पुराने समय की बात है | एक गाँव में दो दोस्त रहते थे। एक का नाम राजू और दूसरे का नाम रमन था। राजू बहुत ईमानदार, मेहनती और अच्छे स्वाभाव का व्यक्ति था | परइसके विपरीत रमन बहुत दुष्टऔर धोखेबाज प्रवति का व्यक्ति था| एक दिन रमन के दुष्टदिमाग ने सोचा की राजू बहुत ईमानदार और मेहनती है | और इसका नई – नई योजना बनाने मे कोई जबाब नहीं क्यों न राजू की दोस्ती का फायदा उठाया जाए। उसकी मेहनत और बुद्धिमानी से कमाए धन कमाया जाए और बाद मै उसका धन बड़ी चालाकी से हड़प लियाजाए|
और उसी रात रमन जंगल में जाकर अपना और राजू का धन निकाल लाता है | और अपने घर मे ला कर छुपा देता है । कुछ दिनों के पश्चात् रमन राजू के पास जाता है | और मासूम बनकर राजू से बोलता है, राजू मेरे मित्र मुझे कुछ धन की आवशक्ता है मुझे कुछ जरुरी काम आन पढ़ा है | तुम मेरे साथ जंगल चलो वंहा जाकर थोड़ा धन ले आते है। दोनों मित्र जंगल मे उस बरगद के पेड़ के पास पहुंचते है | वहाँ पहुँचकर खोदना शुरू किया और रमन ने देखा की धन वहाँ नहीं है। यह देख कर रमन आशचर्य से उछल पड़ता है और चिल्लाता है | और बोलता है, राजू तुम्ही चोर हो तुमने ही मेरा सारा धन चुराया है, तुम्हारे और मेरे अलावा किसी और को इस बात का पता नहीं था| इसका मतलब यह है की सारा धन तुमने ही चुराया है। राजू ने कहा ये तुम क्या बोल रहे हो मित्र मैंने धन नहीं चुराया है, मेरा विश्वाश करो । फिर राजू ने कहा | तुम अगर मेरे धन वापस नहीं करोगे तो मे पंचायत मै जाऊंगा | राजू ने अपने आप को सही साबित करने की पूरी कोशिश की पर रमन ने एक न मानि और दोनों पंचायत के पास पहुंचे है ।
रमन, राजू पे चोरी का आरोप लगाते हुए| मुखिया जी राजू ने मेरे पैसे चुराए है, और अब ये मुकर रहा है | अब आप ही न्याय करे | राजू नहीं मुखिया जी मैंने कोई चोरी नहीं की है | इस पे मुखिया ने कहा | तुम दोनों के पास अपनी बाते सही साबित करने का कोई प्रमाण नहीं है| यह सुन कर रमन तुरंत बोलता है, नहीं मुखिया जी मेरे पास प्रमाण है | और इस पर पंचायत के सभी लोग हैरानी से एक दुसरे को देखते है| और मुखिया ने पूछा ऐसा कौन सा प्रमाण है तुम्हारे पास? रमन - मुखिया जी जिस बरगद के नीचे हम दोनों ने धन गाडा था| उस बरगद मे सदियों से वृक्ष देवता रहते है | उन्होंने इसे चोरी करते हुए जरुर देखा होगा? मेरा पूरा विश्वास है उन पर| अगर उनसे चोरी के बारे मे पूछा जाये तो वह जरुर बताएँगे|
यह बात सुन कर मुखिया समझ जाते है, कि रमन की यह कोई न कोई चाल है | और मुखिया गाँव के सभी लोगो के साथ वंहा पहुँचते है, जंहा राजू और रमन ने धन को गाडा था | वंहा पर पहुंच कर वृक्ष देवता से बोलते है |
वृक्ष देवता जी कृपया करके ये बताए कि धन किसने चुराया है? अब सारा फैसला आप के ही हाथ मै है | मुखिया के बोलते ही तुरंत ही आवाज़ आती है |
सारा धन राजू ने ही चुराया है। ये सारी करतूत उसी की है | पेड़ से आवाज़ सुन कर सभी लोग आश्चर्य हो जाते है। तभी मुखिया राजू को कुछ सुखी लकड़िया इक्कठी करने को बोलता है | और पेड़ के चारो तरफ रखने को बोलता है | और उसमे आग लगा देने को बोलता है |
जैसे ही आग जलने लगती है | गाँव के सभी लोग देखते है कि पेड़ की खोकर मे से कोई बुढा खांसताहुआ बाहरआता है | परवह बूढ़ा व्यक्ति कोई और नहीं रमन का पिता होता है | जिसे रमन ने पेड़ की छाल मे छिपा दिया था |
तभी मुखिया हँसते हुए बोलता है | मै तो तुम्हारी चालाकी पहले ही समझ गया था | मैंने ये सब नाटक इसलिए किया कि गाँव बालो को तुम्हारी असलियत पता चल सके | रमन शर्मिंदा हो जाता है | और सब से क्षमामांगते हुएबोलता है | मुझे माफ़ कर दो मै लालच मे आ गया था | और बाकि सभी गाँववालो से और राजू से माफ़ी मांगता है |
सारांश : !! हमें किसी का भी बुरा नहीं करना चाहिए !!
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समाप्त !
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