पंचतंत्र की कहानी - शत्रु का शत्रु मित्र


बहुत समय की बात है, किसी गाँव में एक ब्राह्मण रहता था। उसके परिवार में कोई नहीं था। वह शिव भगवान् कि पूजा पाठ में पूरा दिन बिताया करता था।  एक दिन वो किसी परिवार के घर पूजा के लिए गया, तो उसे दक्षिणा में दो बैल मिले। ब्राह्मण सोचने लगा कि इन बैलो का भरण-पोषण कौन करेगा? उसके खुद का रहने और खाने का ठिकाना नहीं हैं, तो वह इन बैलो का क्या करेगा? इन्हें क्या खिलायेगा? लेकिन वह उन लोगो को बैल स्वीकारने से मना भी नहीं कर सकता था। अब तो उसे बैलों को घर ले जाना ही पड़ेगा। क्या पता भगवान् शिव ने उसे वह बैल अपनी सेवा के लिए दियें हों?! यह सोचकर ब्राह्मण बैलों को अपने घर ले जाता है।

फिर वह उन बैलो की देखभाल ऐसे करने लगा कि जैसे शिव भगवान् की पूजा करता हो| उनका भरन-पोषण ब्राह्मण दक्षिणा में मांग-मांग कर करने लगा। ब्राह्मण एक दिन सोचने लगा है कि जब से ये बैल मेरे जीवन में आए हैं तब से मुझे अकेलापन महसूस ही नहीं होता। इनके सहारे तो में सारी ज़िन्दगी काट लूँगा, लेकिन किसी दिन अगर ये बैल चले गए तो मेरा क्या होगा? इनके बिना मैं कैसे जिऊँगा? इनके बिना मेरा है ही कौन?

एक दिन उस गाँव में चोर आ जाता है और उसकी नजर उन बैलों पर पड़ती है। चोर बोलता है कि वाह कितने सुन्दर बैल हैं। लेकिन यह ब्राह्मण के साधारण से घर में ये क्या कर रहे हैं? इन्हें तो मेरे पास होना चाहिए। वैसे भी ब्राह्मण उन बैलो को क्या खिलाता होगा? मैं इन्हें अपने घर ले जाऊँगा। यह सोचकर चोर उस ब्राह्मण के घर के सामने से चला जाता है और चोरी करने की योजना बनाता है। रास्ते में उसे एक राक्षस मिल जाता है। चर उसे देखकर थोड़ा घबरा जाता है और पूछता है की तुम कोन हो? राक्षस उसे कहता है की वह ब्रह्म राक्षस है और उस ब्राह्मण को खाने जा रहा है। | चोर ने कहता है की वह एक चोर है और ब्राह्मण के घर बैलों की चोरी करने जा रहा है।

फिर राक्षस और चोर योजना बना कर एक साथ ब्राह्मण के घर चले जाते हैं। ब्राह्मण के घर पहुँच कर राक्षस, चोर से कहता है की देखो मित्र, अभी ब्राह्मण सोया है। क्यों न मैं इसे मारकर खा लूं? अगर ये जग गया तो मैं इसे मार नहीं पाऊँगा और तुम बैल बाद में चुरा लेना। तभी चोर जवाब देता है की मित्र, तुम इसे बाद में खा लेना। पहले मैं बैल चुरा लेता हूँ। अगर ये जग गया तो मै बैल नहीं चुरा पाऊँगा।

इस तरह से दोनों में बहस हो जाती है और फिर उनकी लड़ाई कि जोर-जोर की आवाजों से ब्राह्मण जग जाता है और दोनों के पीछे डंडा लेकर भागता है। ब्राह्मण के हाथ में डंडा देखकर वह दोनों भी डर कर भाग जाते हैं।


 सारांश - जल्दबाजी में किया गया काम हमेशा खराब होता है। 

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