प्राचीन समय की बात है काशीपुर गाँव में देवेंदर नाम का एक ब्राहमण रहता था | वह पूजा पाठ करवा कर अपना जीवन यापन करता था | एक बार ब्राहमण को किसी दुसरे गाँव मे एक सेठ ने पूजा करवाने के लिए बुलाया, वंहा उसे पूजा करवाने के बदले मे उपहार स्वरुप एक मोटी ताज़ा बकरी मिली ब्राहमण बकरी को लेकर बहुत खुश हुआ और सेठ को आशीर्वाद देते हुए बकरी को कंधे पर ले कर गाँव की ओर चल दिया |
ब्राहमण के गाँव के रास्ते मे एक सुनसान और घना जंगल पड़ना था | उसी जंगल मे तीन ठग रहते थे, जो कोई राहगीर उस जंगल से गुजरता था वो उसको बेवकूफ बना कर उसे ठग लेते थे, अचानक उनकी नज़र देवेंदर ब्राहमण पर पड़ी और बकरी को देखा, काफी मोटी ताज़ा बकरी को देखकर वे काफी खुश हुए और उन्होंने उसे हथियाने की योजना बनाई | उसमे से पहला ठग ब्राहमण की ओर चल देता है, और ब्राहमण को रोकते हुआ पूछता है, ब्राहमण देवता आप इस कुत्ते को कंधे पर बैठाकर कंहा ले जा रहे हो | एक ब्राहमण होकर आप को ये शोभा देता है क्या? देवेंदर ब्राहमण यह सुन कर क्रोधित हो गया और बोला या तो तुम अंधे हो या तो पागल हो, तुम्हे इतनी बड़ी बकरी कुत्ता दिखाई दे रही है, पहले अपने दिमाग का इलाज करवाओ जाओ यहाँ से, बुरा मत मनो ब्राहमण देवता मे तो वही बोल रहा हूँ जो देखा है, चलो मुझे क्या आप की जो मर्ज़ी करो यह बोल कर वह ठग वंहा से चल जाता है |
अभी देवेन्द्र ब्राहमण थोड़ी दूर पर पहुँचता है के दूसरा ठग सामने आकर बोलता है, हे ब्राहमण देव ये आप क्या कर रहे हो ब्राहमण बड़ी हैरानी से बोला क्यों क्या हुआ ? अरे आप इस मरे हुए बछड़े को कंधे पर लादे हुए कंहा जा रहे हो, इस पर ब्राहमण झुंझलाते हुए चिल्लाया और बोला, अंधे हो गए हो क्या तुम्हे इतनी बड़ी बकरी मरा हुआ बछड़ा दिखाई दे रहा है तुम मुर्ख तो नहीं हो ? ठग बोला, अरे ब्राहमण देव गुस्सा क्यों हो रहे हो मैंने जो देखा वो बोल दिया अब आप की मर्जी, यह बोल कर दूसरा ठग चला गया, देवेंदर ब्राहमण आगे बढ़ जाता है |
ब्राहमण ये सब सुन कर बडा परेशान हैरान हुआ कि लोग उसकी बकरी को कभी कुता कभी मारा हुआ बछड़ा क्यों बोल रहे है |
अभी कुछ दुरी पे ब्राह्मण पहुंचा ही था की तीसरा ठग आ धमका | उसने ब्राह्मण से कहा अरे | हे ब्राह्मण देव आप इस घोड़े के बच्चे को कंधे पे लादे कंहा ले जा रहे हो आप को समाज मे रहना नहीं है क्या लोग देखेंगे तो आप का मजाक उड़ायेंगे और आप का मान सम्मान कम हो जायेगा |
ब्राहमण क्या बात कर रहे हो तुम्हे ये बकरी घोड़े का बच्चा दिख रहा है |
इस बार ब्राहमण बोला तो था पर उसकी आवाज़ मे पहले जेसा न तो गुस्सा था और न ही ताकत |
इस पर ठग जोर जोर से हसने लगता है, और चला जाता है |
इधर ब्राहमण चिंता मे सोचने लगता है, लगता है ये बकरी कोई भूत प्रेत तो नहीं ये बार बार रूप बदल रहा हो, इसको तो फेक के निकल जाना चाहिए | ओर बकरी को फेक दिया और वंहा से भाग गया | और तीनो ठगो ने बकरी को उठाया और बहुत खुश हुए |
सारांश : व्यक्ति को कभी भी किसी की बातों मै नहीं आना चाहिए |
समाप्त !!
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