किसी जंगल में एक सियार रहता था। एक दिन वह भोजन के लिए जंगल में भटक रहा था की उसे मरा हुआ हाथी दिखाई दिया। उसने हाथी के मृत शरीर पर दांत गड़ाए लेकिन खाल मोटी होने की वजह से वह हाथी को चीरने में नाकाम रहा। तभी वहाँ से शेर गुजर रहा था | शेर को देखकर सियार के मन में विचार आया की क्यों ना हाथी की खाल चीरने में शेर की मदद ली जाए?!
सियार ने आगे बढ़कर शेर का स्वागत किया और हाथ जोड़कर कहा, “स्वामी, आपके लिए मैंने इस हाथी को मारा है। आप इसे खाकर मुझ पर उपकार कीजिए।” शेर ने थोड़ा सोचकर कहा, “मैं किसी दुसरे जानवर के द्वारा किये गए शिकार को नहीं खाता। इसे तुम ही खाओ।" शेर का जवाब सुनकर सियार परेशान हो गया। उसे समझ नहीं आया की हाथी को कैसे खाया जाए?
थोड़ी ही देर में उसे एक बाघ नजर आया। बाघ मरे हुए हाथी को देखकर बहुत खुश हुआ। सियार, बाघ की मंशा समझ गया और बोला, "इस हाथी का शिकार शेर ने किया है। मुझे इसकी रखवाली करनी है। एक बार किसी बाघ ने उसके शिकार को खा लिया था तब से शेर, बाघ जाति से नफरत करने लगा है। अगर शेर को पता चल गया की इसे तुमने खाया है, तो तुम्हे जिन्दा नहीं छोड़ेगा।" यह सुनते ही बाघ वहाँ से भाग खड़ा हुआ।
सियार फिर से मरे हुए हाथी को खाने की तरकीब सोचने लगा। उसे एक चीता आता हुआ दिखाई दिया। सियार को पता था कि चीते के तेज नाखून और नुकीले दांत आसानी से हाथी की खाल को चीर सकते हैं। यह सोचकर उसने चीता से कहा, “चीता भाई, कहाँ जा रहे हो? लगता है आपने बहुत दिनों से कुछ खाया नहीं है। बहुत कमजोर लग रहे हो?” यह सुनकर चीते ने जवाब दिया, “हाँ भाई, बहुत दिनों से कुछ खाया नहीं है।” ऐसा कहकर, चीते ने मरे हुए हाथी को देखा और सोचने लगा, "काश, यह मुझे खाने को मिल जाये।"
सियार चीते से कहता है, “चीता भाई, इस हाथी का शिकार शेर ने किया है और मुझे इसकी रखवाली करने को कहा है। तुम चाहो तो इसमें से थोड़ा मांस खा सकते हो।" पहले तो चीते ने शेर के डर से मांस खाने से मना कर दिया, लेकिन सियार के ये कहने पर की जैसे ही शेर आएगा, वह उसे आगाह कर देगा, चीता राजी हो गया।
चीते के तो जैसे खज़ाना हाथ लग गया। वह हाथी पर झपट पड़ा और उसने हाथी की खाल को चीर दिया। जैसे ही चीते ने हाथी की खाल को चीरा, सियार चिल्लाने लगा , “भागो, भागो। शेर आ रहा है।" यह सुनते ही चीता डर कर भाग गया और अपनी सूझ-बूझ से, सियार ने समस्या का हल निकाल लिया।
सारांश:- बुद्धि के प्रयोग से कठिन से कठिन कार्य भी आसानी से किये जा सकते हैं।