सुंदरवन के जंगल में एक विशाल झील थी | जंगल के सभी जानवर उस झील के पानी से अपनी प्यास बुझाते थे और रोजमर्रा के काम किया करते थे | एक समय की बात हैं उस झील पर एक विशाल राक्षस ने कब्ज़ा कर लिया और झील को अपना घर बना लिया | उस राक्षस ने जंगल के सभी जानवरों को वहां से डरा कर भगा दिया |
उस जंगल में बंदरो का एक विशाल समूह भी रहता था | बंदरो के समूह के सरदार ने एक दिन एक सभा का आयोजन किया और सभी बंदरो को उस सभा आने के लिए कहा, सभी बन्दर उस सभा में उपस्थित हुए |
बंदरो की सभा का दृश्य:-
बंदरो के सरदार ने सभा की शरुआत की,
बंदरो का सरदार- “आज मैंने तुम सभी को यहाँ यह कहने के लिए बुलाया हैं कि कुछ समय से जंगल की झील पर एक राक्षस ने कब्ज़ा कर लिया हैं और उसने सभी को वहां से डरा कर भगा दिया और झील पर कब्ज़ा कर सभी को पानी इस्तेमाल करने से वंचित कर दिया”
तभी एक बन्दर सरदार की बात काटते हुए बोलता हैं|
बन्दर- “लेकिन सरदार अगर हम झील का पानी उपयोग नहीं करेंगे तो हम मर जायेंगे”|
सरदार- “जंगल में एक नदी भी हैं और तुम उस नदी का पानी क्यों नहीं उपयोग करते?”
सभी बन्दर एक साथ बोलते हैं-“ठीक हैं सरदार|”
कई साल बीत गए जंगल के सभी जानवरों ने उस झील की तरफ अपना रुख भी नहीं किया और नदी का ही पानी उपयोग करने लगे, लेकिन कुछ समय बीत जाने के बाद सुंदर वन में एक भयंकर आकाल पड़ा, सुंदर वन की नदी का पानी सूख गया और भोजन में भी कमी आने लगी| जंगल के सभी जानवर एक-एक करके जंगल को छोड़ कर जाने लगे|
लेकिन बंदरो के समूह को जंगल से कुछ खासा लगाव था| वो किसी भी परिस्थिति में जंगल को छोड़कर नहीं जाना चाहते थे| इस समस्या से निबटने के लिए बंदरो के सरदार ने एक बैठक बुलाई और उसमे सभी बंदरो को आमंत्रित किया|
तभी एक बन्दर बोलता हैं- “सरदार यदि हमने जल्दी ही इस पानी की समस्या का समाधान नहीं किया तो हम भूख और प्यास के मारे मर जायेंगे| भोजन के बिना तो जीवित रहा जा सकता हैं लेकिन पानी के बिना जीवित नहीं रहा जा सकता| सरदार क्या किसी तरीके से हमें झील का पानी मिल सकता हैं|”
सरदार बहुत देर तक कुछ सोचता हैं और फिर कहता हैं- “इस झील की समस्या से निबटने के लिए हमें उस राक्षस के पास चलना चाहिए और हम उससे झील के पानी का उपयोग करने का निवेदन करेंगे, क्या पता हमारा निवेदन सुनकर उस राक्षस को हम पर तरस आ जाए और वो हमें उस झील का पानी उपयोग करने दे|”
बंदरो का सरदार सभी बंदरो के साथ उस झील के पास जाता हैं और झील के राक्षस से कहता हैं- “इस झील के महाराज कृपया कर बहार निकले हम सब आपसे मिलने आए हैं|” तभी झील का राक्षस बहार निकलता हैं और उस राक्षस की आँखे लाल थी, और उन सभी बंदरो से वो गुस्से में बात करता हैं|
राक्षस- “कौन हो तुम लोग और यहाँ क्या लेने आये हो और तुम सब ने मुझे नींद से क्यों जगाया?”
बंदरो का सरदार कहता हैं-“ए झील के महाराज जंगल में आकाल पड़ने के कारण नदी का पानी सूख गया हैं, हमारे सभी साथी भूख और प्यास के मारे बेहाल हैं हम सभी आपसे निवेदन करना चाहते हैं कि आप हमें इस झील का पानी उपयोग करने दे|”
राक्षस गुस्से में कहता हैं- “अगर नदी का पानी सूख गया हैं तो तुम सब जंगल छोड़ कर क्यों नहीं चले जाते, जैसे कि और सारे जानवर चले गए हैं?”
तभी बन्दर का सरदार कहता हैं- “ए महाराज हम इस जंगल में काफी समय से रहते आये हैं और हमारा मन इस जंगल में रम चुका हैं, हम सभी यहाँ ही रहना चाहते हैं| कृपया हमारा निवेदन स्वीकार करे|”
राक्षस गुस्से से कहता हैं- “अगर तुम सब जंगल छोड़ कर नहीं जाना चाहते तो तुम्हे झील का पानी नहीं मिलेगा और अगर तुममे में से किसी ने भी इस झील का पानी लेने की गुस्ताखी की तो में तुम्हे खा जाऊँगा| अब भागो यहाँ से|” सभी बन्दर डर कर भाग आते हैं लेकिन बंदरो के सरदार ने हार नहीं मानी और कुछ देर तक सोचने के बाद उसने सभी बंदरो को दो समूह में बाँट दिया कुछ को उसने एक बड़ा सा गड्ढा खोदने के लिए कहा और कुछ को उसने बांस को काटने का आदेश दिया|
कुछ ही समय में बंदरो के एक समूह ने उस झील के पास गहरा गड्डा खोद दिया और दूसरे समूह ने बांस को काटकर मजबूती से एक लम्बा सा पाइप बना दिया जिसका एक सिरा उन्होंने झील में डाला और दूसरा सिरा उन्होंने उस गड्डे में डाल दिया और झील का पानी धीरे-धीरे उस गड्डे में भरने लगा और बंदरो को झील का पानी मिल गया|
इस तरह से हमने ये जाना कि किस तरह से बंदरो के सरदार ने हार नहीं मानी और अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके सुख शांति से झील का पानी उपयोग किया|
तो बच्चो हमें झील के राक्षस कि कहानी से यह शिक्षा मिलती हैं कि बल से ज्यादा बुद्धि बलवान होती हैं|
सरदार- “जंगल में एक नदी भी हैं और तुम उस नदी का पानी क्यों नहीं उपयोग करते?”
