाकी पक्षियों के साथ पेड़ पर रहने की इजाजत दे देता है। अब बिल्ली हर रोज़ किसी एक पक्षी के बच्चे को मारकर खाने लग गयी थी। गिद्ध जब भी सोया होता, तब बिल्ली अपना शिकार करती। धीरे-धीरे बच्चों की संख्या में कमी आने से बाकी पक्षियों को कुछ गड़बड़ लगी। वह अपने खोये हुए बच्चों को ढूंढ़ने के लिए जंगल में गए। जैसे ही बिल्ली को आभास हुआ की अब झूठ से पर्दा उठने वाला है, वह वहां से भाग गयी। जब पक्षी जंगल में अपने बच्चों को ढूंढ़ने में विफल होकर वापस पेड़ पर आये, तो उन्हें गिद्ध सोया हुआ मिला। गिद्ध जहाँ पर सोया था, उसके पास वाली टहनी में एक कोटर था। पक्षियों ने जैसे ही कोटर में झांक कर देखा, तो उसमें उन्हें ढेर सारी हड्डियां मिलीं। यह वही हड्डियां थी जो बिल्ली ने पक्षियों के बच्चों को खा कर वहां छुपा दी थी। 

उन हड्डियों को देख कर पक्षियों को आभास हुआ की वह हड्डियां उनके बच्चों की ही हैं। हड्डियां सोये हुए गिद्ध के पास मिलने पर उन्हें लगा कि गिद्ध ने ही सभी बच्चों को मार कर खाया होगा और हड्डियों को कोटर में छुपा दिया होगा। बूढ़े गिद्ध की इस करतूत के चलते पक्षियों के गुस्से का ठिकाना नहीं रहा। सारे पक्षियों ने मिलकर गिद्ध पर अपनी चोंच से वार किया। क्योंकि गिद्ध सोया हुआ था, वह कुछ नहीं कर पाया और पक्षियों के हाथों मारा गया। इस तरह, गिद्ध के एक अनजान बिल्ली पर भरोसा करने से पहले पक्षियों के बच्चों को, और अंत में, खुद गिद्ध को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। 


सारांश - आँख मूँद कर हमें कभी भी किसी अजनबी पर भरोसा नहीं करना चाहिए। 


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