पंचतंत्र की कहानी - गधे ने गाना गाया

पुराने समय की बात है, किसी गाँव में एक धोबी रहता था। उसके पास कालू नाम का गधा था। धोबी बहुत गरीब था और गधे को पेट भर खाना नहीं दे पाता था। कम खाना खाने के कारण कालू दिन-प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा था। कालू की दयनीय हालत देख कर धोबी ने सोचा, "मेरी इतनी हैसियत तो नहीं है कि मैं इसे अच्छा खाना दे पाऊं। क्यों ना मैं इसे रात में खुला छोड़ दूँ? यह अपने आप ही गाँव के खेतों में चर लिया करेगा और इसकी सेहत भी अच्छी हो जाएगी।"


धोबी ने कालू गधे को रात के समय खुला छोड़ना शुरू कर दिया। एक रात जब कालू खेत में चर रहा था तो उसकी मुलाकात पप्पू नाम के सियार से हुई। दोनों साथ मिलकर रोज रात को खेतों में चरने जाते थे। दोनों में अच्छी दोस्ती भी हो गई थी। कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहा। दोनों दोस्त हर रोज रात को पेट भर कर खाना खाते और सुबह होने से पहले वापस आ जाते।

ऐसे ही, एक रात दोनों दोस्त खेत में चर रहे थे। चांदनी रात होने के कारण कालू गधे का गाना गाने का मन हुआ। गधे ने सियार से कहा, "भाई, मेरा गाना गाने का मन कर रहा है।" सियार बहुत समझदार था। उसने गधे से कहा, "भाई, खाना चाहे जितना मर्ज़ी खा ले लेकिन गाना गाने के बारे में बिलकुल भी मत सोचना।  तुम्हारी बेसुरी आवाज सुनकर खेत का मालिक जाग जायेगा और हम दोनों की जमकर पिटाई करेगा।"

सियार की बात सुनकर गधा भड़क गया। कालू गधे ने गाना गाने की जिद पकड़ ली। जब सियार ने देखा कि गधे ने गाना गाने के लिए जिद पकड़ ली है, तो उसने खतरा भांपकर किसी सुरक्षित स्थान पर छिप जाने में ही अपनी भलाई समझी। सियार ने गधे से कहा, ‘भाई, अगर तुमने गाने का मन बना ही लिया है, तो मेरे इस खेत से बाहर निकलने तक शांत रहो।"

सियार के जाते ही गधे ने बहुत ऊंचे स्वर में रेंकना शुरू कर दिया। रेंकने की आवाज सुनते ही खेत के मालिक की नींद टूट गई और वह गुस्से में लाठी उठाए खेत की तरफ दौड़ता हुआ गया। फिर उसने कालू गधे की खूब पिटाई की। गधा किसी तरह गिरता-पड़ता अपनी जान बचाकर भाग गया।


सारांश:- हर काम को करने का एक उचित समय होता है। बेवक्त किसी भी काम को करने का नतीजा बुरा होता है।


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