सभी बन्दर एक साथ बोलते हैं-“ठीक हैं सरदार|”
कई साल बीत गए जंगल के सभी जानवरों ने उस झील की तरफ अपना रुख भी नहीं किया और नदी का ही पानी उपयोग करने लगे, लेकिन कुछ समय बीत जाने के बाद सुंदर वन में एक भयंकर आकाल पड़ा, सुंदर वन की नदी का पानी सूख गया और भोजन में भी कमी आने लगी| जंगल के सभी जानवर एक-एक करके जंगल को छोड़ कर जाने लगे|
लेकिन बंदरो के समूह को जंगल से कुछ खासा लगाव था| वो किसी भी परिस्थिति में जंगल को छोड़कर नहीं जाना चाहते थे| इस समस्या से निबटने के लिए बंदरो के सरदार ने एक बैठक बुलाई और उसमे सभी बंदरो को आमंत्रित किया|
तभी एक बन्दर बोलता हैं- “सरदार यदि हमने जल्दी ही इस पानी की समस्या का समाधान नहीं किया तो हम भूख और प्यास के मारे मर जायेंगे| भोजन के बिना तो जीवित रहा जा सकता हैं लेकिन पानी के बिना जीवित नहीं रहा जा सकता| सरदार क्या किसी तरीके से हमें झील का पानी मिल सकता हैं|”
सरदार बहुत देर तक कुछ सोचता हैं और फिर कहता हैं- “इस झील की समस्या से निबटने के लिए हमें उस राक्षस के पास चलना चाहिए और हम उससे झील के पानी का उपयोग करने का निवेदन करेंगे, क्या पता हमारा निवेदन सुनकर उस राक्षस को हम पर तरस आ जाए और वो हमें उस झील का पानी उपयोग करने दे|”
बंदरो का सरदार सभी बंदरो के साथ उस झील के पास जाता हैं और झील के राक्षस से कहता हैं- “इस झील के महाराज कृपया कर बहार निकले हम सब आपसे मिलने आए हैं|” तभी झील का राक्षस बहार निकलता हैं और उस राक्षस की आँखे लाल थी, और उन सभी बंदरो से वो गुस्से में बात करता हैं|
राक्षस- “कौन हो तुम लोग और यहाँ क्या लेने आये हो और तुम सब ने मुझे नींद से क्यों जगाया?”
बंदरो का सरदार कहता हैं-“ए झील के महाराज जंगल में आकाल पड़ने के कारण नदी का पानी सूख गया हैं, हमारे सभी साथी भूख और प्यास के मारे बेहाल हैं हम सभी आपसे निवेदन करना चाहते हैं कि आप हमें इस झील का पानी उपयोग करने दे|”
राक्षस गुस्से में कहता हैं- “अगर नदी का पानी सूख गया हैं तो तुम सब जंगल छोड़ कर क्यों नहीं चले जाते, जैसे कि और सारे जानवर चले गए हैं?”
तभी बन्दर का सरदार कहता हैं- “ए महाराज हम इस जंगल में काफी समय से रहते आये हैं और हमारा मन इस जंगल में रम चुका हैं, हम सभी यहाँ ही रहना चाहते हैं| कृपया हमारा निवेदन स्वीकार करे|”
राक्षस गुस्से से कहता हैं- “अगर तुम सब जंगल छोड़ कर नहीं जाना चाहते तो तुम्हे झील का पानी नहीं मिलेगा और अगर तुममे में से किसी ने भी इस झील का पानी लेने की गुस्ताखी की तो में तुम्हे खा जाऊँगा| अब भागो यहाँ से|” सभी बन्दर डर कर भाग आते हैं लेकिन बंदरो के सरदार ने हार नहीं मानी और कुछ देर तक सोचने के बाद उसने सभी बंदरो को दो समूह में बाँट दिया कुछ को उसने एक बड़ा सा गड्ढा खोदने के लिए कहा और कुछ को उसने बांस को काटने का आदेश दिया|
कुछ ही समय में बंदरो के एक समूह ने उस झील के पास गहरा गड्डा खोद दिया और दूसरे समूह ने बांस को काटकर मजबूती से एक लम्बा सा पाइप बना दिया जिसका एक सिरा उन्होंने झील में डाला और दूसरा सिरा उन्होंने उस गड्डे में डाल दिया और झील का पानी धीरे-धीरे उस गड्डे में भरने लगा और बंदरो को झील का पानी मिल गया|
इस तरह से हमने ये जाना कि किस तरह से बंदरो के सरदार ने हार नहीं मानी और अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके सुख शांति से झील का पानी उपयोग किया|
तो बच्चो हमें झील के राक्षस कि कहानी से यह शिक्षा मिलती हैं कि बल से ज्यादा बुद्धि बलवान होती हैं|
समाप्त !!